मूर्तियां ढकने का आदेश एकतरफा और दलित विरोधी : मायावती
उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री और बहुजन समाज पार्टी प्रमुख मायावती ने अपनी व हाथियों की मूर्तियां ढकने के चुनाव आयोग के फैसले को दलित विरोधी एवं कांग्रेस के दबाव में लिया गया बताया.
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उन्होंने चुनाव आयोग से अपील की कि वह कांग्रेस के किसी भी दबाव में आए बगैर स्वतंत्र व निष्पक्ष रूप से चुनाव करवाए.
अपने 56वें जन्म दिन पर रविवार को मायावती ने कहा कि चुनाव आयोग ने हमारी पार्टी का पक्ष सुने बगैर एकतरफा निर्णय लिया. देशभर में बसपा की गतिविधियों से जुड़े सर्वसमाज के लोग और बुद्धिजीवी इसे जातिवादी व दलित विरोधी मानसिकता से ग्रसित होकर लिया गया फैसला बता रहे हैं.
मायावती ने कहा कि पार्को एवं स्मारकों में बीएसपी सरकार की ओर से लगाई गई हाथी की मूर्तियां पार्टी का चुनाव चिन्ह होने की वजह से नहीं, बल्कि भारतीय संस्कृति के तहत पर्यटकों के स्वागत के लिए स्वागत मुद्रा में लगाई गईं. कांग्रेस का चुनाव चिन्ह हाथ का पंजा और भारतीय जनता पार्टी का चुनाव चिन्ह कमल का फूल सहित कई अन्य पार्टियों के चुनाव चिन्ह हैं, जो भारतीय संस्कृति में धार्मिक आस्था के रूप में माने जाते हैं.
चुनाव आयोग को इन बातों को ध्यान में रखकर बीएसपी सरकार की ओर से स्मारकों और पार्को में लगाई गई हाथी की मूर्तियों के बारे में सही फैसला लेना चाहिए था.
बीएसपी प्रमुख ने कहा कि पंजाब में कांग्रेस के शासनकाल में करोड़ों रुपये खर्च करके एक पार्क में 45 फुट ऊंचा पंजा लगाया गया. उसी तरह उत्तर प्रदेश में भी सरकारी खर्च पर लाखों की संख्या में नलकूप लगाए गए, जो राष्ट्रीय लोक दल (रालोद) का चुनाव चिन्ह है. इस संबंध में चुनाव आयोग को संवैधानिक दायित्वों का निर्वहन करते हुए हमारी पार्टी के चुनाव चिन्ह हाथी की तरह इन दोनों पार्टियों के चुनाव चिन्ह को भी ढकवाने का आदेश जारी करना चाहिए था.
उन्होंने कहा कि अगर इन दोनों पार्टियों के चुनाव चिन्ह के मामले में चुनाव आयोग कोई सही निर्णय नहीं लेता तो हमारी पार्टी के लोग हमारे मामले में लिए गए फैसले को दलित विरोधी मानसिकता के तहत केंद्र में चल रही कांग्रेस की सरकार के दबाव के तहत लिया गया फैसला मानेंगे.
मायावती ने यह भी कहा कि चुनाव आयोग का मूर्तियों को ढकवाने का फैसला बसपा के लिए फायदेमंद साबित हो रहा है. पार्टी कार्यकर्ता इस फैसले के बाद उम्मीदवारों को जिताने के लिए ज्यादा जोश से लग गए हैं. वे अपनी जनसभाओं में कह रहे हैं कि खुला हाथी लाख का और बंद हाथी सवा लाख का.
विपक्षा दलों पर चुटकी लेते हुए मायावती ने कहा कि जिस तरह से पिछले कुछ दिनों से मीडिया में मेरी और हाथियों की प्रतिमाओं को प्रचारित किया गया उससे मेरी पार्टी के चुनाव चिन्ह हाथी का सूबे में आचार संहिता लागू होने के बावजूद करोड़ों रुपये खर्च किए बगैर ही मुफ्त में प्रचार हो गया.
इस मौके पर मायावती ने स्वलिखित पुस्तक 'मेरा संघर्षमय जीवन एवं बसपा आंदोलन का सफरनामा' भाग-7 भी जारी की. साथ ही उन्होंने राज्य विधानसभा चुनाव के लिए अपनी पार्टी के सभी 403 उम्मीदवारों की सूची और चुनाव से सम्बंधित गानों की सीडी भी जारी की.
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