पद्भनाभ सिंह का राजतिलक
12 वर्षीय कुमार पद्भनाभ सिंह को रॉयल सिटी पैलेस में आयोजित एक समारोह में बुधवार को राजतिलक किया गया.
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रीति रिवाजों व वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ पुरोहितों ने पद्मनाभ सिंह का पाग दस्तूर किया. राजपुरोहित ब्रजलाल किशन और आचार्य दिलीप शर्मा ने वैदिक मंत्र जाप के बीच कुमार का राजतिलक किया गया. सभी धर्मो के गुरूओं ने उन्हें आशीर्वाद दिया.
जयगढ़ गार्ड ने 25 तोपों की सलामी दी। इसके बाद पद्मनाभ सिंह ने सीताराम मंदिर, गोविन्द देवजी मंदिर, राज-राजेश्वर मंदिर व सवाई ईश्वरी सिंह की छतरी पर पूजा-अर्चना की और महंतों से आशीर्वाद लिया.
शाम को सिटी पैलेस में रंग का दस्तूर हुआ, जिसमें बिग्रेडियर भवानी सिंह के शोक की समाप्ति के लिए परिजनों को रंगीन पाग बांधे गए. ढोल और नगाड़ों की थाप पर ध्वज फहराया गया. शाही परिवार की परंपरा के अनुसार, शानदार समारोह में जयपुर के प्रमुख नागरिकों के अलावा पूर्व रियासतों के सदस्यों ने भाग लिया.
कार्यक्रम में पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे, सांसद जितेन्द्र सिंह, पूर्व सांसद विश्वेन्द्र सिंह, अभिनेता विनोद खन्ना समेत बड़ी संख्या में गणमान्य लोग मौजूद थे.
गौरतलब है कि जयपुर के पूर्व महाराजा भवानी सिंह का 16 अप्रैल को गुड़गांव के एक निजी अस्पताल में निधन हो गया था. वे 80 वर्ष के थे.
भवानी सिंह के कोई बेटा नहीं था. उन्होंने वर्ष 2002 में अपनी एकमात्र संतान दिया कुमारी के ज्येष्ठ पुत्र पद्भनाभ सिंह को गोद लिया था. कुमार पद्भनाभ सिंह उस समय पाँच साल के थे.
22 अक्टूबर 1931 को जयपुर में जन्मे भवानी सिंह द्वितीय की शिक्षा दीक्षा कश्मीर, देहरादून अमेरिका में हुई. भवानी सिंह का विवाह 10 मार्च 1967 को सिरमूर की महारानी पद्मिनी देवी के साथ हुआ. शाही परिवार से होने के बावजूद काफी सरल और हसंमुख भवानी सिंह की एक पुत्री दीया कुमारी है.
पूर्व महाराजा भवानी सिंह ने वर्ष 1951 में भारतीय सेना की तीसरी कैवलरी में लैफ्टिनेंट के रूप में सैन्य सेना में शामिल हुए थे. वर्ष 1954 में भवानी सिंह राष्ट्रपति के अंगरक्षक के लिए चुने गये. वर्ष 1963 में भवानी सिंह सेना की पैरा बिग्रेड में तैनात रहे. वे वर्ष 1964 से 1967 तक भारतीय सैन्य अकादमी देहरादून में तैनात रहे.
सैन्य सेवा के दौरान पूर्व महाराजा भवानी सिंह को उल्लेखनीय सेवाओं के वर्ष 1971 में सर्वोच्च वीरता पुरस्कार महावीर चक्र से सम्मानित किया गया.
भवानी सिंह ने वर्ष 1971 में भारत पाकिस्तान के बीच हुए युद्ध में भाग लेने के बाद वर्ष 1974 में स्वैच्छिक सेवानिवृति ले ली.
संविधान के अनुसार राजशाही समाप्त हो चुकी है. लेकिन देश के कई राजघराने में यह परम्परा चली आ रही है. जयपुर के महाराज सवाई मानसिंह का जून 1970 में निधन होने के बाद ज्येष्ठ पुत्र होने के कारण सेना में अधिकारी ले. कर्नल भवानी सिंह को राज गद्दी पर बैठाया गया था. लेकिन वह कुछ माह ही 'महाराजा' रह सके.1971 में इंदिरा गांधी ने सामंतों को न सिर्फ उनके खिताब साम्राज्यवाद की नई धारा से बाहर किया, बल्कि उन्हें शीर्षक प्रिवीपर्स से भी मोहताज कर दिया.
जयपुर की जनता को भवानी सिंह से अपार स्नेह था और इस कारण उन्हें श्रद्धा और प्यार से महाराजा बुलाया जाता रहा. जनता ने 1989 के आमचुनाव में भवानी सिंह को लोकसभा चुनाव में भाजपा के गिरधारीलाल भार्गव के हाथों पराजित कर दिखा दिया.
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