दिल्ली में पटाखा बेचने के लिए नहीं मिला किसी को भी लाइसेंस
इस बार बगैर पटाखे के ही दिवाली मनानी होगी। अभी तक किसी भी कारोबारी को पटाखा बेचने का लाइसेंस नहीं मिला है, और शायद मिले भी नहीं।
पटाखा बेचने के लिए नहीं मिला किसी को भी लाइसेंस (सांकेतिक फोटो) |
वजह है लाइसेंस पाने की पहली शर्त ग्रीन पटाखा बेचने का शपथ पत्र देना। चूंकि अभी तक बाजार में ग्रीन पटाखे आए नहीं हैं, इसलिए किसी भी थोक कारोबारी को पटाखा बेचने का लाइसेंस नहीं मिला है।
वहीं दूसरी ओर जिन लोगों के पास पिछले साल के पटाखों का स्टाक बचा हुआ है वह चाहकर भी उसे न तो बेच सकते हैं और न ही उसे नष्ट कर सकते हैं। ऐसे में जिन लोगों के गोदाम में पटाखे पड़े हैं वह दोहरे तनाव में हैं। एक तो उसकी सुरक्षा को लेकर दूसरे उससे जो आर्थिक नुकसान हुआ है वह अलग है।
दिल्ली व्यापार महासंघ के अध्यक्ष देव राज बवेजा ने बताया कि इस बार सदर बाजार के 24 थोक कारोबारियों ने पटाखा बेचन के लिए आवेदन किया था। उन्हें लाइसेंस मिल भी जाता, लेकिन पुलिस ने कहा कि हम लाइसेंस तभी जारी करेंगे जब कारोबारी यह शपथ पत्र दें की वह सिर्फ ग्रीन पटाखों की ही बिक्री करेंगे। यह शर्त ऐसी है जिसे कोई कारोबारी पूरा नहीं कर सकता है। क्योंकि अभी तक मार्केट में ग्रीन पटाखे आए ही नहीं हैं तो फिर कोई ग्रीन पटाखा कैसे बेचेगा।
उन्होंने कहा कि तीन तारीख बीत गई और किसी को लाइसेंस नहीं मिला है और अब किसी को मिलता भी है तो कोई लाइसेंस नहीं लेगा। ऐसे में इस बार यह तय है कि बगैर पटाखे की ही दीवाली मनानी होगी।
बवेजा के अनुसार जिन लोगों के पास पटाखा बेचने के लिए स्थायी लाइसेंस था वह भी कैंसिल हो गया है। ऐसे लोगों ने दशहरा में जिन खुदरा कारोबारियों ने पटाखे खरीदे थे वह ज्यादा परेशान हैं क्योंकि उनके पास न तो वैसे गोदाम है, जहां पर उन्हें सुरक्षित रखा जा सके और न तो वह बेच सकते हैं और न ही उसे छोड़ सकते हैं। ऐसे लोगों का पैसा भी फंस गया है।
जानकारों की माने तो दिवाली के मौके पर दिल्ली एनसीआर में तीन सौ से लेकर पांच सौ करोड़ रुपए तक का पटाखे का कारोबार होता है। दिल्ली में पटाखे रोहतक से आते हैं और फिर यहीं से एनसीआर के शहरों तक पहुंचते हैं।
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