झारखंड: काले चावल की खेती से आयेगा किसानों के जीवन में उजाला

Last Updated 19 Oct 2021 04:36:39 PM IST

झारखंड के पलामू-गढ़वा में काली धान की खेती ने किसानों की उम्मीदें हरी कर दी हैं। इन दोनों जिलों में लगभग 22 एकड़ भूमि में पहली बार काले धान की फसल लहलहा रही है।


झारखंड: काले चावल की खेती

फसल पूरी तरह पकने में लगभग 20 दिनों का वक्त बाकी है। इस दौरान मौसम अनुकूल रहा तो इसकी खेती करने वाले किसानों के घर इस बार दिवाली-छठ में सच्चे अर्थों में लक्ष्मी आयेगी। काली धान और इससे तैयार होने वाला चावल सामान्य श्रेणी के धान-चावल की तुलना में तीस से चालीस गुणा ज्यादा कीमत पर बिकता है। पहली बार काले धान की खेती करने वाले किसान उत्साहित हैं। अगर यह प्रयोग सफल रहा तो सूखे की त्रासदी के लिए जाने जाने वाले गढ़वा-पलामू के किसानों की जिंदगी बदल सकती है। बहरहाल, काली धान की लहलहाती फसल देखने के लिए हर रोज कई किसान पहुंच रहे हैं। इलाके में काली धान की खेती का यह प्रयोग गढ़वा के श्री बंशीधर नगर प्रखंड के पाल्हेकला गांव निवासी सेवानिवृत्त शिक्षक-किसान हृदय नाथ चौबे एवं रवीन्द्र नाथ चौबे और पलामू के हुसैनाबाद प्रखंड अंतर्गत वीर कुंवर सिंह कृषक सेवा सहकारी समिति लिमिटेड डूमरहाथा ने किया है। गढ़वा में लगभग दो एकड़ और पलामू में लगभग 20 एकड़ भूमि पर काली धान की खेती हुई है। लगभग डेढ़ दर्जन किसानों ने बड़ी लगन और उम्मीद के साथ यह पहल की है।

एग्रीकल्चरल टेक्नोलॉजी मैनेजमेंट एजेंसी गढ़वा जिला इकाई के तकनीकी विशेषज्ञ दयानंद पाण्डेय बताते हैं कि किसानों ने इस प्रयोग की योजना बनायी, तो हम सभी ने हर तरह की तकनीकी मदद उपलब्ध कराने की कोशिश की है। कृषि विभाग के बड़े अफसर भी इसे लेकर उत्साहित हैं। किसान हृदय नाथ चौबे ने कहा कि उम्मीदों के अनुरूप फसल मिली तो अगले बरस से पूरे इलाके में इसकी व्यापक खेती शुरू हो जायेगी। उन्होंने बताया कि हमारे गांव पाल्हेकला में काली धान की दो प्रजातियों चाकहाव एवं कलावंती के बीज लगाये गये हैं। इसमें पहली प्रजाति का पौधा हरा और बालियां काली हैं, जबकि दूसरी प्रजाति के पौधे और बालियां दोनों काले रंग के हैं।

पलामू जिले के हुसैनाबाद प्रखंड क्षेत्र के दंगवार एवं डूमरहाथा के किसानों काला धान की चखाउ एवं काला नमक किरण प्रजाति के पौधे लगाये हैं। डूमरहाथा, बरवाडीह, नदियाइन, मंगलडीह, बडेपुर, बुधवा, चौखंडी, सोनबरसा आदि गांवों में सोलह किसानों से 10 कट्ठा से 3 एकड़ क्षेत्र में इसके पौधे लगाये हैं। डुमरहाथा में किसानों की सहकारी समिति के अध्यक्ष प्रियरंजन सिंह ने बताया बिहार कृषि विश्वविद्यालय, सबौर भागलपुर से उन्हें काले धान की खेती के संबंध में जानकारी मिली थी। इसके बाद उन्होंने समिति से जुड़े किसानों के साथ मिलकर आसाम से एक क्विंटल काला धान का बीज मंगाया। पूरी खेती विधि से की गयी है, और अब तक फसल काफी अच्छी स्थिति में है। उन्होंने बताया कि बाजार में इस धान का चावल 300 से लेकर 500 रुपये किलो तक बिकता है, वहीं विदेशों में भी इस चावल की काफी मांग है। हालांकि इसकी पैदावार सामान्य धान की तुलना में थोड़ी कम होती है, लेकिन इसकी कीमत अधिक होने के कारण किसानों को बेहतर लाभ होता है। काला चावल शुगर फ्री तो है ही साथ ही साथ इसमें एंटी ऑक्सीडेंट सहित कई अन्य औषधीय गुण भी हैं, जिसकी वजह से यह महंगा बिकता है।

पलामू के आयुक्त जटा शंकर चौधरी कहते हैं कि प्रगतिशील किसानों की इस पहल ने पूरे इलाके के लिए बड़ी उम्मीद जगायी है। इससे धान की खेती करने वालों की आमदनी में उत्साहजनक वृद्धि हो सकती है।

आईएएनएस
रांची


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