पुलिस दावों पर उठते सवालों के बीच जांच टीम पहुंची JNU

Last Updated 11 Jan 2020 03:57:30 PM IST

जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) में नकाबपोश हमलावरों की पहचान को लेकर पुलिस के दावों पर उठ रहे सवालों के बीच शनिवार को एक बार फिर अपराध शाखा के उपाध्यक्ष जॉय टिर्की अपने टीम के साथ कैम्पस पहुंचे और हिंसा से जुड़े अन्य साक्ष्यों को जुटाने का प्रयास किया।


पुलिस सूत्रों ने बताया कि हिंसा वाले दिन ‘यूनिटी अगेंस्ट लेफ्ट’ नाम से एक व्हाट्सएप ग्रुप बनाया गया था। इस ग्रुप में 60 लोग हैं जिसमें से करीब 37 लोगों की पहचान हो गई। इनमें से कई लोग जेएनयू के छात्र नहीं है। इनमें से ज्यादातर लोगों के फोन बंद होने के कारण व्हाट्सएप ग्रुप में चिन्हित किये गए लोगों तक पहुंचने में देरी हो रही है। इसके साथ ही यह भी सामने आया है कि गत रविवार की हिंसा में करीब 10 से अधिक लोग बाहर से आए थे।

पुलिस ने कल पांच जनवरी के सिलसिलेवार घटनाओं के बारे में जानकारी दी थी और हिंसक घटनाओं में शामिल नौ लोगों की पहचान को उजागर किया था। इसके बाद जेएनयू छात्र संघ, शिक्षक संघ और कुछ राजनीतिक दलों ने पुलिस की जांच पर गंभीर सवाल उठाए थे।

इस बीच एक निजी समाचार चैनल पर जेएनयू हिंसा का स्टिंग ऑपरेशन दिखाया जिसमें रविवार शाम की घटना के लिए भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की छात्र इकाई अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) के दो छात्रों ने इसे स्वीकार किया जबकि ऑल इंडिया स्टूडेंट असोसिएशन (आईसा) की छात्र ने सर्वर को ठप करने की बात कबूली है।

स्टिंग ऑपरेशन के बाद जेएनयू छात्र संघ के पदाधिकारियों ने कहा कि वह घटना वाले दिन से ही हिंसा के लिए एबीवीपी के छात्रों को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं लेकिन पुलिस और प्रशासन की मिलीभगत के कारण जांच को गलत दिशा में ले जाया जा रहा है।

गौरतलब है कि गत रविवार जेएनयू में नकाबपोश हमले में छात्रसंघ की अध्यक्ष आइशा घोष समेत 34 लोग घायल हुए थे।
 

 

वार्ता
नयी दिल्ली


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