बिहार चुनाव : आरएलएसपी उम्मीदवारों के चयन में दिखा जाति समीकरण

Last Updated 17 Oct 2020 01:49:20 PM IST

राजनीतिक दलों के इस दावे के बावजूद कि बिहार में इस साल होने वाले विधानसभा चुनाव में विकास मुख्य मुद्दा होगा, जातिगत राजनीति का निर्णायक भूमिका निभाना जारी है।


आरएलएसपी प्रमुख उपेंद्र कुशवाहा (फाइल फोटो)

पार्टियां किसी विशेष क्षेत्र में जाति के प्रभुत्व के आधार पर उम्मीदवारों का चयन कर रही हैं और यह राष्ट्रीय लोक समता पार्टी (आरएलएसपी) की उम्मीदवार सूची में भी नजर आई है।

पार्टी ने शुक्रवार रात पहले और दूसरे चरण के लिए 37 उम्मीदवारों की सूची जारी की, और उनमें से 18 कोइरी जाति का प्रतिनिधित्व करते हैं और दो कुर्मी जाति से हैं।

दोनों जातियों को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का पारंपरिक वोट बैंक माना जाता है।

हालांकि, आरएलएसपी के प्रमुख उपेंद्र कुशवाहा को कुमार के कोइरी-कुर्मी (केके) फार्मूले में घुसपैठ करने की अपनी क्षमता के कारण हमेशा नीतीश कुमार के लिए एक चुनौती माना जाता है। 'केके' फॉमूर्ला राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के मुस्लिम-यादव (एमवाई) समीकरण के समान है।

यह कुशवाहा को बिहार में एक प्रमुख नेता बनाता है और वह नरेंद्र मोदी सरकार के पहले कार्यकाल के केंद्रीय मंत्रिमंडल में एक सीट लेने में भी कामयाब रहे।

कोइरी और कुर्मी के अलावा, आरएलएसपी ने चार मुस्लिम, तीन यादव, तीन राजपूत, एक भूमिहार उम्मीदवार को, पासवान समुदाय से तीन को, दो दलितों को और एक कायस्थ नेता को टिकट दिया है।

आरएलएसपी, ग्रैंड डेमोक्रेटिक सेक्युलर फ्रंट (जीडीएसएफ) की छत्रछाया में बिहार की 104 सीटों पर चुनाव लड़ रही है। इसके अन्य गठबंधन सहयोगी बहुजन समाज पार्टी 80 सीटों पर, एआईएमआईएम 24 पर, समाजवादी जनता दल 25 पर सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी पांच पर और जनवादी पार्टी सोशलिस्ट पांच सीटों पर लड़ रहे हैं।

बसपा प्रमुख मायावती के 23 अक्टूबर से बिहार में दो रैलियों को संबोधित करने की उम्मीद है।

बिहार विधानसभा का चुनाव तीन चरणों में 28 अक्टूबर से शुरू होने जा रहा है। दूसरे चरण का मतदान 3 नवंबर को और तीसरा 7 नवंबर को होगा। नतीजे 10 नवंबर को घोषित किए जाएंगे।
 

आईएएनएस
पटना


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