केन्द्र और दिल्ली के बीच प्रदूषण पर गरमाई सियासत
केंद्रीय पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल पर दिल्ली में प्रदूषण मुद्दे का ‘राजनीतिकरण’ करने का शनिवार को आरोप लगाया।
केंद्रीय पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर एवं दिल्ली के उप-मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया (फाइल फोटो) |
राजनीतिकरण न करें केजरीवाल
केजरीवाल ने स्कूली छात्रों से पराली जलाने के कारण हो रहे प्रदूषण को लेकर पंजाब और हरियाणा के मुख्यमंत्रियों को पत्र लिखने के लिए कहा है। इसके एक दिन बाद जावडेकर ने इस मुद्दे के ‘राजनीतिकरण’ के लिए उनकी निंदा की। उन्होंने कहा कियह बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है कि दिल्ली के मुख्यमंत्री प्रदूषण मुद्दे का राजनीतिकरण कर रहे है।
प्रदूषण पर अंतरराज्यीय बैठक शुरू : उन्होंने कहा कि वायु प्रदूषण एक ऐसी समस्या है जो पिछले 15 वर्षों में बिगड़ी है और अब नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा इसका निवारण किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि हमने एनसीआर के मंत्रियों और अधिकारियों की अंतर-राज्य बैठकें शुरू कर दी हैं। इस पर सभी पक्षों को एक साथ कार्य करने की जरूरत है।
केंद्र ने माना प्रदूषण की वजह है पराली : सिसोदिया
उप-मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने पड़ोसी राज्यों में किसानों के पराली जलाने से राजधानी में बढ़े प्रदूषण का ठीकरा केंद्र पर फोड़ दिया। केंद्र सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट में दिए गए शपथपत्र का जिक्र करते हुए कहा कि यह समस्या पराली के धुएं से ही पैदा हुई है। उन्होंने केंद्र सरकार से सवाल किया कि आखिर इस समस्या का समधान कब तक होगा। पार्टी मुख्यालय में आयोजित संवाददाता सम्मेलन में सिसोदिया ने आरोप लगाया कि प्रदूषण को लेकर केंद्र सरकार गंभीर नहीं है। यही वजह है कि मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल के बार-बार पत्र लिखने के बाद भी पर्यावरण मंत्रालय ने समय रहते कोई संज्ञान नहीं लिया।
सिसोदिया ने कहा कि सरकार के शपथपत्र से साफ हो गया है कि दिल्ली में 46 फीसद प्रदूषण पड़ोसी राज्यों में पराली जलाने से बढ़ा है। अब यह समस्या केवल दिल्ली की नहीं रह गई है, पूरा उत्तर भारत इस काले धुएं की चपेट में है। उन्होंने कहा कि प्रदूषण रोकने के लिए दिल्ली सरकार ने हर स्तर पर प्रयास किए हैं और इसमें दिल्लीवासी भी सरकार का सहयोग कर रहे हैं।
मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल की पहल पर अब ऑड-ईवन योजना लागू की जा रही है। उन्होंने दिल्ली के लोगों के सहयोग की सराहना करते हुए कहा कि इस बार लोगों के काफी कम पटाखे चलाए। सरकार की ओर से 24 घंटे बिजली की आपूर्ति सुनिश्चित की गई है, जिससे लोगों को जनरेटर आदि चलाने की जरूरत न महसूस हो। सिसोदिया ने तंज कसते हुए कहा कि दिल्ली के लोग लगातार सहयोग कर रहे हैं, लेकिन केंद्र सरकार ने इससे निपटने के लिए क्या किया।
ऐसे तो 60 साल लग जाएंगे : सिसोदिया ने कहा कि पराली के समाधान के लिए केंद्र सरकार अब तक मात्र 63,000 मशीनें ही बांट पाई है जबकि हरियाणा, पंजाब एवं उत्तर प्रदेश में इन किसानों की संख्या करीब 26 लाख है। इसी तरह से मशीनें बांटने का काम किया गया, तो इसमें केंद्र सरकार को 50 से 60 वर्ष लग जाएंगे।
पर्यावरण मंत्रालय ने बगैर सूचना के टाल दीं बैठकें : उप-मुख्यमंत्री ने कहा कि मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल ने केंद्रीय पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर को पत्र लिखकर इसके समाधान के लिए साझा बैठक बुलाने का आग्रह किया। मंत्रालय ने पहले 12 सितंबर को बैठक रखी और बाद में फोन पर मैसेज देकर बैठक टाल दी। उसके बाद 17 एवं 19 अक्टूबर को बैठक निर्धारित हुई, लेकिन इन बैठकों को भी टाल दिया। इससे पता चलता है कि केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय इस समस्या को लेकर कितना गंभीर है। सिसोदिया ने कहा कि इस गंभीर समस्या के समाधान के लिए भी जावड़ेकर के पास समय नहीं है।
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