मध्यप्रदेश विधानसभा में सर्वसम्मति से पारित हुआ जीएसटी विधेयक

Last Updated 03 May 2017 04:48:19 PM IST

देश में कर प्रणाली में सुधार संबंधी मध्यप्रदेश माल और सेवा कर (जीएसटी) विधेयक-2017 बुधवार को विधानसभा में सर्वसम्मति से पारित कर दिया गया.


वित्त एवं वाणिज्यिक कर मंत्री जयंत मलैया (फाइल फोटो)

जीएसटी विधेयक को पारित करने के लिए आहूत विधानसभा की विशेष बैठक में वित्त एवं वाणिज्यिक कर मंत्री जयंत मलैया ने इसे सदन के समक्ष विचार के लिये पेश किया था.

प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस ने इसका समर्थन करते हुए इसके लिए संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन के योगदान का उल्लेख किया, वहीं सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी के विधायकों ने इसके लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को श्रेय देने का प्रयास किया.

विधेयक पर हुई चर्चा का जवाब देते हुए श्री मलैया ने कहा कि जीएसटी की एक खास बात यह भी है कि यह एक राष्ट्र एक कर प्रणाली है. इससे राज्यों के बीच टैक्स वार नहीं होगा. उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि आने वाली तकनीक आधारित यह व्यवस्था आर्थिक परिवर्तन के लिये मील का पत्थर साबित होगी.

श्री मलैया ने जीएसटी का इतिहास बताते हुए कहा कि देश में इसे वर्ष 2000 से लागू करने की बात कर रहे हैं. सबसे पहले पूर्व प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी के शासनकाल में इस प्रणाली को लेकर चर्चा शुरू की गयी. उन्होंने कहा कि जीएसटी संबंधी संविधान संशोधन विधेयक संसद की दोनों सदनों में पारित हुआ.

इसके फलस्वरूप केन्द्र एवं राज्यों को माल एवं सेवाओं पर कर लगाने की शक्तियां प्राप्त हुई हैं. जीएसटी कर प्रणाली 17 वर्ष की निरंतर मेहनत और गहन विश्लेषण का परिणाम है.

वाणिज्यिक कर मंत्री ने बताया कि मध्यप्रदेश वाणिज्यिक कर विभाग ने समय के अनुरूप इस कर व्यवस्था को लागू करने के लिये आवश्यक तैयारियां शुरू कर दी थीं. जीएसटी में आने वाली कठिनाइयों के निराकरण के लिये वाणिज्यिक कर विभाग ने मुख्यालय स्तर पर जीएसटी सहायता केन्द्र स्थापित किया है.

मध्यप्रदेश के वित्त एवं वाणिज्यिक कर मंत्री जयंत मलैया ने बताया कि जीएसटी प्रणाली के अंतर्गत 20 लाख रुपये से अधिक का वाषिर्क कारोबार करने वाले व्यापारियों का इसमें पंजीयन किया जाना है, जबकि वेट कानून में यह सीमा 10 लाख रुपये वाषिर्क थी. इस व्यवस्था में छोटे व्यापारियों को राहत दी गयी है. जीएसटी कानून में 50 लाख रुपये तक के व्यवसाय करने वाले व्यापारी बंधुओं के लिये एकमुश्त कर चुकाने की सुविधा भी दी गयी है.



श्री मलैया ने सदन को बताया कि इस व्यवस्था में अब अधिक से अधिक मां पांच प्रतिशत व्यवसायियों को प्रतिवर्ष असेसमेंट करना होगा. अब व्यवसायियों द्वारा भरा हुआ रिटर्न ही उनके कर निर्धारण का आधार होगा. उन्होंने बताया कि जीएसटी प्रणाली में अब उन्हें अलग-अलग टैक्स के अलग-अलग रिटर्न और चालान नहीं भरने होंगे, बल्कि एक ही रिटर्न और एक ही चालान से उनका विवरण पूर्ण हो जायेगा.

इससे पहले कांग्रेस के वरिष्ठ विधायक रामनिवास रावत ने चर्चा की शुरुआत करते हुए विधेयक में व्यक्ति की परिभाषा के तौर पर हिन्दू शब्द के उपयोग पर आपत्ति जताई. उन्होंने यह भी कहा कि इसे लागू करने के प्रावधान स्पष्ट नहीं हैं.

भाजपा के वरिष्ठ विधायक कैलाश विजयवर्गीय ने श्री मोदी की तारीफ करते हुए कहा कि जीएसटी को लागू करने के लिए उन्होंने सभी दलों में आम सहमति बनाई. इसके लागू होने से कर और महंगाई के मकड़जाल से व्यापारी और ग्राहक दोनों बाहर निकलेंगे. उन्होंने कहा कि टीम इंडिया देश के विकास का काम कर रही है.

विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह ने कहा कि 2004 में केंद्र की संप्रग सरकार जीएसटी लाई थी, तब गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री श्री मोदी 2006 से 2012 तक इसका विरोध करते रहे. इस पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने हस्तक्षेप करते हुए कहा कि हमारा जीएसटी से विरोध नहीं था, उस समय राज्यों के कुछ विषय थे जिसे लेकर आशंका थी. अब उनका समाधान हो गया है.

चर्चा के दौरान आसंदी पर विराजमान विधानसभा उपाध्यक्ष डॉ राजेंद्र कुमार सिंह विधेयक के बारे में टिप्पणी की कि इसकी बुनियाद पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने रखी, संप्रग सरकार ने भवन निर्माण किया और इसके इंटीरियर डेकोरेशन एवं गृहप्रवेश का काम वर्तमान सरकार कर रही है. कांग्रेस के मुकेश नायक, महेंद्र सिंह कालूखेड़ा, बाला बच्चन एवं जयवर्धन सिंह और भाजपा के यशपाल सिंह सिसोदिया ने भी चर्चा में भाग लिया.

वार्ता


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