SGPC के कर्मचारियों ने दी सिख धर्म छोड़ने की चेतावनी
शिरोमणी गुरुद्वारा प्रबंधक समिति से सबंधित स्थानीय समिति के 15 कर्मचारियों ने सिख धर्म छोड़ कर अन्य धर्म अपनाने की धमकी दी है.
(फाइल फोटो) |
शिरोमणी गुरुद्वारा प्रबंधक समिति से सबंधित स्थानीय समिति के 15 कर्मचारियों ने एसजीपीसी के प्रधान किरपाल सिंह बडूंगर को पत्र लिख कर कहा है कि अगर 26 नवंबर तक उनकी मांगें नहीं मानी गई तो वह 27 नवंबर को श्री अकाल तख़्त साहब पर आखिरी अरदास कर अपने सभी ककारे (धार्मिक च्रिहन) उनके हवाले कर अन्य धर्म अपना लेंगे. इनमें लवदीप सिंह सेवादार, राजविन्दर सिंह सहायक, जगबीर सिंह सेवक, मलकीत सिंह क्लर्क, कुलदीप कौर परिचारिका, मनबीर सिंह सहायक, दिलबाग सिंह सेवक, गुरसाहब सिंह सेवक, लखविन्दर सिंह सहायक और फतेह सिंह सेवक आदि शामिल हैं.
प्रो बडूंगर को लिखे पत्र में उक्त कर्मचारियों ने कहा कि उन्हें स्थानीय समिति द्वारा भर्ती किया गया था. वे जिस गुरुद्वारा में तैनात थे, उसका प्रबंध एसजीपीसी के अधीन न होकर अमृतसर के छहरटा गुरुद्वारा के अधीन कर दिया गया. उन्होंने छहरटा गुरुद्वारा के प्रबंधक जगतार सिंह पर सभी कर्मचारियों को स्थायी करने के एवज में 50 हजार रुपये की घूस मांगने का आरोप लगाया है.
उल्लेखनीय है कि एसजीपीसी जब भी किसी गुरुद्वारे का प्रबंधन अपने अधीन करती है तो उस गुरुद्वारे के कर्मचारियों को भी एसजीपीसी को अपने अधीन लेना पड़ता है. कर्मचारियों का आरोप है कि शिरोमणी समिति के मुख्य सचिव डा. रूप सिंह से मिलने गए तो उनकी अनुपस्थिति में सचिव हरभजन सिंह ने उन्हे धक्के मार कर कार्यालय से बाहर निकलवा दिया.
हालांकि इस संबंध में शिरोमणी समिति के सचिव डॉ. रूप सिंह ने कहा कि गुरुसर माधोके बराड़ की स्थानीय समिति के पहले प्रधान द्वारा नियमों की अवहेलना कर भर्ती किए गए कर्मचारियों द्वारा धर्म परिवर्तन की चेतावनी लोभ और लालच से ज्यादा कुछ नहीं है. उन्होंने कहा कि नौकरी पाने के लालच में अखबारों द्वारा गुरु से विमुख होने का बयान देने वालों को पहले गुरु का सच्चा सिख बनना चाहिए. उन्होने कहा कि लालचवश न ही कोई धर्म ग्रहण करना चाहिए और न ही छोड़ना चाहिए. कर्मचारियों को अगर कोई समस्या है तो वे उन्हें अपनी मुश्किल बता सकते हैं.
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