मध्य प्रदेश: नशाबंदी पर शिवराज के बयान से गर्माई राजनीति

Last Updated 11 Apr 2017 03:52:58 PM IST

देश के कई प्रांतों में शराबबंदी के बाद मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इससे एक कदम आगे बढ़ कर प्रदेश में नशाबंदी का आंदोलन चलाए जाने और चरणबद्ध तरीके से शराबबंदी की बात कहने से इस मुद्दे पर राजनीति गर्मा गई है.


मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (फाइल फोटो)

चौहान ने रविवार को नर्मदा सेवा यात्रा के दौरान नरसिंहपुर जिले के नीमखेड़ा में कहा था कि प्रदेश में नशामुक्ति का आंदोलन चलेगा. प्रथम चरण में नर्मदा नदी के दोनों तट पर पांच-पांच किलोमीटर तक शराब की दुकानें एक अप्रैल से बंद कर दी गयी हैं. अब रिहायशी इलाकों, शिक्षण संस्थाओं और धार्मिक स्थलों के पास शराब की दुकानें नहीं खुलेंगी. चरणबद्ध तरीके से शराब की सभी दुकानें बंद कर प्रदेश में शराब-बंदी लागू की जाएगी.

हालांकि कई दिन से इस मुद्दे को लेकर लोगों के बीच आंदोलन कर रही कांग्रेस की प्रदेश इकाई के अध्यक्ष अरुण यादव ने इससे इत्तेफाक नहीं रखते हुए मुख्यमंत्री चौहान और प्रदेश के वित्त मंत्री जयंत मलैया के परस्पर विरोधाभासी कृत्य बताया है.

यादव ने कहा कि मुख्यमंत्री कहते कुछ हैं और करते कुछ और हैं. वे शराब की दुकानों को नर्मदा परिक्रमा मार्ग से हटाने की बात कर रहे हैं, लेकिन उन्हीं के वित्त मंत्री रिहायशी बस्तियों और शिक्षण संस्थानों के आसपास शराब की दुकानें खोल रहे हैं. कांग्रेस इस मुद्दे को लेकर अगले कुछ दिन में ब्लॉक स्तर तक आंदोलन शुरू करेगी.

शराब के विरोध को पार्टी का पुराना रुख बताते हुए यादव ने कहा कि विधानसभा चुनाव के दौरान पार्टी इसे एक प्रमुख मुद्दे की तरह लेगी. पार्टी की सरकार बनने पर पूरे प्रदेश को शराबमुक्त कर दिया जाएगा.

वहीं मार्क्‍सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के राज्य सचिव बादल सरोज ने भी इसे मुख्यमंत्री का ‘लोकलुभावन बयान’ कहा है.

सरोज ने कहा कि मुख्यमंत्री स्वयं को लोकलुभावन बयान तक ही सीमित रखे हुए हैं. मध्य प्रदेश देश का एकमात्र ऐसा राज्य है, जहां दूध की दुकानें रात नौ बजे बंद हो जातीं हैं, लेकिन शराब की दुकानें सरकारी आज्ञा से 12 बजे तक खुली रहती हैं. मुख्यमंत्री ने क्रमिक तौर पर दुकानें बंद करने की बात कही है, ये विचार खराब नहीं है, लेकिन महज इस प्रयास से शराबबंदी नहीं हो सकती.

दूसरी ओर भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता रजनीश अग्रवाल ने कहा कि मुख्यमंत्री चौहान नशाबंदी का आह्वान कर रहे हैं, जो सामाजिक जागरुकता और जनता के साथ मिलकर चलने वाला अभियान है.

कांग्रेस द्वारा इसे अगले विधानसभा चुनाव में एक मुख्य मुद्दा बनाए जाने की बात पर उन्होंने कहा कि विपक्षी दल के लिए शराबबंदी महज एक राजनीतिक प्रचार का हथकंडा हो सकती है, जबकि कांग्रेस शासित राज्यों में शराबबंदी को लेकर कोई पहल नहीं हुई है, लेकिन मुख्यमंत्री नशामुक्ति की ओर काम कर रहे हैं.

उन्होंने शैक्षणिक, धार्मिक और अन्य सामाजिक महत्वों के स्थानों के नजदीक की शराब दुकानें हटाने के निर्देश दिए हैं. नर्मदा किनारे की 65 शराब दुकानें हटाई जा चुकी हैं. इस अभियान में जनता के भी जागरुक होने की बेहद जरूरत है. प्रदेश में पिछले कुछ सालों में शराब की कोई नई दुकान खुली भी नहीं है.

प्रदेश में पिछले कुछ दिन से विभिन्न जिलों से शराब की दुकानों के आम जनता के विरोध करने की खबरें सामने आ रहीं थीं. उच्चतम न्यायालय के निर्देशों के बाद शराब की दुकानों का स्थानांतरण हो रहा था, ऐसे में कई स्थानों पर इन प्रस्तावित दुकानों के आसपास के लोग इनके विरोध में आ खड़े हुए थे. राजधानी भोपाल समेत विदिशा, बैतूल, सागर से लेकर आदिवासियों की बहुतायत वाले डिंडोरी और मंडला जैसे जिलों में भी महिलाओं ने ऐसे आंदोलनों की अगुवाई की थी.

वहीं रायसेन जिले के बरेली समेत कई स्थानों से हिंसक प्रदर्शन और लोगों के घायल होने संबंधित खबरें भी सामने आईं थीं. लगातार होते प्रदर्शनों को देखते हुए प्रदेश में भी पूर्ण शराबबंदी की मांग जोर पकड़ने लगी थी.

वार्ता


Post You May Like..!!

Latest News

Entertainment