झारखंड : हथिनी की मौत मामले में विधायक सरयू राय ने लिखा मुख्यमंत्री को पत्र

Last Updated 20 Jul 2020 03:44:39 PM IST

झारखंड के लातेहार जिले के बेतला नेशनल पार्क में एक हाथी की मौत का मामला अब तूल पकड़ने लगा है। पर्यावरण संतुलन के लिए लगातार काम करने वाले विधायक और राज्य के वरिष्ठ नेता सरयू राय ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को पत्र लिखकर पलामू टाइगर रिजर्व के बेतला में मुरकट्टी नामक स्थान पर मृत पायी गई हथिनी की मौत की उच्चस्तरीय जांच की मांग की है।


उन्होंने दोषियों को चिन्हित कर कार्रवाई की मांग करते हुए कहा कि ऐसा नहीं हुआ तो राज्य के वन्यप्राणियों और खासकर पलामू टाइगर रिजर्व (पीटीआर) के जीवों को काफी नुकसान होगा।

पूर्व भाजपा नेता सरयू राय ने पत्र में कहा है कि मृत हथिनी के सिर (खोपड़ी) पर गहरा घाव पाया गया है। हाथी की खोपड़ी काफी मजबूत होती है, सामान्य प्रहार से उसे छेदना नामुमकिन है। हाथी की खोपड़ी पर ऐसा घाव कम से कम थ्री-नॉट-थ्री बुलेट से ही हो सकता है।

उन्होंने पत्र में कहा, "पोस्टमार्टम के दौरान पता चला कि घाव काफी गहरा है फिर भी पोस्टमार्टम करने वाले पशु चिकित्सक ने अपनी रिपोर्ट में इसका जिक्र नहीं किया है। पोस्टमार्टम रिपोर्ट के अनुसार हथिनी की मौत लीवर की बीमारी से हुई है। ऐसी स्थिति में इस पोस्टमार्टम रिपोर्ट की पोस्टमार्टम होनी चाहिए।"

उल्लेखनीय है कि हथिनी की मौत के बाद से ही वन्यप्राणी प्रेमी इस मामले की उच्चस्तरीय जांच की मांग कर रहे हैं। वे हथिनी को गोली मारने या किसी नुकीले हथियार से मारे जाने की आशंका जता चुके हैं।

पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में सक्रिय राय ने आगे कहा कि कुछ दिनों पहले पीटीआर में एक बाघिन की भी मौत हो गयी थी। उसके बाद तीन गौर (बाइसन) की भी विवादस्पद मौत हुई थी।

राय ने आशंका प्रकट की है कि पीटीआर में कोई शिकारी गिरोह प्रवेश कर गया है जो वन्य जीवों की सुनिश्चित हत्या कर रहा है वहीं अधिकारी इस गिरोह को पकड़ नहीं पा रहे हैं।

राय ने पत्र में आगे लिखा है, "वे (अधिकारी) वस्तुस्थिति को स्वीकार करने के लिए भी तैयार नहीं हैं। उनकी रुचि ऐसी घटनाओं को दबाने और कमतर बताने में है, यह ठीक नहीं है।"

राय ने अपने पत्र में वन विभाग के तत्कालीन अधिकारियों पर बाघिन की मौत की शर्मनाक घटना पर लीपा-पोती करने का आरोप भी लगाया।

उन्होंने बताया कि इस संबंध में विधानसभा में एक ध्यानाकर्षण प्रस्ताव भी दिया गया था, लेकिन कोविड-19 की वजह से समय से पूर्व सत्रावसान के कारण उस पर चर्चा नहीं हो सकी। सरकार की ओर से दिया गया जबाव भी गुमराह करने वाला है। राय ने स्पष्ट कहा कि बाघिन की मौत का कारण वह नहीं है जो वन अधिकारियों ने सदन में लिख कर दिया है।

उल्लेखनीय है कि लातेहार जिले के बेतला नेशनल पार्क में 14 जुलाई की सुबह गश्त पर निकले वनकर्मियों ने हाथी का शव देखा था, इसके बाद घटना की जानकारी वन विभाग के वरीय अधिकारियों को दी गई थी।
 

आईएएनएस
रांची


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