फलक के शरीर से कृत्रिम जीवनरक्षक प्रणाली हटाई गई

Last Updated 10 Feb 2012 09:45:24 PM IST

एम्स में जिंदगी और मौत के बीच झूल रही दो वर्षीय फलक के शरीर से कृत्रिम जीवनरक्षक प्रणाली को हटा लिया गया.


चिकित्सकों ने पाया कि अब वह खुद सांस ले सकती है.

फलक का इलाज कर रहे न्यूरोसर्जन दीपक अग्रवाल ने आज बताया कि उसके शरीर में संक्र मण का स्तर घटा है. उसके रक्त और सीने में अब कोई संक्र मण नहीं है.

डा. अग्रवाल ने कहा, ‘‘रक्त और सीने से लिए गए नमूनों की कल्चर रिपोर्ट कोई भी संक्र मण नहीं दर्शाती है. लेकिन उसके मस्तिष्क में संक्र मण अब भी बरकरार है. एकबार मस्तिष्क में संक्र मण कम हो जाए तो हम इस बात का फैसला कर सकते हैं कि अगली सर्जरी कब की जानी है.’’

फलक को 24 दिन पहले बुरी तरह घायल अवस्था में गत 18 जनवरी को अस्पताल में भर्ती कराया गया था. उसके सिर में कई जगह चोटें थीं. उसके दोनों हाथ टूटे हुए थे. उसके शरीर पर दांत से काटने के निशान थे और उसके गालों को गर्म इस्त्री से दागा गया था.

अस्पताल में भर्ती कराए जाने के तुरंत बाद उसके मस्तिष्क का ऑपरेशन किया गया था. बाद में दो और सर्जरी की गई थी. चिकित्सकों ने उसका ट्रैकियोस्टॉमी भी किया था.

डा. अग्रवाल ने कहा, ‘‘संक्र मण घटने से यह स्पष्ट है कि जो दवाएं उसे दी जा रही हैं उसका उसपर असर हो रहा है. जब तक मस्तिष्क का संक्र मण खत्म नहीं होता है तब तक उसकी हालत गंभीर बनी रहेगी.’’

हालांकि, चिकित्सक चिंतित हैं क्योंकि वह अब भी अचेतावस्था में है.

उन्होंने कहा, ‘‘तीन हफ्ते से अधिक समय से वह अचेत है. यह सही संकेत नहीं है.’’

उसका पितृत्व परीक्षण करने के लिए अस्पताल के फॉरेंसिक विभाग ने उसका डीएनए परीक्षण किया है.
 



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