केंद्रीय विद्यालयों में छह साल की उम्र में ही मिलेगा पहली कक्षा में दाखिला

Last Updated 12 Apr 2022 02:26:50 AM IST

केंद्रीय विद्यालयों के पहली कक्षा में दाखिला अब छह साल व उससे ज्यादा उम्र के बच्चों की ही होगी।


केंद्रीय विद्यालयों में छह साल की उम्र में ही मिलेगा पहली कक्षा में दाखिला

दाखिले की उम्र पांच साल से बढ़ाकर छह साल किए जाने को चुनौती देने वाली याचिका को हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया है। इस मामले में केंद्र व केंद्रीय विद्यालय संगठन (केवीएस) ने नामांकन की उम्र छह साल किए जाने को सही ठहराया था और याचिका पर आपत्ति जताई थी।
न्यायमूर्ति रेखा पल्ली ने कहा वर्तमान में दाखिला प्रक्रिया शुरू हो चुकी है और विद्यालय में नामांकन को लेकर पंजीकरण की समय सीमा बढ़ा दी गई है। ऐसे में दाखिला प्रक्रिया में हस्तक्षेप करना उचित नहीं है। इस दशा में याचिका खारिज की जाती है।
याचिकाकर्ता ने नामांकन की न्यूनतम आयु पांच साल से बढ़ाकर छह साल किए जाने को चुनौदी दी थी। उसने इसे अनुचित व मनमाना बताया था। केंद्र ने कहा था कि केंद्रीय विद्यालय (केवी) में दाखिले के लिए याचिकाकर्ता का कोई निहित अधिकार नहीं है। वह अगले साल प्रवेश के लिए पात्र हो जाएंगी। इससे पहले कहा गया था कि उम्र बढ़ाने का निर्णय अचानक नहीं लिया गया था। यह राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) के तहत लिया गया है जो वर्ष 2020 में आई थी। साथ ही किसी नीति को चुनौती नहीं दिया जा सकता है। केवीएस ने दाखिले पर रोक का विरोध करते हुए कहा था कि उसके आदेश का अखिल भारतीय स्तर पर प्रभाव होगा और यह पांच से सात वर्ष की आयु वर्ग के छात्रों के बीच विविधता पैदा करेगा। कोर्ट को यह भी बताया गया था कि 21 राज्यों ने उसे स्वीकार कर लिया है। यह केवी केंद्र सरकार के कर्मचारियों के लिए है, जिन्हें एक स्थान से दूसरे स्थान पर स्थानांतरित किया जाता है, इसलिए प्रवेश आयु के संबंध में एकरूपता सुनिश्चित करने की आवश्यकता है।

याचिकाकर्ता पांच साल की बच्ची की ओर से वकील अशोक अग्रवाल ने कहा था कि नीति में बदलाव के जरिए अधिकारी उसे शिक्षा के अधिकार से वंचित नहीं कर सकते। बिना किसी पूर्व सूचना के आयु मानदंड में परिवर्तन उन छात्रों के हित के लिए हानिकारक है, जिन्हें प्रवेश प्रक्रिया में भाग लेने का अधिकार है। अग्रवाल ने यह भी कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) को पहले प्री-प्राइमरी स्तर पर लागू किया जाना है और इसे सीधे कक्षा एक में प्रवेश करने वाले छात्रों पर नहीं लागू किया जा सकता है। याचिका में याचिकाकर्ता ने कहा था कि उम्र की आवश्यकता में बदलाव संविधान के अनुच्छेद 14, 21 और 21-ए के साथ-साथ दिल्ली स्कूल शिक्षा अधिनियम, 1973 और बच्चों को मुफ्त एवं अनिवार्य शिक्षा का अधिकार के प्रावधानों के तहत याचिकाकर्ता को दिए गए शिक्षा के अधिकार का उल्लंघन है।

सहारा न्यूज ब्यूरो
नई दिल्ली


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