उगाहीबाज को रिहा कराने के आरोप में फंसे आईपीएस अधिकारी

Last Updated 31 Jan 2022 06:24:42 AM IST

कारोबारी से करोड़ों रुपए की रिश्वत मांगने के आरोप में जिला पुलिस उपायुक्त के पद से हटाए गए आईपीएस अधिकारी एक बार फिर विवाद में फंस गए हैं।


उगाहीबाज को रिहा कराने के आरोप में फंसे आईपीएस अधिकारी

मामला उत्तर पश्चिमी जिले में जबरन वसूली के आरोपी को पुलिस हिरासत से बरी कराने का है। खास बात यह है कि आईपीएस के फोन पर उन्हें रिहा करने वाली मौर्या एन्क्लेव पुलिस ने पुलिस मुख्यालय की फटकार के बाद मुकदमा दर्ज कर लिया। विशेष जांच टीम ने देर रात दोनों आरोपियों को गिरफ्तार भी कर लिया है। सूत्रों की मानें तो पुलिस आयुक्त राकेश अस्थाना के आदेश पर वरिष्ठ अधिकारी खुद जांच की निगरानी कर रहे हैं।

दरअसल, पीतमपुरा के विशाखा एन्क्लेव में कारोबारी विजय अग्रवाल अपने घर का निर्माण करा रहे थे। 27 जनवरी को एक युवक ने मौके पर जाकर खुद को एसडीएम ऑफिस का मुलाजिम बताया और रिश्वत की मांग की तो अग्रवाल ने इंकार कर दिया। इसके अगले दिन एक अन्य युवक ने मौके पर जाकर निर्माण कार्य की एवज में 50 हजार रु पए रिश्वत की मांग की और खुद को एसडीएम कार्यालय का कर्मचारी बताया। जब कारोबारी ने एसडीएम से इसकी शिकायत की तो एसडीएम सरस्वती विहार चंद्र शेखर भी मौके पर पहुंच गए। लेकिन उनको वहां देखकर युवक ने कहा कि वह एसडीएम कार्यालय में नहीं, बल्कि दिल्ली पुलिस में काम करता है।

हैरानी की बात है कि रिश्वत की मांग और आरोपी की मौजूदगी के बावजूद कोई कार्रवाई करने के बजाय एसडीएम मौके से वापस लौट गए। तब कारोबारी अग्रवाल ने पुलिस नियंत्रण कक्ष में शिकायत कर दी। मौके पर पहुंचे मौर्या एन्क्लेव  थानाध्यक्ष आरोपी को हिरासत में लेकर थाने ले जाने लगे। सूत्रों के अनुसार, तभी एक अतिरिक्त पुलिस आयुक्त ने थानाध्यक्ष को फोन कर आरोपी को रिहा करा दिया। इसकी जानकारी मिलने पर कारोबारी विजय अग्रवाल ने थानाध्यक्ष से नाराजगी जताई तो वह संतोषजनक कारण नहीं बता पाए।

इस बीच, मामले की जानकारी पुलिस मुख्यालय तक पहुंच गई। जबरन उगाही के मामले में अतिरिक्त पुलिस आयुक्त के पद पर तैनात आईपीएस अधिकारी पर उंगलियां उठने के बाद अफरा तफरी मच गई। गौरतलब है कि आरोपी आईपीएस अधिकारी जिला पुलिस उपायुक्त के तौर पर तैनाती के समय भी सुर्खियों में रह चुका है। फरवरी 2016 में बिल्डर से करोड़ों रु पए की रिश्वत मांगने के आरोप में हुई छानबीन के चलते रातों रात उसका तबादला सुरक्षा शाखा में कर दिया गया था।

इस मामले में आरोपी आईपीएस अधिकारी पर फार्म हाउस खरीदने के लिए पैसे मांगने का आरोप लगा था। तब पीड़ित बिल्डर ने भाजपा नेताओं की मदद से उप राज्यपाल से मदद की गुहार लगाई थी। उप राज्यपाल के आदेश पर तत्कालीन पुलिस आयुक्त बीएस बस्सी ने एक वरिष्ठ अधिकारी से मामले की जांच कराई तो आरोपी आईपीएस की भूमिका संदिग्ध मिली थी। लेकिन हैरानी की बात है कि उगाही के आरोपी इस अधिकारी के खिलाफ सख्त कार्रवाई नहीं की गई और उसे एक रेंज में अतिरिक्त आयुक्त के पद पर तैनात कर दिया गया।

सूत्रों के अनुसार, पुलिस आयुक्त राकेश अस्थाना इस मामले में महकमे पर उछल रही कीचड़ से बेहद नाराज हैं। उन्होंने अधिकारियों को आरोपियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई के निर्देश दिए हैं, जिसके बाद मौर्या एन्क्लेव थाने में मुकदमा दर्ज करके दोनों आरोपियों अभिषेक और वरुण को वजीरपुर से गिरफ्तार कर लिया गया। मामले में आरोपी अतिरिक्त पुलिस आयुक्त और एसडीएम की भूमिका की भी जांच हो रही है। खास बात यह है कि पूछताछ और जांच से जिला पुलिस को अलग रखा गया है और जांच की निगरानी आला अधिकारी कर रहे हैं। इस मामले में पूछने पर जिला पुलिस उपायुक्त ऊषा रंगनानी कुछ भी कहने से साफ़ इंकार कर देती हैं। उनका कहना है कि वह इस मामले की कोई जानकारी नहीं दे सकती हैं। जो भी जानकारी चाहिए वरिष्ठ अधिकारी ही दे सकते हैं।

सुबोध जैन /सहारा न्यूज ब्यूरो
नई दिल्ली


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