नीतीश ने संसद, राज्य विधानमंडलों में महिलाओं को 50 प्रतिशत आरक्षण का समर्थन किया

Last Updated 08 Mar 2017 09:40:29 PM IST

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने संसद और राज्य विधानमंडलों में महिलाओं को 50 प्रतिशत आरक्षण दिए जाने का समर्थन करते हुए बुधवार को कहा कि अगर केंद्र इस आशय का प्रस्ताव लाती है तो वे उसके पक्षधर होंगे.


बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (फाइल फोटो)

अन्तरराष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर पटना शहर स्थित रवीन्द्र भवन में बिहार प्रदेश जदयू महिला प्रकोष्ठ द्वारा आयोजित राज्यस्तरीय महिला सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए नीतीश ने महिला विधायकों द्वारा इस आशय की मांग किए जाने पर उक्त बात कही.

अन्तरराष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर महिलाओं को बधायी देते हुए नीतीश ने बिहार में नारी सशक्तिकरण की दिशा में की गयी पहल की चर्चा करते हुए कहा कि यह पहला राज्य है जहां महिलाओं को पंचायती राज संस्थाओं एवं नगर निकायों में पचास प्रतिशत आरक्षण दिया गया.

उन्होंने कहा कि पंचायती राज संस्थाओं में पचास प्रतिशत आरक्षण देने का बिहार के निर्णय का कई राज्यों ने अनुसरण किया है और अब केन्द्र सरकार भी इस विषय पर सोच रही है. यह बिहार की पहल थी, जिसका असर पूरे देश पर पडा.

नीतीश ने कहा कि बिहार पहला राज्य है जहां पुलिस सेवा में आरक्षी एवं अवर निरीक्षक की बहाली में 35 प्रतिशत आरक्षण का लाभ महिलाओं को दिया गया. पुलिस बल की नियुक्ति में सर्वाधिक आरक्षण देने वाला भी बिहार पहला राज्य बना.

उन्होंने कहा कि सात निश्चय के कार्यक्र मों में एक निश्चय बिहार सरकार की सभी नियुक्तियों में महिलाओं को 35 प्रतिशत आरक्षण देने का था.  नीतीश ने कहा कि हमलोगों ने बालिका पोशाक योजना शुरु की इसका तत्काल फायदा हुआ और बडी संख्या में लडकियां स्कूल जाने लगी. इसके पश्चात हमने बालिका साइकिल योजना शुरु की.

नीतीश ने कहा कि पहले हम बिना महिलाओं की उर्जा का इस्तेमाल किये देश को बढा रहे थे अब जब उनके साथ देश बढेगा तो समझिये कि हम कितना आगे जायेंगे. नीतीश ने कहा कि महिलाओं की सुरक्षा एवं तरक्की और उन्हें सशक्त बनाने के लिये बिहार में एक नहीं अनेक कार्यक्रम शुरु किये गये हैं.



उन्होंने कहा कि मानव विकास मिशन के तहत स्वास्थ्य के क्षेत्र में कई सुधार लाये गये हैं. शिशु मृत्यु दर टीकाकारण इत्यादि पर ध्यान देकर एवं कार्यक्र म बनाकर इसे लागू किया गया.

नीतीश ने कहा कि बिहार में वर्ष 2005-06 में शिशु मृत्यु दर प्रति एक हजार नवजात बच्चों में 61 थी. जब प्रयत्न किया गया तो अभी एक हजार नवजात बच्चों पर शिशु मृत्यु दर 48 हो गया, उसी प्रकार पांच साल से कम आयु में प्रति एक हजार बच्चों में मृत्यु दर 2005-06 में 84 था जो घटकर आज 58 हो गया है.

उन्होंने कहा कि राज्य में लिंग अनुपात जन्म के समय में 2005-06 में प्रति एक हजार पर 893 था, जो 2015-16 में बढकर 934 हो गया है. पूरे भारत का औसत 919 है और यह आंकडा पूरे देश से भी बेहतर है.

मुख्यमंत्री ने कहा कि बिहार में यदि लड़की मैट्रिक पास है तो प्रजनन दर दो है और लडकी 12वीं पास है तो प्रजनन दर 1.6 है जबकि देश का औसत 1.7 है. हमने तय किया कि हम हर बच्ची को 12वीं तक पढायेंगे और इर पंचायत तक प्लस टू तक के विद्यालय खोले जायेंगे और इस पर काम चल रहा है. उन्होंने कहा कि शिशु मृत्यु दर घटा है किन्तु बच्चे का ज्यादा घटा है और बच्चियों का कम घटा है.

नीतीश ने कहा कि समाज में लोग लडकों का इलाज ठीक से कराते हैं और लडकियों के इलाज पर कम ध्यान देते हैं. उन्होंने कहा कि आज आपसे यहीं अपेक्षा है कि घर घर जाइये और प्रचार कीजिये कि चाहे लडका हो या लडकी किसी भी प्रकार की बीमारी हाने पर उसका तुरंत इलाज करायें. उन्होंने कहा कि गत एक मार्च को हमने बेटी बचाओं रथ को रवाना किया है.

नीतीश ने कहा कि अगर बेटा का इलाज अच्छी तरह हो तो बेटी के पैदा होने पर भी उसी तरह का इलाज होना चाहिए.

भाषा


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