झारखंड में पांच विपक्षी विधायक भाजपा में शामिल हुए

Last Updated 23 Oct 2019 01:15:02 PM IST

झारखंड में आगामी विधानसभा चुनावों से ठीक पहले, मुख्यमंत्री रघुवर दास की उपस्थिति में कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सुखदेव भगत समेत दो विधायकों, झामुमो के दो विधायकों,एक निर्दलीय विधायक तथा दो पूर्व अधिकारियों समेत 9 नेताओं ने बुधवार को भाजपा का दामन थाम लिया।


मुख्यमंत्री रघुवर दास तथा भाजपा के प्रदेश प्रभारी तथा बिहार के वरिष्ठ भाजपा नेता नंदकिशोर यादव की उपस्थिति में आज कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष एवं लोहरदगा से विधायक सुखदेव भगत, बरही से कांग्रेस विधायक मनोज यादव, झारखंड मुक्ति मोर्चा के बहरागोड़ा से विधायक कुणाल सारंगी, मांडू से झामुमो विधायक जयप्रकाश भाई पटेल एवं राज्य के पूर्व कैबिनेट मंत्री तथा नौजवान युवा मोर्चा के अध्यक्ष भानु प्रताप शाही आज यहां प्रदेश भाजपा कार्यालय में आयोजित कार्यक्रम में भाजपा में शामिल हो गए।     

इसी कार्यक्रम में प्रदेश के पूर्व पुलिस महानिदेशक दिनेश कुमार पांडे, पूर्व वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी सुचित्रा सिन्हा, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एवं पूर्व पुलिस अधिकारी अरुण उरांव, कांग्रेस के एक अन्य वरिष्ठ नेता बजरंगी यादव और आरपी सिन्हा भी आज भाजपा में शामिल हुए।     

कार्यक्रम में जहां मुख्यमंत्री रघुवर दास ने दावा किया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह के नेतृत्व से प्रभावित होकर एवं भाजपा की नीतियों के चलते विभिन्न दलों के लोग भाजपा की ओर आकषिर्त हो रहे हैं वहीं राज्य की विपक्षी पार्टियों कांग्रेस एवं झामुमो ने इसे नेताओं की मौका परस्ती करार दिया है। दोनों ही विपक्षी पार्टियों ने दावा किया है कि उनके नेताओं के भाजपा में शामिल होने से उन्हें कोई नुकसान नहीं होगा। 

झामुमो के कार्यकारी अध्यक्ष हेमंत सोरेन ने दावा किया कि उनकी पार्टी से भाजपा में जाने वाले मांडू विधायक जयप्रकाश भाई पटेल को झामुमो से पहले ही निष्कासित किया जा चुका है जबकि कुणाल का फैसला अवसरवाद से प्रभावित है। 

उन्होंने कहा कि इन विधायकों के जाने से पार्टी की सेहत पर कोई असर नहीं पड़ेगा। कांग्रेस के प्रवक्ता आलोक दूबे ने दावा किया कि भाजपा अब अपराधियों, मौकापरस्तों एवं दलबदलुओं का अड्डा बन कर रह गयी है। 

मुख्यमंत्री दास ने कहा कि कांग्रेस और झामुमो के परिवारवाद और देश विरोधी नीतियों से वहां के अनेक नेता और कार्यकर्ता बुरी तरह निराश हैं जबकि भाजपा की राष्ट्रवादी नीतियों से प्रभावित नेता पार्टी की सदस्यता ग्रहण कर रहे हैं।    

 उल्लेखनीय है कि वर्ष 2014 में दिसंबर में हुए विधानसभा चुनाव के कुछ माह बाद ही झारखंड विकास मोर्चा के 8 विधायकों में से 6 विधायक दल बदल कर भाजपा में शामिल हो गए थे । 

राज्य की वर्तमान 81 सदस्यीय विधानसभा में झारखंड मुक्ति मोर्चा के 19 विधायक और कांग्रेस के 9 विधायक थे। आज हुए घटनाक्रम के बाद उनकी संख्या घटकर क्रमश: 17 एवं 7 रह गई है।

विपक्षी दलों के विधायकों के पाला बदलने के बाद भाजपा में भी उथलपुथल की आशंका है। जिन विधानसभा सीटों पर विजयी विपक्ष के विधायक भाजपा में शामिल हुए हैं उन सीटों पर उम्मीदवार रहे भाजपा के नेताओं के विद्रोह की आशंका है। विपक्षी दलों की उन पर नजर है।  झामुमो विधायक कुणाल षाड़ंगी भाजपा में शामिल होने से पूर्व झामुमो के कार्यकारी अध्यक्ष हेमंत सोरेन से मुलाकात करने पहुंचे। कुणाल के पिता दिनेश षाड़ंगी पूर्व में भाजपा नेता रहे हैं और अलग झारखंड बनने के बाद बाबूलाल मरांडी और बाद में अजरुन मुंडा के नेतृत्व वाली सरकार में भी वह मंत्री रहे थे।

विधायक चमरालिंडा भी हेमंत से मिलने उनके आवास पर पहुंचे जिसके बाद उन्होंने दावा किया कि वह पार्टी छोड़कर नहीं जाएंगे। आज हुआ भी ऐसा ही, क्योंकि पूर्व कार्यक्रम के अनुसारलिंडा भी भाजपा में शामिल होने पार्टी कार्यालय पहुंचने वाले थे। लेकिन अंतत: वह पार्टी कार्यालय नहीं पहुंचे।

कांग्रेस के जरमुंडी विधायक बादल पत्रलेख भी भाजपा कार्यालय नहीं पहुंचे जबकि पहले सूत्रों ने उनके भी भाजपा में शामिल होने का दावा किया था। कांग्रेस और झामुमो के ये सभी विधायक पिछले एक माह से ज्यादा समय से भाजपा के संपर्क में थे। अंतिम समय तक कांग्रेस ने अपने विधायकों को रोकने की बहुत कोशिश की लेकिन वह असफल रही।  बुधवार को विपक्षी नेताओं को पार्टी में शामिल करने और सदस्यता ग्रहण समारोह को लेकर भाजपा ने काफी सतर्कता बरती और अंत तक उन्होंने किसी को शामिल होने वाले नेताओं के नाम आधिकारिक तौर पर नहीं बताये।  

बताया जाता है कि दलबदल करने वाले विधायक इस शर्त पर भाजपा में शामिल हुए हैं कि उन्हें मनपसंद सीट से पार्टी का टिकट मिलेगा। कुछ नेताओं को मंत्री बनाने का भी वादा किया गया है।  जो विधायक भाजपा में शामिल हुए उनकी मुख्यमंत्री रघुवर दास से कई दौर की मुलाकात हो चुकी थी। राज्य में नवंबर-दिसंबर में चुनाव होने की संभावना है क्योंकि पिछली विधानसभा का कार्यकाल 28 दिसंबर तक है।

 

भाषा
रांची


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