राजस्थान में बनेगा दूसरा परमाणु ईंधन कॉम्पलेक्स
देश में बढ़ती परमाणु संयंत्रों की संख्या को देखते हुए भारत परमाणु ईंधन के के लिए दूसरा परमाणु ईंधन परिसर स्थापित करने जा रहा है.
![]() परमाणु ऊर्जा(फाइल फोटो) |
राजस्थान एनएफसी के कोटा स्थित रावतभाटा परमाणु संयंत्र के पास दूसरा परमाणु ईंधन परिसर (एनएफसी) स्थापित किया जाएगा. इसकी लागत 2400 करोड़ रूपये होगी. इस प्रस्ताव को सुरक्षा संबंधी कैबिनेट समिति ने इसी माह की शुरूआत में मंजूरी दी थी.
परमाणु ऊर्जा विभाग के सूत्रों ने कहा कि यह नई व्यवस्था देश में जल्दी ही पैदा होने वाली ईंधन की मांग को पूरा करने के लिए की जा रही है. 12वीं पंचवर्षीय योजना में भारत ने परमाणु ऊर्जा के जरिए 17,300 मेगावॉट से ज्यादा बिजली उत्पादन का लक्ष्य रखा है.
फिलहाल भारत परमाणु ऊर्जा से 5500 मेगावॉट से ज्यादा बिजली पैदा करता है. वर्तमान एनएफसी हैदराबाद में है और अगले एक दशक में देश के संयंत्रों में बढ़ने वाली ईंधन की मांग को पूरा करने में वह सक्षम नहीं है.
अधिकारी ने कहा कि कोटा में नया एनएफसी उत्तरी भारत के परमाणु संयंत्रों की मांग पूरी करेगा. आने वाले कुछ वर्षों में हरियाणा के गोरखपुर, महाराष्ट्र के जैतापुर और गुजरात के मीठी विरदी में परमाणु संयंत्र लगेंगे और उन्हें ईंधन की जरूरत होगी.
सिर्फ इतना ही नहीं, मौजूदा परमाणु संयंत्रों की क्षमता भी नए संयंत्र लगाकर बढ़ाई जा रही है. उदाहरण के लिए 500 मेगावॉट का प्रोटोटाइप फास्ट ब्रीडर रिएक्टर अपने अंतिम चरणों में है. काकरापार में सात-सात सौ मेगावॉट की क्षमता वाले दो (यूनिट 3 और 4) और संयंत्र बनाए जा रहे हैं.
रावतभाटा में सात-सात सौ मेगावॉट की क्षमता वाले दो और संयंत्र (यूनिट 7 और 8) लगाए जा रहे हैं. इस स्थिति में इर्ंधन की मांग बढ़ेगी. परमाणु ईंधन के सिद्धांत को विस्तार से बताते हुए परमाणु ऊर्जा विभाग के अधिकारी ने कहा, भारत में हमारी खानों से निकलने वाले यूरेनियम को इस स्थल के पास ही बने प्रसंस्करण संयंत्र में परिष्कृत किया जाता है. इसी तरह, यूरेनियम का आयात भी किया जाता है.
इस खनिज को हैदराबाद स्थित एनएफसी में ले जाया जाता है और फिर इसका पुनर्चक्र ण करके ईंधन पिनों में बदला जाता है ताकि इसका इस्तेमाल संयंत्रों में किया जा सके. ईंधनों के अलावा एनएफसी देश के परमाणु बिजली कार्यक्रम के लिए जिरकोनियम की जरूरत को भी पूरा करता है.
बेहद दुर्लभ मृदा और परमाणु ईंधन को देश के एक हिस्से से दूसरे हिस्से में भेजा जाता है, हैदराबाद में इसका पुनर्चक्र ण किया जाता है और फिर इसे देश के उन हिस्सों में भेजा जाता है, जहां संयंत्र स्थित होते हैं. यह नाभिकीय अपशिष्ट के शोधन की भी देखभाल करता है.
हैदराबाद स्थित एनएफसी देश के छह परमाणु संयंत्रों की जरूरतों की पूर्ति करता है. ये संयंत्र हैं- महाराष्ट्र में तारापुर, कर्नाटक में कैगा, राजस्थान में रावतभाटा, उत्तरप्रदेश में नरौरा, तमिलनाडु में काकरापार, कलपक्कम और कुडनकुलम. नया एनएफसी उत्तरी भारत स्थित संयंत्र की जरूरतें पूरी करेगा.
अधिकारी ने कहा, परमाणु ईंधन को लाना-ले जाना न सिर्फ जोखिम भरा है, बल्कि सुरक्षा व्यवस्था के कारण महंगा भी पड़ता है.
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