अजीत पवार के भरोसे बचेगी महाराष्ट्र की सरकार!
महाराष्ट्र में एक बार फिर राजनीति गरमा गई है। राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के नेता और शरद पवार के भतीजे अजीत पवार इन चर्चाओं के केंद्र में हैं। ऐसा माना जा रहा है कि वो अपनी पार्टी के कुछ विधायकों के साथ भाजपा में शामिल हो सकते हैं।
![]() राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के नेता अजीत पवार |
चूँकि महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की शिव सेना गुट के 16 विधायकों की अयोग्यता का मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित है। उसका फैसला कभी भी आ सकता है। अगर सुप्रीम कोर्ट का फैसला शिंदे गुट के विधायकों के खिलाफ आ गया तो सरकार अल्पमत में आ जायेगी। सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर सबकी निगाहें टिकी हुई हैं।
अगर शिंदे गुट के 16 विधायक अयोग्य होते हैं तो एकनाथ शिंदे भी कमजोर हो जाएंगे। अभी वह 40 विधायकों के साथ हैं। संख्या बल के हिसाब से महाराष्ट्र में सबसे बड़ी पार्टी भाजपा है, बावजूद इसके मुख्यमंत्री की कुर्सी शिंदे गुट के पास है । कभी महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री रहे देवेंद्र फडणवीस आज उप मुख्यमंत्री हैं। ना चाहते हुए भी पार्टी के कहने पर देवेंद्र फडणवीस ने उप मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठने का मन बनाया था। देवेंद्र फडणवीस पार्टी के अनुशासित कार्यकर्ता हैं । लिहाजा उन्होंने कोई विरोध नहीं किया होगा। लेकिन उनके मन में कहीं न कहीं मुख्यमंत्री ना बनने की टिस बरकरार रही होगी। कुछ दिन पहले ऐसी चर्चा हुई थी कि अजीत पवार ने देवेंद्र फडणवीस और एकनाथ शिंदे से मुलाकात की थी।
हालांकि अजीत पवार ने साफ कर दिया है कि वह बीजेपी में नहीं जा रहे हैं। अजीत पवार कुछ भी कहें लेकिन अगर धुआं उठा है तो यह मान लेना चाहिए कि कहीं ना कहीं चिंगारी जरूर दिखाई दी होगी। वैसे भी अजीत पवार का इस मामले में रिकॉर्ड कोई बहुत अच्छा नहीं है। 2019 में उन्होंने एनसीपी मुखिया शरद पवार से बगैर पूछे देवेंद्र फडणवीस से न सिर्फ समझौता कर लिया था बल्कि उपमुख्यमंत्री पद की शपथ भी ले ली थी। हालांकि अजीत पवार उस समय अरबों के घोटाले का आरोप झेल रहे थे। शायद उन्ही आरोपों से बचने के लिए उन पर लगे मामलों को हमेशा के लिए खत्म करने के लिए उन्होंने भाजपा से हाथ मिला लिया था। लेकिन 24 घंटे के अंदर ही वह फिर से लौट कर अपने घर आ गए थे। यानी अपनी पार्टी में शामिल हो गए थे।
एक बार फिर अजित पवार चर्चा में हैं। अगर एकनाथ शिंदे और देवेंद्र फडणवीस की सरकार अल्पमत में आ गई तो सरकार बचाने में सबसे बड़ी भूमिका अजित पवार की होगी। लेकिन यह भी तय है कि अजित पवार बिना किसी शर्त के अपना समर्थन नहीं देने वाले हैं।कुल मिलाकर महाराष्ट्र की राजनीति को लेकर जो संशय बरकरार है वह तभी दूर होगा जब सुप्रीम कोर्ट का फैसला आएगा।
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