रविवार तक सुधर जाएगा दिल्ली का प्रदूषण स्तर : सफर
अर्थ साइंस मंत्रालय की संस्था सफर ने राजधानी में भारी प्रदूषण के मुख्य कारणों में पश्चिम एशिया में अक्टूबर के आखिर में आए धूल भरे तूफान और उत्तर के राज्यों में पराली जलाने को बताया है.
दिल्ली का प्रदूषण स्तर |
मंगलवार से राजधानी में छाई धुंध की चादर शुक्रवार को काफी हद तक कम हो गई और प्रदूषणकारी तत्वों में गिरावट दर्ज की गई है.
सिस्टम ऑफ एयर क्वालिटी एंड वैदर फोरकास्टिंग एंड रिसर्च (सफर) ने अपने पूर्वानुमान में कहा है कि शनिवार को हवा की गुणवत्ता गंभीर श्रेणी में बनी रह सकती है, लेकिन रविवार की रात तक यह एक स्तर सुधर कर बहुत खराब की श्रेणी में आ सकती है.
सफर की रिपोर्ट के मुताबिक नौ नवम्बर की सुबह से ऊपरी हवाएं लगातार धीमी हो रही हैं और इनकी रफ्तार पांच से सात किलोमीटर प्रति घंटा हो जाने से एनसीआर क्षेत्र में धूल की आंधी आने का कोई संकेत नहीं है. पराली जलाने में भी कमी आई है.
रिपोर्ट में कहा गया कि अक्टूबर के अंतिम सप्ताह में इराक, कुवैत और सऊदी अरब में आये धूल भरे तूफान से दिल्ली की हवा की गुणवत्ता पर काफी असर पड़ा. इस तूफान का असर नवम्बर के प्रथम सप्ताह तक पहुंच गया. इसमें कहा गया कि ठंडी हवाओं के साथ धूल भरी आंधी चली.
तापमान कम होने के साथ हवा और धूल के धीरे-धीरे खत्म होने के आसार थे लेकिन उस समय तक यह वातावरण के ऊपरी हिस्से में पहुंच गया जहां हवाएं बहुत शक्तिशाली यानी 15 से 20 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार वाली हो गयीं जिनकी दिशा भारत की ओर थी. इससे दिल्ली और एनसीआर के बड़े हिस्से पर असर पड़ा.
वायु गुणवत्ता सूचकांक अभी भी खतरनाक स्तर पर
शुक्रवार को लगातार चौथे दिन वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) गंभीर श्रेणी में रहा, लेकिन प्रदूषक तत्वों पीएम 2.5 और पीएम 10 आपात स्थिति से नीचे आने की दिशा में दिखाई दिए. वायु गुणवत्ता प्रबंधन के केंद्रीय नियंत्रण कक्ष के अनुसार शुक्रवार शाम करीब पांच बजे पीएम 2.5 और पीएम 10 का स्तर क्र मश: 570 और 413 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर दर्ज किया गया. आठ और नौ नवंबर की रात को इन प्रदूषक तत्वों का स्तर क्र मश: 850 से अधिक और 600 दर्ज किया गया था. सफर ने यह चेतावनी भी दी है कि एक नये पश्चिमी विक्षोभ की संभावना है जिससे वायु गुणवत्ता पर प्रतिकूल असर पड़ सकता है.
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