बिहार में कार्तिक सिंह को विधि मंत्री बनाकर घोंटा कानून का गला- सुशील मोदी

Last Updated 17 Aug 2022 09:09:34 PM IST

बिहार के विधि मंत्री कार्तिक सिंह का नाम अपहरण के एक मामले में सामने आया था, अब वारंट जारी होने के बाद सरकार की किरकिरी हो रही है। राज्य की विपक्षी पार्टी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) इस मामले को लेकर आक्रामक है, वहीं मुख्यमंत्री ने कहा कि उन्हें इसकी जानकारी नहीं।


बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री एवं राज्यसभा सदस्य सुशील कुमार मोदी

इधर, कार्तिक सिंह ने एक बयान जारी कर सफाई देते हुए कहा कि उन्हें बेवजह इस मामले में घसीटा जा रहा है। बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री एवं राज्यसभा सदस्य सुशील कुमार मोदी ने कहा कि जिस कार्तिक सिंह को हत्या की नीयत से अपहरण के मामले में इसी 16 अगस्त को आत्मसमर्पण करना था, उन्हें उसी दिन कानून मंत्री बनवा कर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बिहार में दहशत वाले 'लालू राज' की वापसी पक्की कर दी।

मोदी ने कहा कि मोकामा के बाहुबली अनंत सिंह के बिजनेस पार्टनर कार्तिक कुमार सिंह को अग्रिम जमानत देने की याचिका पटना उच्च न्यायालय खारिज कर चुका है। उनके अपराध का संज्ञान (क्वाशिंग ऑफ काग्निजेंस) निरस्त करने संबंधी याचिका भी खारिज हो चुकी है।

मोदी ने कहा कि जब विधायक कार्तिक सिंह के विरुद्ध दायर आरोपपत्र पर संज्ञान लिया जा चुका है और हाई कोर्ट ने अभियुक्त को किसी प्रकार की राहत देने से इन्कार कर दिया है, तब कोई निचली अदालत उन्हें गिरफ्तारी से छूट जैसी राहत कैसे दे सकती है?

उन्होंने आरोप लगाया कि नीतीश कुमार ने कानून की नजर में अभियुक्त व्यक्ति को ही कानून मंत्री बनाकर संविधान और कानून का गला घोंटने की कोशिश की है।

मोदी ने कहा कि जब बाहुबलियों को मंत्री बना दिया गया है, तब बिहार में उद्योग लगाने कौन आएगा?

उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार को कानून-व्यवस्था और विकास के जिन दो मुद्दों पर जनता का समर्थन मिला था, उन दोनों मुद्दों पर उन्होंने 12 करोड़ लोगों से विश्वासघात किया। वे अब एक कमजोर, जनाधारहीन और प्रतीकात्मक मुख्यमंत्री हैं।

इधर, मुख्यमंत्री से बुधवार को पत्रकारों ने इस संबंध में पूछा तो उन्होंने कहा कि उन्हें इसकी जानकारी नहीं है।

इधर, कार्तिक सिंह ने कहा कि इन आरोपों को गलत और तथ्यहीन है। एक प्रेस बयान जारी कर उन्होंने कहा कि तथाकथित बिहटा काण्ड संख्या 859 वर्ष 2014 में मैं नामजद अभियुक्त नहीं हूँ। प्राथमिकी दर्ज होने के करीब 10 महीना बाद राजीव कुमार द्वारा 164 के बयान में मेरा नाम बिना किसी आधार के जोड़ दिया गया है। पुलिस ने अपने विस्तृत अनुसंधान में उस तथाकथित घटना में मेरी संलिप्तता का कोई साक्ष्य नहीं पाया।

आईएएनएस
पटना


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