मणिपुर में 73 दिन से जारी आर्थिक नाकेबंदी के कारण खाद्य पदार्थों की कमी
मणिपुर में यूनाइटेड नागा काउंसिल की ओर से 73 दिन से जारी आर्थिक नाकेबंदी के कारण यहां खाद्य पदार्थों की कमी का संकट पैदा हो गया है.
फाइल फोटो |
नाकेबंदी की वजह से लोगों को काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ा है. यहां लंबे समय से पेट्रोलियम पदार्थ, रसोई गैस एवं दवाइयों की आपूर्ति नहीं हो पा रही है.
नाकेबंदी की वजह से पर्वतीय और ग्रामीण इलाकों में नागा और कुकी आदवासी बहुल क्षेा सर्वाधिक प्रभावित हैं.
यूएनसी ने चुनाव आयोग की ओर से मणिपुर में विधानसभा चुनावों की घोषणा के बावजूद नाकेबंदी जारी रखने की घोषणा की है. इससे पहले राज्य के मुख्यमंत्री ओबराम इबोबी सिंह ने कहा था कि सरकार यूएनसी के साथ बातचीत करने के लिये तैयार है और उसे नाकेबंदी समाप्त करने को भी कहा गया है.
राज्य सरकार और सिविल सोसायटी ने नाकेबंदी के लिये केंद्र और नेशनलिस्ट सोशलिस्ट काउंसिल ऑफ नागालैंड (इसाक-मुइवा) को जिम्मेदार ठहराया है. इस बीच एनएससीएन (आईएम) के साथ शांति वार्ता के वार्ताकार आर एन रवि मणिपुर के विभिन्न नागरिक संगठनों से 20 जनवरी को आर्थिक नाकेबंदी के मुद्दे पर बातचीत के लिए दिल्ली आने का आवान किया है.
उल्लेखनीय है कि यूएनसी नियुक्ति एवं नागा मसलों समेत विभिन्न मुद्दों को लेकर राष्ट्रीय राजमार्ग पर आर्थिक नाकेबंदी करती रहती है जो आम तौर पर दो से चार माह तक जारी रहती है. वर्ष 2010 में भी यहां आर्थिक नाकेबंदी की गयी थी जो 68 दिनों तक रही थी लेकिन इसके अगले वर्ष यानी 2011 में यह 121 दिनों तक जारी रहा.
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