अहमदाबाद में जम्मू-कश्मीर के लोगों से जुड़े Fake Driving License Racket का भंडाफोड़

Last Updated 17 Jun 2023 06:59:45 PM IST

अहमदाबाद सिटी क्राइम ब्रांच के अधिकारियों ने एक ऐसे गिरोह का भंडाफोड़ किया है, जो जम्मू-कश्मीर के निवासियों को भारतीय सुरक्षा बलों की बटालियनों के पते का इस्तेमाल कर फर्जी ड्राइविंग लाइसेंस जारी करता था।


Fake Driving License Racket का भंडाफोड़

मिल्रिटी इंटेलिजेंस अहमदाबाद, पुणे शाखा से एक गुप्त सूचना पर कार्रवाई करते हुए पुलिस उपायुक्त, अपराध शाखा ने पाया कि अहमदाबाद और गांधीनगर आरटीओ के भीतर काम करने वाले एजेंटों के जम्मू और कश्मीर के व्यक्तियों के साथ संबंध थे। ये एजेंट कथित तौर पर आरटीओ कार्यालय में फर्जी दस्तावेज जमा कर ड्राइविंग लाइसेंस बनाने का काम कर रहे थे।

इसकी सूचना मिलने पर पुलिस निरीक्षक एम.एस. क्राइम ब्रांच के त्रिवेदी ने एक निजी जांच की अगुवाई की। आरोपी व्यक्तियों संतोष सिंह माधवसिंह चौहान और धवल वसंतकुमार रावत के खिलाफ कानूनी कार्रवाई शुरू कर दी गई है।

चौहान 2015 में गांधीनगर में एक आरटीओ एजेंट के रूप में काम कर रहा था। यहीं पर उसने भारतीय सुरक्षा बल के विभिन्न कर्मियों के लिए ड्राइविंग लाइसेंस बनाना शुरू किया। जम्मू और कश्मीर में उनके कनेक्शन, जो किसी भी भारतीय सुरक्षा बल द्वारा नियोजित नहीं थे, उन्हें आवश्यक पहचान विवरण प्रदान करेंगे। फिर इन विवरणों का उपयोग फर्जी दस्तावेज बनाने के लिए किया गया, जिन्हें ड्राइविंग लाइसेंस प्राप्त करने के लिए आरटीओ की वेबसाइट पर अपलोड किया गया था।

दो साल तक चौहान के साथ काम करने वाले रावत को भी घोटाले में फंसाया गया था। वह चौहान की चालों से वाकिफ था और जम्मू-कश्मीर में एक संपर्क के साथ मिलीभगत कर इसी तरह के तौर-तरीकों पर काम करना शुरू कर दिया। उसने डिजिटल रूप से झूठे दस्तावेज बनाए, उन्हें आरटीओ साइट पर अपलोड किया और सामान्य सत्यापन प्रक्रिया को दरकिनार कर ड्राइविंग लाइसेंस प्राप्त किया।

दोनों को एक हजार से अधिक अवैध लाइसेंस बनाने में फंसाया गया है, प्रति लाइसेंस 6000 रुपये से 8000 रुपये के बीच शुल्क लिया जाता है। वे गूगल पे जैसे डिजिटल प्लेटफॉर्म के जरिए भुगतान स्वीकार करेंगे। दोनों आरोपी फिलहाल हिरासत में हैं, क्योंकि जांच जारी है।

अभियुक्त धवल वसंतकुमार रावत ने संतोष सिंह चौहान के साथ दो साल तक सहयोग किया और फर्जी ड्राइविंग लाइसेंस संचालन का गहन ज्ञान प्राप्त किया, जिससे चौहान अच्छी आय अर्जित कर रहा था। रावत इन झूठे लाइसेंसों को वितरित करने में शामिल था, जो अक्सर उन्हें कश्मीर में सह-साजिशकर्ता अयान उमर के निर्देशन में सुरक्षा बल बटालियनों के पते पर भेजता था।

उमर रावत को आधार कार्ड और उस व्यक्ति की तस्वीर मुहैया कराएगा, जिसके लिए ड्राइविंग लाइसेंस बनाया जाना था। इसके बाद रावत अपने लैपटॉप पर डिजिटल रूप से दस्तावेजों की एक श्रृंखला तैयार करेगा, जिसमें एक सेवा प्रमाणपत्र, रक्षा मोटर ड्राइविंग लाइसेंस बुक, पुष्टि पत्र और एक सेना कैंटीन कार्ड शामिल है।

आईएएनएस
अहमदाबाद


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