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डूटा का जंतर-मंतर पर प्रदर्शन, तदर्थ शिक्षकों के समायोजन की मांग | ||||
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दिल्ली विश्वविद्यालय में स्थाई शिक्षकों की वजह हजारों एडहॉक (तदर्थ) और गेस्ट टीचर छात्रों को पढ़ा रहे हैं।
विश्वविद्यालय के कई कॉलेजों में तो एडहॉक शिक्षकों की संख्या 70 प्रतिशत से भी अधिक है। दिल्ली विश्वविद्यालय के विभिन्न कॉलेजों एव विभागों में कार्य कर रहे तदर्थ शिक्षकों के समायोजन की मांग को लेकर दिल्ली विश्वविद्यालय शिक्षक संघ (डूटा) ने संसद भवन (जंतर-मंतर) पर धरने का आयोजन किया।
धरने में सैकड़ों की संख्या में शिक्षकों ने हिस्सा लिया। दिल्ली विश्वविद्यालय के शिक्षकों का आरोप है कि जहां देश भर के दूसरे केंद्रीय विश्वविद्यालयों में शिक्षकों की स्थाई नियुक्ति होती है वहीं दिल्ली विश्वविद्यालय में एडहॉक शिक्षक कल्चर को बढ़ावा दिया गया। अब बड़ी संख्या में दिल्ली विश्वविद्यालय के शिक्षक इस व्यवस्था के खिलाफ एकजुट हुए हैं।
शिक्षकों को संबोधित करते हुए दिल्ली विश्वविद्यालय शिक्षक संघ के अध्यक्ष प्रोफेसर ए के भागी ने कहा कि दिल्ली विश्वविद्यालय में कार्यरत तदर्थ शिक्षकों का समायोजन शिक्षकों के समानता, आत्मसम्मान, लैंगिक समानता एवं उच्च शिक्षा की गुणवत्ता को सुनिश्चित करेगा। प्रोफेसर भागी ने सरकार से डीओपीटी के नियम एवं 200 पॉइंट्स रोस्टर को ध्यान रखते हुए दिल्ली विश्वविद्यालय में तदर्थ शिक्षकों के समायोजन की मांग की।
दिल्ली विश्वविद्यालय में विगत प्रशासन ने कई सालों से नियुक्तियों को रोककर तदर्थवाद को बढ़ावा दिया, जबकि देशभर के अन्य केंद्रीय विश्वविद्यालयों में नियुक्तियां हो रहीं थी। डूटा उपाध्यक्ष प्रो. प्रदीप कुमार एवं डूटा सचिव डॉ. सुरेंदर सिंह ने विसंगति समिति की रिपोर्ट जारी करने, प्रोफेसरशिप के लिए एपीआई में रियायत, पुरानी पेंशन की बहाली एवं शिक्षकों के ईडब्ल्यूएस आरक्षण की सीटें जारी करने की मांग की।
डूटा के पूर्व अध्यक्ष डॉ आदित्य नारायण मिश्रा, डॉ नंदिता नारायण एवं राजीव रे भी इस दौरान शिक्षकों के साथ मौजूद रहे। उन्होने तदर्थ शिक्षको को विस्थापन से बचाने के लिए समायोजन हेतु मिलकर संघर्ष करने की अपील की। प्रोफेसर वी एस नेगी एवं सीमा दास ने दिल्ली विश्वविद्यालय में तदर्थवाद को बढ़ावा देने के लिए पिछले वाईस चांसलर को जिम्मेदार बताया। धरने के बाद डूटा अध्यक्ष प्रोफेसर ए के भागी के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल ने शिक्षा मंत्रालय के अधिकारियों से मिलकर अपना मांगपत्र सौंपा। डूटा ने इससे पूर्व 31 मार्च, 2022 को भी समायोजन के मुद्दे पर धरना आयोजित किया था।
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