गोवा में खनन पर कोर्ट के फैसले ने मेरे रूख की पुष्टि की: पार्रिकर

Last Updated 24 Apr 2014 01:24:50 PM IST

गोवा के मुख्यमंत्री मनोहर पार्रिकर ने कहा कि राज्य सरकार पहले ही खनन पर एसआईटी का गठन कर चुकी है और जांच भी करनी शुरू कर दी है.


Manohar Parrikar (file photo)

पार्रिकर ने कहा कि खनन मामले में उच्चतम न्यायालय के फैसले से उनके इस रूख की पुष्टि हुई कि पुलिस द्वारा उचित जांच के बिना न्यायमूर्ति एमबी शाह जांच आयोग द्वारा आरोपी बनाए गए लोगों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की जा सकती.

उच्चतम न्यायालय ने अपने फैसले में गोवा में खनन को मंजूरी दे दी लेकिन साथ ही कुछ प्रतिंबध लगाए हैं.

फैसले को लेकर प्रतिक्रिया देते हुए पार्रिकर ने कहा, ‘अदालत ने कहा कि जब तक पक्षों को नहीं सुना जाता, वह उनके खिलाफ अभियोग नहीं चला सकती और इसलिए सरकार को किसी के भी खिलाफ मुकदमा चलाने के निर्देश नहीं दे सकती.’

मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार पहले ही एक विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन कर चुकी है जिसने अवैध खनन घोटाले की जांच करनी शुरू कर दी है.

एसआईटी के सदस्यों की संख्या बढ़ाने की जरूरत की बात स्वीकारते हुए पार्रिकर ने कहा कि राज्य गृह मंत्रालय कथित घोटाले की जांच के लिए सात और अधिकारियों की मंजूरी दे सकता है.

उन्होंने दावा किया कि अदालत का आदेश उनके उस रूख की पुष्टि करता है कि जब तक उचित जांच प्रक्रिया द्वारा आरोपी के खिलाफ पर्याप्त सबूत नहीं जुटाए जाते तब तक कार्रवाई नहीं की जा सकती.

पार्रिकर ने कहा, ‘मैं पिछले दो सालों से यही कहता आ रहा हूं.’ खनन घोटाले में कथित तौर पर शामिल होने के लिए एसआईटी पहले ही पूर्व खनन एवं भूविज्ञान निदेशक अरविन्द लोलिएनकर को गिफ्तार कर चुकी है. लेकिन आयोग की रिपोर्ट में आरोपी बनाए गए तत्कालीन मुख्यमंत्री दिगम्बर कामत और खनन मालिकों की गिरफ्तारी में देरी के लिए सामाजिक कार्यकर्ताओं और पर्यावरणविदों ने सवाल उठाए हैं.

उच्चतम न्यायालय ने अपने आदेश में कहा कि जांच आयोग अधिनिमय, 1952 की धारा 8बी के तहत प्रावधान है कि अगर जांच द्वारा किसी व्यक्ति के प्रतिकूल रूप से प्रभावित होने की संभावना हो तो आयोग उस व्यक्ति को सुनवाई का और अपने बचाव में सबूत रखने का उचित मौका देगा.

गोवा सरकार ने अदालत के समक्ष अपने रूख में कहा था कि ‘खुद तथ्यों की जांच, खनन पट्टीदारों को सुनवाई का मौका और अपने बचाव में सबूत रखने का मौका दिए बिना केवल न्यायमूर्ति शाह आयोग की जांच के आधार पर खनन पट्टीदारों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की जाएगी.’

राज्य सरकार के रूख को बरकरार रखते हुए अदालत ने कहा कि वह न्यायमूर्ति शाह आयोग की रिपोर्ट के निष्कषों के आधार पर खनन पट्टीदरों के खिलाफ मुकदमा चलाने का निर्देश नहीं दे सकती.



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