सलमान रुश्दी की यात्रा से गरमाई यूपी की राजनीति
भारतीय मूल के ब्रिटिश लेखक सलमान रुश्दी को वीजा दिए जाने को लेकर उत्तर प्रदेश की चुनावी सियासत गरमा गई है.
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सलमान रुश्दी जयपुर साहित्य महोत्सव में शामिल होने के लिए भारत आने वाले हैं.
दारुल उलूम देवबंद के वीसी मौलाना अबुल कासिम नोमानी ने सरकार ने रुश्दी का वीजा कैंसिल करने की मांग की है. उनका कहना है कि रुश्दी ने मुसलमानों की धार्मिक भावनाओं को चोट पहुँचाई है.
चुनाव के समय वोट बैंक को ध्यान में रखकर सभी पार्टियों ने नेताओं ने देवबंद के नोमानी के सुर में सुर मिलाया है. कांग्रेस प्रवक्ता राशिद अल्वी का कहना है कि मामला केन्द्र सरकार के पास है और उसे ही कोई फैसला करना है.
कांग्रेस के ही एक नेता का कहना है कि जयपुर के कार्यक्रम को रद्द कर देना चाहिए. यूपी चुनाव में कांग्रेस की सहयोगी पार्टी आरएलडी के नेता कौकब हामिद का मानना है कि रुश्दी को रोकने के लिए तुरंत कोई कदम उठाया जाना चाहिए.
बीजेपी प्रवक्ता मुख्तार अब्बास नकवी का कहना है कि चुनाव के समय उनका आना सही नहीं कहा जा सकता. जबकि समाजवादी पार्टी के नेता अहमद हसन ने कांग्रेस सरकार पर आरोप लगाया है कि यूपीए सरकार मुस्लिम विरोधी ताकतों को बढ़ावा देते आई है.
उत्तर प्रदेश जहां 17 फीसदी से ज्यादा आबादी मुस्लिम मतदाताओं की है सवाल यह है कि जो सरकार अल्पसंख्यक आरक्षण के जरिए इस तबके को खुश करना चाहती है, सलमान रुश्दी मामले पर नाखुश करना चाहेगी क्या?
रुश्दी की भारत यात्रा सरकार के लिए गले की हड्डी बन गई है. वीजा रद्द करने पर अभिव्यक्ति की आजादी का क्या होगा? क्या यह भारतीय साहित्य जगत के लिए सही कदम होगा? देश के प्रबुद्ध वर्ग इसे किस तरह लेंगे? दुनियाभर में इसपर क्या प्रतिक्रिया होगी? रुश्दी जब 2007 में जयपुर आए थे तब किसी ने क्यों नहीं विरोध किया था?
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