छावला गैंगरेप-मर्डर : सुप्रीम कोर्ट के फैसले को चुनौती देगी दिल्ली सरकार
दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने 2012 के छावला सामूहिक दुष्कर्म एवं हत्या मामले में मौत की सजा पाने वाले तीन दोषियों को बरी करने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ पुनर्विचार याचिका दायर करने की मंजूरी दे दी है।
![]() दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना |
एक वरिष्ठ अधिकारी ने सोमवार को बताया, सक्सेना ने मामले में दिल्ली सरकार का प्रतिनिधित्व करने के लिए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता की सेवाएं लेने की भी मंजूरी दे दी है। शीर्ष अदालत द्वारा आरोपियों को बरी किए जाने के बाद पीड़िता के माता-पिता ने डर के चलते पुलिस सुरक्षा मांगी थी।
दिल्ली की एक निचली अदालत ने द्वारका के छावला इलाके में नौ फरवरी 2012 को 19 वर्षीय एक युवती के साथ सामूहिक दुष्कर्म एवं हत्या मामले में तीनों आरोपियों को मौत की सजा सुनाई थी, जिसे दिल्ली हाईकोर्ट ने बरकरार रखा था। आरोपियों ने सजा के खिलाफ शीर्ष अदालत का रुख किया था, जिसने सात नवम्बर 2022 के अपने फैसले में निचली अदालत और हाईकोर्ट के फैसले को रद्द कर दिया था। आरोपियों को बरी करने के फैसले की तीखी आलोचना हुई थी।
महिला अधिकार कार्यकर्ताओं ने कहा था कि इससे अभियुक्तों का हौसला बढ़ेगा। तीन आरोपियों को बरी करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि कानून अदालतों को किसी आरोपी को केवल संदेह के आधार पर दंडित करने की अनुमति नहीं देता है।
शीर्ष अदालत ने कहा था कि अगर जघन्य अपराध में शामिल अभियुक्तों को सजा नहीं मिलती है या उन्हें बरी कर दिया जाता है तो आम स्तर पर समाज और विशेष रूप से पीड़ित के परिवार के लिए एक प्रकार की पीड़ा और हताशा हो सकती है। पीठ ने कहा था कि अभियोजन पक्ष अभियुक्तों के खिलाफ डीएनए प्रोफाइलिंग और सीडीआर सहित अन्य मामलों में ठोस, निर्णायक और स्पष्ट साक्ष्य पेश करने में नाकाम रहा। उसने कहा था कि निचली अदालत ने भी मामले में एक निष्क्रिय अंपायर के रूप में काम किया।
अभियोजन पक्ष ने कहा था कि युवती उत्तराखंड की रहने वाली थी और गुरुग्राम के साइबर सिटी में काम करती थी। वह कार्यस्थल से लौट रही थी और अपने घर के पास पहुंची ही थी कि तीन लोगों ने एक कार में उसका अपहरण कर लिया। अभियोजन पक्ष ने कहा था कि जब युवती घर नहीं लौटी तो उसके परिजनों ने गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई।
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