Chhattisgarh के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल क्यों चले राम की राह?

Last Updated 26 Apr 2023 03:45:53 PM IST

इस साल के अंत तक छत्तीसगढ़ में विधानसभा के चुनाव होने वाले हैं। वर्तमान मुख्यमंत्री भूपेश बघेल अपनी सरकार द्वारा कराये गए कार्यों को लेकर चुनाव मैदान में उतरने की तयारी कर चुके हैं। साथ ही साथ उन्होंने पुरुषोत्तम राम की माता कौशल्या के नाम पर कई योजनाएं चलाकर भाजपा के धार्मिक मुद्दे को भी पकड़ लिया है।


Chhattisgarh के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल क्यों चले राम की राह?

दूसरी तरफ कभी डॉ रमन सिंह के नाम पर चुनाव लड़ने वाली भाजपा, आज बिना किसी मुख्यमंत्री के चेहरे ही चुनाव मैदान में उतरने की तैयारी कर रही है। ऐसे में सवाल उठ रहे हैं कि इस बार भाजपा सीएम भूपेश बघेल का मुकाबला कैसे करेगी? छत्तीसगढ़ भाजपा का ऐसा कौन सा नेता है, जो भूपेश बघेल के सामने मुख्यमंत्री का चेहरा होगा?

छत्तीसगढ़ में इसी साल नवम्बर तक विधान सभा का चुनाव होना है। लगातार 15 वर्षों तक सरकार चलाने वाली भाजपा को हराकर कांग्रेस 2918 में छत्तीसगढ़ की सत्ता पर काबिज हुई थी। भूपेश बघेल मुख्यमंत्री बने थे।  तबसे लेकर अब तक भूपेश बघेल वहां कई ऐसे काम कर चुके हैं, जिनकी तारीफ़ वहां की जनता कर रही है।  हालांकि बीच में उनकी सीएम की कुर्सी को लेकर कुछ खींचतान हुई थी। टीएस सिंह देव ने कुछ समय के लिए  बगावती तेवर अपना लिया था। टीएस सिंह देव मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठने को आमादा हो गए थे, लेकिन भूपेश बघेल ने उस मामले को बड़ी ही चतुराई से सुलझा लिया था।

कांग्रेस की तरफ से यह तय है कि इस बार भूपेश बघेल के नाम पर ही चुनाव लड़ना है। दूसरी तरफ इस बार भाजपा किसी चेहरे के नाम पर चुनाव लड़ने नहीं जा रही है। कुछ दिन पहले छत्तीसगढ़ के दौरे पर गए वहां के भाजपा प्रभारी ओम माथुर ने भी स्पष्ट कर दिया था कि उनकी पार्टी छत्तीसगढ़ में किसी चेहरे के नाम पर चुनाव नहीं लड़ेगी। हालांकि मीडियाकर्मियों के एक सवाल के जावब में उन्होंने साफ़ कह दिया था कि पार्टी प्रधानमंत्री के नाम पर और केंद्र सरकार की लोक कल्याणकारी योजनाओं के नाम पर चुनाव लड़ेगी। पार्टी सबका विकास, सबका साथ और और सबका विश्वास वाले फार्मूले पर चुनाव मैदान में में उतरेगी।

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने अन्य कार्यों के साथ-साथ इस बार भाजपा का एक धार्मिक मुद्दा भी पकड़ लिया है।  उन्होंने वहां स्थित कौशल्या माता के मंदिर का ना सिर्फ जीर्णोद्धार करवाया बल्कि कमल विहार योजना का नाम बदलकर कौशल्या विहार कर दिया। इसके अलावा मुख्यमंत्री ने घोषणा कर दी है कि भगवान राम छत्तीसगढ़ के जिन-जिन रास्तों से होकर गुजरे होंगे, उन सभी रास्तों का कायाकल्प किया जाएगा और उन रास्तों पर जगह- जगह रामपथ गमन के बोर्ड लगाए जाएंगे। यानी अपनी कुशल कार्यशैली से छत्तीसगढ़ के जनता के बीच अपनी पैंठ बना चुके, भूपेश बघेल अब धार्मिक मामले को लेकर बड़ी ही संजीदगी से आगे बढ़ रहे हैं। ऐसे में भाजपा के लिए वह एक बड़ी चुनौती बन चुके हैं।

दूसरी तरफ भाजपा का ऐसा कोई स्थानीय नेता नहीं है जो उनके सामने खड़ा हो सके। हालांकि चुनाव में परीक्षा, दोनों ही पार्टियों की होने वाली है। कांग्रेसी और भूपेश बघेल के सामने जहां अपनी सत्ता को बचाए रखने की चुनौती होगी वहीं भाजपा सत्ता पर काबिज होकर यह बताने की कोशिश करेगी कि आज भी देश में केंद्र सरकार की योजनाओं को लोग पसंद कर रहे हैं। देशभर के लोग प्रधानमंत्री मोदी को पसंद कर रहे हैं। लेकिन चुनाव वहां  विधानसभा का है।

ऐसे में मोदी के चेहरे के साथ-साथ वहां की जनता वोट करते समय, भूपेश बघेल का चेहरा भी देखेगी, और उनके कार्यों की समीक्षा भी करेगी। भूपेश बघेल की राहें भले ही आसान लग रही हो, लेकिन उनकी  राह के कांटे भाजपा से ज्यादा उनकी पार्टी के नेता ही बनेंगे। देखना या भी दिलचस्प होगा कि टी एस सिंह देव, जो भूपेश बघेल से नाराज चल रहे हैं इस बार के चुनाव में वह किस तरह की भूमिका अदा करते हैं।

शंकर जी विश्वकर्मा
नई दिल्ली


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