चुनाव बाद होगा गठबंधन, भाजपा को हराना पहली प्राथमिकता : राहुल
कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने कहा है कि चुनाव बाद गठबंधन निश्चित तौर पर संभव है क्योंकि सारी विपक्षी पार्टियां देशहित में भाजपा को पराजित करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।
![]() कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी |
कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी यह भी कहा कि कई राज्यों में धर्मनिरपेक्ष गठबंधन मौजूद है और पूरे देश में भाजपा का मुकाबला करने के लिए मजबूत विपक्षी उम्मीदवार उतारे गए हैं।
गांधी ने ‘पीटीआई’ को दिए विशेष साक्षात्कार में कहा, ‘‘संपूर्ण विपक्ष के लिए पहला काम नरेंद्र मोदी जी को पराजित करना और लोकतंत्र एवं संविधान को बचाना है। भाजपा को भारत की संस्थाओं और इसके सामाजिक ताने-बाने को नष्ट करने से रोकना है। विकास दर को गति देना है, अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाना है, नौकरियां पैदा करनी हैं, सद्भाव सुनिश्चित करना है और अन्याय एवं असमानता को दूर करना है। इसमें हम सभी एकजुट हैं।’’
यह पूछे जाने पर कि आप इसकी संभावना देखते हैं कि नतीजे इतने सकारात्मक होंगे कि विपक्षी दल चुनाव बाद गठबंधन के लिए साथ आएंगे तो उन्होंने कहा, ‘‘हां, बिल्कुल।’’
उन्होंने कहा, ‘‘भारत के लोग मोदी जी का मुकाबला करने के लिए खड़े हैं।’’ विपक्षी दलों के भी मतभेद के संदर्भ में पूछे जाने पर गांधी ने कहा कि धर्मनिरपेक्ष दल भाजपा को पराजित करने के लिए एकजुट हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘सारी विपक्षी पार्टियों के बीच यह सहमति है कि भाजपा को देशहित में पराजित किया जाना चाहिए। भाजपा हमारी संस्थाओं पर हमले कर रही है और नष्ट कर रही है। यह देशहित में है कि इसका मुकाबला किया जाए।’’
गांधी ने एक सवाल के जवाब में यह भी कहा, ‘‘पूरे भारत में भाजपा का मुकाबला करने के लिए विपक्ष मजबूत उम्मीदवार खड़े कर रहा है।’’
उन्होंने पश्चिम बंगाल का उदाहरण देते हुए कहा कि धर्मनिरपेक्ष पार्टियां जीतने जा रही हैं।
गांधी ने कहा, ‘‘उत्तर प्रदेश में एक गठबंधन है। कांग्रेस उस गठबंधन का हिस्सा नहीं है, लेकिन वहां गठबंधन है। महाराष्ट्र, झारखंड, जम्मू-कश्मीर, कर्नाटक और तमिलाडु में भी गठबंधन है। कहां पर गठबंधन नहीं है?’’
उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश में कुछ पार्टियों ने कांग्रेस को गठबंधन में शामिल नहीं करने का फैसला किया, लेकिन कांग्रेस राज्य में अपनी विचारधारा और जड़ें मजबूत करेगी।
कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा, ‘‘पूरा देश भाजपा के खिलाफ एकजुट है।’’
गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश में सपा और बसपा ने अपने गठबंधन से कांग्रेस को अलग रखा तो पश्चिम बंगाल में वाम दलों के साथ गठबंधन के प्रयास में कांग्रेस को सफलता नहीं मिली। दिल्ली में आम आदमी पार्टी के साथ गठबंधन की संभावना भी काफी हद तक धूमिल हो चुकी है।
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