शमीम की फायरिंग जारी, पुलिस नाकामयाब

Last Updated 19 Feb 2010 02:55:02 PM IST


लखनऊ। अपने घर के कमरे में बुधवार देर रात से बंद लखनऊ के मानसिक रूप से विक्षिप्त युवक शमीम को सुरक्षित बाहर निकालने में अब तक कामयाबी नहीं निकल पाई है। वह कमरे से निरंतर फायरिंग भी कर रहा है। पुलिस के अनुसार लखनऊ के बाहरी इलाके बक्शी का तालाब में शब्बीर अहमद के 27 वर्षीय पुत्र शमीम उर्फ राजू ने बुधवार देर रात से खुद को घर की दूसरी मंजिल के एक कमरे में खुद को बंद कर रखा है। शुक्रवार सुबह तक परिजनों, दोस्तों और पुलिस जिस किसी भी ने दरवाजा खुलवाने का प्रयास किया, शमीम ने उस गोलियां चलाईं। पिता की लाइसेंसी बंदूक लेकर कमरे में घुसा शमीम अब तक पंद्रह राउंड गोलियां चला चुका है। उसकी गोलियों से दो पुलिसकर्मी घायल हो चुके हैं। अधिकारियों का कहना है कि कमरे के अंदर से रुक-रुक कर शमीम के चीखने की आवाजें आ रही हैं। वह 'मार डालंगा' या फिर 'मैं मर जाउंगा' जैसे कुछ शब्दे ही बार-बार दोहरा रहा है। लखनऊ के पुलिस प्रमुख राजीव कृष्णा ने शुक्रवार को यहां संवाददाताओं को बताया कि शमीम मानसिक रूप से विक्षिप्त है। उसको इस बात का 'फोबिया' हो गया कि हर कोई उसे नुकसान पहुंचाना चाहता है। उन्होंने बताया कि एक बार पहले भी वह इस तरह का कदम उठा चुका है। पुलिस ने शमीम पर काबू पाने के लिए उसे नींद की गोलियां मिलाकर भोजन देने का प्रयास किया जिससे वह सो जाए और उसे बाहर निकाल लिया जाए, यह कोशिश नाकाम रही। आखिरी बार उसने रात सवा एक बजे फायर किया था। सुबह करीब नौ बजे के आसपास जिस कमरे में उसने अपने आप को बंद कर रखा है, उससे धुआं निकलता देखा गया। कृष्णा ने कहा कि धुआं निकलता देखने के बाद तत्काल दमकल की गाड़ी बुलाई गई। धुआं निकलने के कारणों की सही पता नहीं चल पाया है। ऐसा प्रतीत हो रहा है कि उसने कमरे के अंदर बिस्तरों में आग लगा दी है। पुलिस उसकी गोलियां खत्म होने का इंतजार कर रही है। गोलियां खत्म होने के बाद उसे दरवाजा तोड़कर बाहर निकलने की रणनीति पर विचार किया जा रहा है। इस बीच पुलिस छत के ऊपर से छेद करके सीसीटी कैमरा लगाने में जुटी है ताकि यह सही से मालूम किया जा सके कि शमीम किस हालत में है और उसकी गतिविधियां क्या हैं। उसने अग्निशमन दल के कर्मचारियों पर भी फायरिंग की हालांकि इसमें कोई हताहत नहीं हुआ। बताया जा रहा है कि शमीम लखनऊ विश्वविद्यालय का मेधावी छात्र रह चुका है। वह सिविल सेवा में अपना भविष्य सवांरना चाहता था, लेकिन घरवाले उस पर अध्यापक बनने का दबाव डाल रहे थे। पिछले कुछ समय से वह अवसाद से गुजर रहा था। फिलहाल वह गाजियाबाद के संस्थान से बीएड कर रहा था।



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