गुजरात में मतदाताओं के जेहन में जाति, नौकरियां और मोदी

Last Updated 08 Dec 2017 04:17:54 PM IST

गुजरात में पहली बार मतदान करने जा रहे 12 लाख युवाओं के जेहन में राजनीति के अलावा विकास और नौकरियां का मुद्दा और मोदी महत्वपूर्ण है. उनके लिए 2002 के दंगे खास मायने नहीं रखते.


(फाइल फोटो)

पाटीदार आंदोलन का केंद्र मेहसाणा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के गृहनगर वड़नगर से 35 किमी दूर है और दोनों जोड़ने वाली सड़क खराब है.

गुजरात में मेहसाणा से वड़नगर जा रही गुजरात राज्य परिवहन निगम की बस में बड़ी संख्या में छात्र सवार हैं जिनमें से ज्यादातर स्थानीय कॉलेज में बीएससी के छात्र हैं और गुजरात विधानसभा चुनाव के 14 दिसंबर को होने वाले दूसरे चरण के मतदान में अपना पहला मत डालेंगे.

मेहसाणा और वड़नगर मेहसाणा जिले में आते हैं. वड़नगर उन्झा निर्वाचन क्षेत्र में आता है जबकि मेहसाणा शहर एक अलग निर्वाचन क्षेत्र है.

गुजरात में इन 12 लाख नए मतदाताओं के जेहन में राजनीति के अलावा भी जाति, नौकरियां और मोदी कई मुद्दे हैं.

इन्हीं में शामिल हैं आशीष पटेल और जशवंत सिंह. दोनों करीबी दोस्त हैं लेकिन उनके राजनीतिक विचार एकदम अलग-अलग हैं. आशीष पाटीदार अनामत आंदोलन समिति के प्रमुख हार्दिक पटेल के कट्टर समर्थक हैं जबकि जशवंत का रझान भाजपा की ओर है.

आशीष का कहना है कि यह मानना गलत है कि पटेल समुदाय के सभी लोग अमीर होते हैं. हममें से किसी के पास सरकारी नौकरी नहीं है. जमीन इतनी ज्यादा नहीं है कि पूरे परिवार का पेट भर सके. इसलिए हमें आरक्षण की जरूरत है.

मतदाताओं में पटेल 12 फीसदी हैं. उनमें से उपजाति है कड़वा और लेउवा. हार्दिक और आशीष कड़वा उपजाति से हैं जिनकी संख्या कम है. विश्लेषकों का कहना है कि राज्य में 182 सीटों में से करीब 60 सीटों के नतीजों को वे प्रभावित कर सकते हैं.

संख्याबल के मामले में लेउवा अधिक हैं. पूर्व मुख्यमंत्री आनंदीबेन पटेल इसी उपजाति से आती हैं.

जशवंत का मानना है कि भाजपा पांचवी बार जोरदार जीत दर्ज करेगी.     

इस बस में सवार अन्य छात्र विक्रम चौधरी, धवल चौधरी, विकास चौधरी और निखिल देसाई सभी ओबीसी वर्ग से हैं.

इसमें से एक विकास ने कहा, वड़नगर का रिश्ता मोदी से है, मोदी खुद भी ओबीसी हैं. कोई भी अन्य पार्टी वहां उपस्थिति दर्ज नहीं करवाए पाएगी. हमारे आसपास विकास हो रहा है.  



पहली बार मतदान करने जा रहे युवाओं के लिए विकास और नौकरियां का मुद्दा महत्वपूर्ण है. उनके लिए 2002 के दंगे खास मायने नहीं रखते.

एक अन्य छात्र हितेश सोलंकी मानते हैं कि राहुल गांधी को एक मौका दिया जाना चाहिए.

गुजरात में पहले चरण का मतदान नौ दिसंबर को और दूसरे चरण का 14 दिसंबर को होना है. परिणाम 18 दिसंबर को आएंगे.

भाषा


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