CJI के बेटे अभिनव की किताब बताएगी दलित शब्द की उत्पत्ति

Last Updated 10 Apr 2023 04:30:11 PM IST

दलित और ओबीसी जैसे शब्दों की उत्पत्ति को लेकर जानकारों के अलग-अलग विचार आते रहे हैं। इन शब्दों की उत्पत्ति को लेकर कई तरह की दलीले दी जाती रही हैं। लेकिन अब एक ऐसी पुस्तक आई है जिसे पढ़ने के बाद देश के लोग जान जाएंगे कि वाकई में इन शब्दों की उत्पत्ति कब और कैसे हुई।


CJI के बेटे अभिनव की किताब बताएगी दलित शब्द की उत्पत्ति

इस पुस्तक का नाम है, This seats are reserved: Cast, Quota and the Constitution of India. इस पुस्तक को लिखा है सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ के बेटे अभिनव चंद्रचूड़ ने।

अभिनव बॉम्बे हाईकोर्ट में प्रैक्टिस करते हैं। इस पुस्तक में ब्रिटिश शासन के दौरान दलित, आरक्षण और पिछड़ा वर्ग जैसे शब्दों के बारे में विस्तार से बताया गया है। अभिनव ने इस पुस्तक में बताया है कि अंग्रेजों के शासन में ही जाति आधारित आरक्षण की बात सामने आ गई थी। उन्होंने जिक्र किया है कि 1912 में मद्रास में गैर ब्राह्मणों का सरकारी नौकरियों में हिस्सेदारी बहुत कम थी। जबकि ब्राह्मणों को उनकी आबादी के हिसाब से बहुत ज्यादा नौकरियां मिली थीं।

 इस किताब में यह भी बताया गया कि ब्राह्मण पुरुषों की आबादी 3.2 हुआ करती थी लेकिन उप न्यायाधीशों के 83.3 पदों पर ब्राह्मण पुरुषों का कब्जा था। वहीं जो गैर ब्राह्मण पुरुष थे, उनकी आबादी 85.6 के आसपास थी। जबकि नौकरियों में उनका प्रतिनिधित्व मात्र 16.7% था। उस गैर बराबरी  के खिलाफ वहां का एक गैर ब्राह्मण समाज सक्रिय हुआ और 1916 में साउथ इंडियन लिबरल फेडरेशन नामक एक राजनीतिक दल का गठन कर लिया। उस दल ने मद्रास की विधायिका और सरकार से आरक्षण की मांग की। उनकी मांग के बाद मद्रास के 65 विधानसभा सीटों में से 28 सीटों को गैर ब्राह्मणों के लिए आरक्षित कर दिया गया था। इस तरह ब्रिटिश शासन में पहली बार जाति आधारित आरक्षण लागू हुआ था।

दलित शब्द की उत्पत्ति को लेकर भी यह किताब खुलासा करती है। इस किताब के मुताबिक दलित शब्द का जिक्र सबसे पहले 1831 की मोल्सवर्थ डिक्शनरी में मिलता है। उस समय डॉक्टर अंबेडकर ने दलित शब्द का खूब इस्तेमाल किया था। यह  किताब बताती है कि 1929 में हिंदी के मशहूर कवि सूर्यकांत त्रिपाठी निराला ने अपनी कविता में दलित शब्द का इस्तेमाल किया था। यानी किसी को अनुसूचित, अनुसूचित जनजाति ,पिछड़ी जाति और दलित शब्दों के बारे में या उनकी उत्पत्ति के बारे में विस्तार से जानना हो तो अभिनव चंद्रचूड़ की किताब बहुत ही उपयोगी साबित हो।

शंकर जी विश्वकर्मा
नई दिल्ली


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