कौशांबी की यातायात समस्या पर सुप्रीम कोर्ट का सिग्नल
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि दिल्ली-यूपी की सीमा पर स्थित कौशांबी में यातायात की समस्या विकराल रूप धारण कर चुकी है। समस्या की गहराई में जाए बिना इसका समाधान संभव नहीं है। यदि समस्या की जड़ तक नहीं गए और उसके ठोस उपाय नहीं निकाले गए तो दीर्घकालीन समाधान नहीं निकलेगा। खानापूर्ति से कुछ दिन बाद फिर अव्यवस्था फैल जाएगी।
![]() कौशांबी की यातायात समस्या पर सुप्रीम कोर्ट |
जस्टिस धनंजय चंद्रचूड, मुकेश कुमार शाह और संजीव खन्ना की बेंच ने कौशांबी अपार्टमेंटस रेजीडेंट वेलफेयर एसोसिएशन (कारवां) और आशा पुष्प विहार सहकारी आवास समिति द्वारा दायर जनहित याचिका पर दिल्ली और यूपी सरकार को आनंद विहार सीमा पर यातायात को दुरुस्त करने का आदेश दिया। सुप्रीम कोर्ट ने गाजियाबाद के कौशांबी क्षेत्र में यातायात प्रबंधन संबंधी समस्या का संज्ञान लेते हुए एक समिति गठित की है जिसमें दिल्ली और उत्तर प्रदेश के कई विभागों के मुखिया शामिल हैं। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि उसके समक्ष एक समग्र यातायात प्रबंधन योजना प्रस्तुत की जानी चाहिए। जब तक सभी संबंधित अधिकारी यातायात संबंधी समस्याओं के समाधान के लिए किसी ठोस कदम पर संयुक्त रूप से सहमत नहीं होते तब तक मुद्दे का समाधान संभव नहीं है।
समस्या के समाधान के लिए मेरठ के मंडलायुक्त, गाजियाबाद विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष, गाजियाबाद के जिलाधिकारी और वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक, गाजियाबाद नगर निगम के आयुक्त, यूपी सड़क परिवहन निगम के अध्यक्ष, दिल्ली सरकार के परिवहन सचिव, पूर्वी दिल्ली नगर निगम के आयुक्त और अन्य संबंधित अधिकारियों की समिति गठित की है। गाजियाबाद के जिलाधिकारी समिति के नोडल अधिकारी होंगे। तीन सदस्यीय बेंच ने अपने आदेश में कहा कि परिस्थितियों को देखते हुए हमारा मत है कि इस अदालत के समक्ष 14 अप्रैल से पहले एक समग्र यातायात प्रबंधन योजना प्रस्तुत की जानी चाहिए। हम उत्तर प्रदेश और दिल्ली सरकार से संबंधित सरकारी विभागों के प्रतिनिधियों की एक समिति के गठन इसलिए कर रहे हैं जिससे कि मुद्दे के समाधान के लिए दोनों क्षेत्राधिकारों के अधिकारियों द्वारा एक समन्वित और ठोस कदम उठाया जा सके।
कारवां के अध्यक्ष विनय कुमार मित्तल ने सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में कहा कि कौशांबी के अलावा दिल्ली की सीमा से सटी वैशाली, वसुंधरा और इंदिरापुरम तथा राजधानी की आनंद विहार, मयूर विहार, पटपड़गंज और इंद्रप्रस्थ एक्सटेंशन के लाखों लोगों को हर रोज ट्रैफिक के कुप्रबंधन से जूझना पड़ता है। सुप्रीम कोर्ट ने याची द्वारा पेश किए गए फोटो पर गौर किया और पाया कि मुख्य सड़क पर बसों और तिपहिया वाहनों का अंबार है। बेतरतीब तरीके से खड़ी बसें और तिपहिया ट्रैफिक जाम के लिए जिम्मेदार हैं। कौशांबी की सीमा पर अतिक्रमण गाजियाबाद नगर निगम में व्याप्त भ्रष्टाचार की कहानी कहता है। सड़क के किनारे रेहड़ी पटरी वालों को हटाने का कई बार प्रयास किया गया लेकिन नगर निगम की कृपा से वह हर बार अपना ठिया वहीं लगा लेते हैं।
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