दिल्ली : राजनिवास ने सौरभ भारद्वाज को किया कटघरे में खड़ा

Last Updated 28 Apr 2024 11:46:30 AM IST

दिल्ली नगर निगम के स्कूलों में छात्रों को किताबें एवं यूनिफॉर्म का वितरण नहीं होने, कूड़े के निपटान में देरी एवं अस्पतालों में दवाइयों की कमी के मामले में राजनिवास ने शहरी विकास मंत्री सौरभ भारद्वाज को कटघरे में खड़ा किया है।


शहरी विकास मंत्री सौरभ भारद्वाज

राजनिवास का कहना है कि इस समस्या के समाधान के लिए अस्थायी तौर पर निगमायुक्त की आर्थिक शक्तियां बढ़ाने का निर्णय लिया गया था, लेकिन इस फाइल को करीब सात महीने से शहरी विकास मंत्री दबाए बैठे हुए हैं।

राजनिवास के अधिकारियों ने दावा किया है कि बार-बार रिमांइडर के बाद भी फाइल को नहीं भेजा गया। फाइल अभी भी मंत्री सौरभ भारद्वाज के पास है, जबकि एक निर्णय लिया गया था कि कोई भी फाइल तीन दिन के भीतर उप-राज्यपाल के पास भेज दी जाएगी।

राजनिवास ने जारी बयान में कहा है कि दिल्ली उच्च न्यायालय को एक बार फिर गुमराह किया गया है, जबकि उपरोक्त फाइल अभी तक मुख्यमंत्री के पास भी नहीं भेजी गई है, जबकि नियमानुसार मंत्री को यह फाइल मुख्यमंत्री के माध्यम से राजनिवास को भेजनी थी। दरअसल नगर निगम में अभी तक स्थाई समिति का गठन नहीं हुआ है, इसलिए योजनाओं को अंतिम रूप में आर्थिक दिक्कत पेश आ रही है।

इस समस्या के अस्थायी समाधान के लिए नगर निगम ने बीते साल 18 सितम्बर को एक प्रस्ताव पास किया था। प्रस्ताव में निगमायुक्त के अधिकार को पांच करोड़ रुपए से बढ़ाकर 50 करोड़ रुपए करना शामिल था।

नियमानुसार इस फाइल को शहरी विकास मंत्री सौरभ भारद्वाज को मुख्यमंत्री के माध्यम से उप-राज्यपाल को भेजना था, लेकिन ऐसा नहीं हुआ।

निगम ने प्रस्ताव को पास करते समय तर्क दिया था कि जब तक स्थाई समिति गठित नहीं हो जाती, तब तक यह अधिकार निगमायुक्त के पास होंगे। इससे निगम को नई परियोजनाओं को अंतिम रूप देने में आर्थिक दिक्कत नहीं आएगी।  

अधिकारी का कहना है कि 15 एवं 28 मार्च और दो अप्रैल के आदेश के बाद भी शहरी विकास मंत्री ने उप-राज्यपाल के पास फाइल नहीं भेजी। डेढ़ साल से स्थाई समिति का गठन नहीं होने की वजह से निगम के सभी कार्य रुके हुए हैं।

अधिकारी का आरोप है कि इसी वजह से छात्रों को किताबें एवं यूनिफॉर्म देने, दवाइयां खरीदने आदि के लिए फंड जारी नहीं हो पा रहा है। यानी निगम पूरी तरह इसमें अक्षम है। अधिकारी का यह भी कहना है कि नियमित रूप से कूड़े के निपटान, पश्चिम एवं मध्य क्षेत्र में योजनाओं को अंतिम रूप देने में दिक्कत आ रही है।

नरेला-बवाना में कूड़े के निपटान में लगी एजेंसी का अनुबंध नहीं बढ़ाया जा सका है। पांच करोड़ के बायो-माइ¨नग का कार्य भी रूका हुआ है। अन्य कार्य भी प्रभावित हो रहे हैं। अधिकारी ने टिप्पणी करते हुए कहा है कि ऐसा लगता है कि निगम को जानबूझकर पंगु बनाया जा रहा है।

समय लाइव डेस्क
नई दिल्ली


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