बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. जगन्नाथ मिश्रा का निधन, 3 दिन का राजकीय शोक घोषित

Last Updated 19 Aug 2019 12:06:46 PM IST

बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. जगन्नाथ मिश्रा का आज नई दिल्ली में लंबी बीमारी के बाद निधन हो गया। वह करीब 82 वर्ष के थे।




बिहार के राज्यपाल फागू चौहान और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. जगन्नाथ मिश्रा के निधन पर आज गहरी शोक संवेदना व्यक्त की।

चौहान ने यहां अपने शोक संदेश में कहा कि डॉ. मिश्रा एक कुशल प्रशासक, संवेदनशील राजनेता और अर्थशास्त्र के विद्वान प्राध्यापक थे। उन्होंने तीन बार बिहार के मुख्यमंत्री तथा केन्द्रीय मंत्री के रूप में पूरे देश एवं राज्य की अथक सेवा की। उनके निधन से पूरे देश, विशेषकर बिहार के राजनीतिक जगत को अपूरणीय क्षति हुई है। उन्होंने दिवंगत नेता की आत्मा को चिरशांति तथा उनके परिवार के सदस्यों और प्रशंसकों को धैर्य-धारण की क्षमता प्रदान करने के लिए ईर से प्रार्थना की है।
      
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अपने शोक उद्गार में कहा कि डॉ. मिश्रा एक प्रख्यात राजनेता एवं शिक्षाविद् थे। बिहार के साथ-साथ देश की राजनीति में उनका बहुमूल्य योगदान रहा है। उनके निधन से न केवल बिहार बल्कि पूरे देश की राजनीतिक, सामाजिक एवं शिक्षा के क्षेत्र में अपूरणीय क्षति हुई है। उन्होंने दिवंगत आत्मा की चिर-शान्ति तथा उनके परिजनों एवं प्रशंसकों को दु:ख की इस घड़ी में धैर्य धारण करने की शक्ति प्रदान करने की ईश्वर से प्रार्थना की है।

डॉ. मिश्रा के निधन पर बिहार में तीन दिन के राजकीय शोक की घोषणा की गयी है। उनका अंतिम संस्कार पूरे राजकीय सम्मान के साथ किया जायेगा।

डॉ. मिश्रा पिछले काफी दिनों से बीमार थे और उनका इलाज दिल्ली में चल रहा था आज उन्होंने अंतिम सांस ली उनके परिवार में दो पुत्र है। उनके छोटे पुत्र नीतीश मिश्रा

बिहार में मंत्री रह चुके हैं और फिलहाल वे भारतीय जनता पार्टी (भाजपा)  के उपाध्यक्ष हैं।
      
कांग्रेस नेता के रूप में डॉ. मिश्रा तीन बार बिहार के मुख्यमंत्री रहे। उन्होंने केंद्र में भी मंत्री पद की जिम्मेदारी संभाली थी।

डॉ. मिश्रा: एक परिचय

मिश्रा ने अपने करियर की शुरुआत बतौर लेश्ररर की। इसके बाद वह बिहार विश्वविद्यालय में अर्थशास्त्र विषय के प्रोफेसर नियुक्त हुये। शिक्षण तथा पठन-पाठन एवं लेखन में उनकी रुचि जीवन के अंतिम दिनों में भी बरकरार रही। उन्होंने करीब 40 शोध-पत्र लिखे है तथा उनके मार्गदर्शन में 20 लोगों ने अर्थशास विषय में पीएचडी पूरी की है। इसके अलावा उन्होंने कई किताबें लिखी और कई पुस्तकों का संपादन भी किया है। उनका जन्म 24 जून 1937 को सुपौल जिले के बलुआ बाजार गांव में हुआ था।

बिहार के तीन बार मुख्यमंत्री रहे मिश्रा को केंद्रीय मंत्रिमंडल में भी मंत्री पद की जिम्मेवारी सौंपी गई। वह पहली बार 11 अप्रैल 1975 से 30 अप्रैल 1977 तक बिहार के मुख्यमंत्री रहे। इसके बाद वह 08 जून 1980 से 14 अगस्त 1983 तक दूसरी बार और 06 दिसंबर 1989 से 10 मार्च 1990 तक तीसरी बार बिहार के मुख्यमंत्री पद की जिम्मेवारी संभाली। उनके भाई श्री ललित नारायण मिश्रा की हत्या के बाद वह बिहार में कांग्रेस के सबसे शक्तिशाली नेता बनकर उभरे।

मिश्रा ने बिहार का मुख्यमंत्री रहते हुये कई ऐसे नीतिगत निर्णय लिये जिससे उनकी लोकप्रियता सातवें आसमान पर पहुंच गई थी। उन्होंने 10 जून 1980 को अपने मंत्रिमंडल की पहली बैठक में उर्दू को बिहार की दूसरी राजकीय भाषा बनाने के लिए बिहार राज्य आधिकारिक भाषा अधिनियम में संशोधान करने के प्रस्ताव को मंजूरी प्रदान की थी। उनके इस निर्णय ने मुसलमान समुदाय में उनकी लोकप्रियता इतनी बढ़ा दी कि उन्हें ‘मौलाना’ जगन्नाथ कहा जाने लगा था।

प्रेस की आजादी के लिए हमेशा मुखर रहे मिश्रा ने प्रेस पर लगाये गये प्रतिबंध को समाप्त करने के उद्देश्य से 31  जुलाई 1982 को भारतीय दंड विधान की धारा 292 और अपराध प्रक्रिया संहिता की  धारा 455 को संशोधित करने के लिए बिहार विधानसभा में संशोधन विधेयक पेश  किया था।

मिश्रा केंद्र सरकार में भी मंत्री रहे। एक समय  ऐसा भी आया जब उन्होंने कांग्रेस से त्यागपत्र देकर पूर्व केंद्रीय मंत्री  शरद पवार के नेतृत्व में गठित राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी में शामिल हो  गये। बाद में उन्होंने राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी को भी छोड़ दिया और  जनता दल यूनाईटेड (जदयू) में शामिल हो गये। वर्तमान में वह किसी राजनीति दल  से नहीं जुड़े हुये थे। उनके पठन-पाठन और लेखन में रूचि उन्हें जीवन के  अंतिम समय में भी वैचारिक रूप से सक्रिय रखा। वह सामाजिक आर्थिक संस्थान से  अंतिम समय तक जुड़े रहे।

राजनीतिक जीवन में उनका नाम अविभाजित  बिहार के बहुचर्चित चारा घोटाले से भी जुड़ा। 30 सितंबर 2013 को केंद्रीय  जांच ब्यूरो (सीबीआई) की झारखंड की राजधानी रांची स्थित विशेष अदालत ने चारा घोटाला मामले में 44 लोगों को दोषी करार दिया था। दोषी करार दिये जाने  वालों में एक नाम मिश्रा की भी था। इस मामले में उन्हें चार वर्ष के  कारवास के साथ ही दो लाख रुपये जुर्माने की सजा सुनाई गई।

20 जुलाई 2018 को  झारखंड उच्च न्यायालय उन्हें नियमित जमानत दे दी। वर्तमान में वह चारा  घोटाले के तीन अलग-अलग मामलों में औपबंधित जमानत पर थे।

वार्ता
पटना


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