जाम्बिया में 1.5 अरब डॉलर का निवेश करेगी वेदां

Last Updated 13 Jan 2010 06:13:11 PM IST




लुसाका। अनिवासी भारतीय अनिल अग्रवाल द्वारा संचालित, लंदन स्थित वेदांता रिसोर्सेज ने कॉपर कैथोड के उत्पादन में वर्ष 2013 तक पांच लाख टन की वृद्धि के लिए जाम्बिया में 1.5 अरब डॉलर की निवेश योजना तैयार की है। जाम्बिया में सबसे बड़े विदेशी निवेशक के रूप में वेदांता पहले ही वहां 1.5 अरब डॉलर का निवेश कर चुकी है। कंपनी वहां विद्युत उत्पादन के क्षेत्र में भी कदम रखने की योजना बना रही है। भारत में वेदांता के कई कारोबार हैं। उसने वर्ष 2006 में भारत एल्युमिनियम का 550 करोड़ रुपये में अधिग्रहण कर लिया था। बाद में कंपनी ने 600 करोड़ रुपये में हिंदुस्तान जिंक को भी खरीद लिया था। इसने लौह अयस्क उत्पादक सीसा गोवा को भी अपने अधीन कर लिया है और पिछले जून में कंपनी ने डेम्पो समूह के गोवा में स्थित खनन और समुद्री कारोबार को 1,750 करोड़ रुपये में खरीद लिया था। इसके अलावा तमिलनाडु के तूतीकोरिन और उड़ीसा के झारसुगुडा में कंपनी की एल्युमिनियम गलाने वाली इकाइयां हैं। कंपनी उड़ीसा के नियामगिरी की पहाड़ियों में बाक्साइड के खनन की योजना बना रही है। इस काम के लिए उसने नौ खदानों के पट्टे के लिए पहल की है। स्थानीय निवासियों ने इसका कड़ा विरोध किया है। जाम्बिया में वेदांता की कोंकोला कॉपर माइंस (केसीएम) में बड़ी हिस्सेदारी है। यह कंपनी जाम्बिया की सर्वाधिक तांबे की खदानों का संचालन करती है। तांबा जाम्बिया का जीवन तत्व है, लेकिन पिछले वर्ष तांबे की कीमतों में आई गिरावट के कारण इस क्षेत्र पर बुरा असर पड़ा है,लेकिन जैसे ही तांबे की कीमतें बढ़ीं, वेदांता ने निवेश के जरिए उत्पादन बढ़ाने की योजना तैयार की है। कंपनी को वित्त वर्ष 2009-10 में वित्त वर्ष 2008-09 के 70 करोड़ डॉलर के कारोबार के मुकाबले 90 करोड़ डॉलर के कारोबार की उम्मीद है।



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