अब बागी उम्मीदवारों को मनाने में जुटे भाजपा-कांग्रेस

Last Updated 31 Oct 2020 11:33:38 AM IST

मध्य प्रदेश में हो रहे विधानसभा उप-चुनाव में कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) बागी उम्मीदवारों को मनाने में जुटे हुए हैं। ये बागी नेता या तो निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर मैदान में हैं, या फिर जिन्हें बसपा और सपा ने उम्मीदवार बनाया है। इन बागियों से दोनों दलों को बड़े नुकसान की आशंका सताने लगी है।


राज्य में 28 विधानसभा क्षेत्रों में उप चुनाव हो रहे हैं और इनमें बड़ी संख्या में ऐसे क्षेत्र हैं जहां मुकाबला कांटे का है और किसी एक बागी के चलते चुनाव के नतीजे बदल सकते हैं। यही कारण है कि भाजपा और कांग्रेस अपने उन बागी उम्मीदवारों को मनाने में जुटी है, जो निर्दलीय अथवा सपा या बसपा के टिकट पर चुनाव मैदान में ताल ठोक रहे हैं।

भाजपा कांग्रेस के अलावा बसपा ने सभी 28 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे हैं, वहीं सपा ने भी 14 स्थानों पर अपने उम्मीदवार उतारे हैं। इसके अलावा भाजपा और कांग्रेस के कुछ नेता निर्दलीय के तौर पर मैदान में हैं। यह बागी नेता चुनाव का गणित बिगाड़ने में सक्षम हैं। यही कारण है कि दोनों प्रमुख दल भाजपा और कांग्रेस ऐसे बागियों को मना रही है। नाम वापसी की तारीख भले निकल गई हो, मगर राजनीतिक दलों को लगता है कि अगर यह उम्मीदवार अपना प्रचार बंद कर दें और मैदान से हटने की बात कर दें तो वह उनके लिए लाभदायक हो सकता है, इसीलिए यह कोशिशें हो रही हैं।

मुरैना जिले के अंबाह से सपा प्रत्याशी के रूप में चुनाव मैदान में उतरे बंसी लाल जाटव को भाजपा ने मनाने में कामयाबी हासिल की है। बंसीलाल ने सपा के उम्मीदवार के तौर पर नामांकन भरा था, बाद में उन्हें पार्टी की ओर से मनाया गया और वे भाजपा में पुन: शामिल हो गए हैं।

इसी तरह ग्वालियर से सपा के उम्मीदवार के तौर पर मैदान में उतरे रोशन बेग को भी कांग्रेस की ओर से मनाने की कोशिश हुई। पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह का बेग के साथ बातचीत का ऑडियो भी वायरल हुआ था। फिलहाल बेग चुनाव मैदान में डटे हुए हैं। इसी तरह अन्य निर्दलीय और बागी उम्मीदवारों को दोनों दल मना रहे हैं।

सपा के पूर्व प्रदेश प्रवक्ता यश भारतीय का कहना है कि भाजपा और कांग्रेस दोनों मिले हुए है, वे लोकतंत्र की हत्या करने में लगे हैं। इसके साथ वे किसी तीसरी ताकत को खड़ा भी नहीं होने देना चाहते, इसीलिए जब भी कोई व्यक्ति निर्दलीय या दूसरे दल से चुनाव लड़ता है तो उसे हटाने के प्रयास होते हैं।

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि जिन 28 विधानसभा क्षेत्रों में उप-चुनाव हो रहे हैं, उनमें से कम से कम 12 क्षेत्र ऐसे है जहां सपा और बसपा के उम्मीदवार चुनावी नतीजों को प्रभावित कर सकते हैं। यही कारण है कि भाजपा और कांग्रेस ऐसे उम्मीदवार को मनाने में लगे है जो उनके लिए चुनाव में नुकसानदायक हो सकते हैं। पार्टियों के तमाम बड़े नेता ऐसे बागियों को प्रलोभन भी दे रहे हैं। उसके बाद भी इतना तो तय है कि कई क्षेत्रों के चुनाव में हार-जीत के अंतर वाले वोट से ज्यादा वोट बसपा और सपा उम्मीदवार के खाते में आएंगे।

आईएएनएस
भोपाल


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