जहरीले पटाखे फूटे तो SHO से लेकर CS तक जिम्मेदार
सुप्रीम कोर्ट ने बेहद सख्त लहजे में कहा है कि इस दिवाली पर यदि जहरीले पटाखे फोड़े गए तो राज्य के मुख्य सचिव से लेकर स्थानीय एसएचओ निजी रूप से जिम्मेवार ठहराए जाएंगे।
![]() सुप्रीम कोर्ट |
सुप्रीम कोर्ट के सख्त निर्देशों के बावजूद देशभर में बेरियम साल्ट युक्त पटाखों का खुलेआम उत्पादन हो रहा है। सुप्रीम कोर्ट के आदेशों को बहुत हल्के में लिया जा रहा है।
जस्टिस मुकेश कुमार शाह और एएस बोपन्ना की बेंच ने कहा कि किसी प्राधिकार को उसके द्वारा जारी निर्देशों के उल्लंघन और उत्सव के नाम पर प्रतिबंधित पटाखों के उपयोग की अनुमति नहीं दी जा सकती। दूसरों की सेहत की कीमत पर उत्सव नहीं मनाया जा सकता। उत्सव के नाम पर किसी को दूसरों के स्वास्थ्य के अधिकार का हनन करने की अनुमति नहीं दी जा सकती जो भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत प्रदत्त है और किसी को दूसरों के जीवन से, खासतौर पर वरिष्ठ नागरिकों एवं बच्चों के जीवन से खिलवाड़ की अनुमति नहीं दी जा सकती।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह स्पष्ट किया जाता है कि पटाखों के इस्तेमाल पर पूर्ण पाबंदी नहीं है। केवल उस तरह की आतिशबाजी पर रोक है, जो स्वास्थ्य के लिए हानिकारक पाई जाती है और नागरिकों, खासतौर पर वरिष्ठ नागरिकों तथा बच्चों की सेहत पर असर के लिहाज से नुकसानदेह है। अदालत ने कहा कि राज्यों, एजेंसियों और केंद्रशासित प्रदेशों की ओर से पटाखों पर प्रतिबंध लागू करने में किसी भी खामी को बहुत गंभीरता से देखा जाएगा। अदालत ने सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को निर्देश दिया कि अदालत द्वारा प्रतिबंधित पटाखों के उत्पादन, उपयोग और बिक्री के बारे में जारी निर्देशों के बारे में लोगों को जागरूक करने के लिए इलेक्ट्रॉनिक-प्रिंट मीडिया और स्थानीय केबल सेवाओं के माध्यम से उचित प्रचार-प्रसार किया जाए।
अदालत ने स्पष्ट किया कि आतिशबाजी पर पूरी तरह प्रतिबंध नहीं है और केवल उन पटाखों पर पाबंदी है जिनमें बेरियम साल्ट होता है। सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई की जांच रिपोर्ट का हवाला देकर कहा कि पटाखों के डिब्बों पर गलत अर भ्रामक लेबल लगाकर ग्रीन क्रेकर बताया जा रहा है। जबकि इनमें बेरियम का इस्तेमाल धड़ल्ले से किया जा रहा है।
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