निचली अदालतों में जजों की नियुक्ति के लिए उम्मीदवारों के लिए 3 साल की प्रैक्टिस जरूरी : सुप्रीम कोर्ट

Last Updated 20 May 2025 12:12:32 PM IST

सुप्रीम कोर्ट ने आज निचली अदालतों में जजों की नियुक्ति पर बड़ा फैसला सुना दिया है।


सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में फैसला देते हुए कहा कि सभी हाईकोर्ट  और राज्य नियमों में संशोधन करेंगे, ताकि सिविल जज सीनियर डिवीजन के लिए विभागीय परीक्षा के जरिए 10%  पदोन्नति को बढ़ाकर 25% किया जाए।

सर्वोच्च अदालत ने सिविल जज जूनियर डिवीजन परीक्षा में बैठने के लिए कम से कम 3 साल की न्यूनतम प्रैक्टिस की जरूरी किया है। इसके अलावा, राज्य सरकारें सिविल जज सीनियर डिवीजन के लिए सेवा नियमों में संशोधन करके इसे 25% तक बढ़ाएंगी।

अदालत ने अपने आदेश में यह भी कहा, "सभी राज्य सरकारें नियमों में संशोधन करके यह सुनिश्चित करेंगी कि सिविल जज जूनियर डिवीजन के लिए परीक्षा में शामिल होने वाले किसी भी उम्मीदवार के पास कम से कम 3 साल की प्रैक्टिस का अनुभव होना अनिवार्य है। इसे बार में 10 साल का अनुभव रखने वाले वकील द्वारा प्रमाणित किया जाना चाहिए।"

इसके अलावा इसमें जजों के लिए लॉ क्लर्क के रूप में किए गए काम के समय को भी जोड़ा जाएगा। साथ ही जज चुने जाने के बाद अदालत में सुनवाई से पहले उन्हें एक साल का प्रशिक्षण लेना होगा। न्यूनतम प्रैक्टिस की आवश्यकता वहां लागू नहीं होगी, जहां उच्च न्यायालयों ने सिविल जज जूनियर डिवीजन की नियुक्ति प्रक्रिया पहले ही शुरू कर दी है।

इसके साथ ही ऐसी भर्ती प्रक्रियाएं, जो इस मामले के लंबित रहने के कारण स्थगित रखी गई थीं, अब संशोधित नियमों के अनुसार ही होंगी।

बता दें कि इससे पहले, सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को हाई कोर्ट के रिटायर्ड जजों की पेंशन को लेकर एक ऐतिहासिक फैसला सुनाया था। सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट से रिटायर्ड जजों के लिए 'वन रैंक, वन पेंशन' के आदेश दिए। CJI जस्टिस बीआर गवई की बेंच ने यह फैसला सुनाया है।

CJI जस्टिस बीआर गवई की बेंच ने अपने फैसले में कहा, "चाहे उनकी प्रारंभिक नियुक्ति का स्रोत कुछ भी हो, चाहे वह जिला न्यायपालिका से हो या वकीलों में से हो, उन्हें प्रति वर्ष न्यूनतम 13.65 लाख रुपए पेंशन दी जानी चाहिए।"

समयलाइव डेस्क
नई दिल्ली


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