फुटपाथ है पैदल यात्रियों का संवैधानिक अधिकार : उच्चतम न्यायालय
उच्चतम न्यायालय ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को पैदल यात्रियों के वास्ते उचित फुटपाथ सुनिश्चित करने के लिए दिशानिर्देश तैयार करने का बुधवार को निर्देश दिया और इसे उनका संवैधानिक अधिकार बताया।
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न्यायमूर्ति अभय एस ओका और न्यायमूर्ति उज्ज्वल भुइयां की पीठ ने कहा कि फुटपाथ के अभाव में पैदल यात्रियों को सड़कों पर चलने के लिए मजबूर होना पड़ता है, जिससे उनके साथ दुर्घटना होने की आशंका होती है।
इसने कहा, ‘‘नागरिकों के लिए उचित फुटपाथ का होना आवश्यक है। ये ऐसे होने चाहिए कि जो दिव्यांग व्यक्तियों के लिए सुलभ हों और इन पर से अतिक्रमण हटाना अनिवार्य है। इस न्यायालय का मानना है कि पैदल यात्रियों को फुटपाथ का इस्तेमाल करने का अधिकार संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत गारंटीशुदा है।’’
उच्चतम न्यायालय ने कहा, ‘‘बिना अवरोध वाले फुटपाथ का अधिकार निश्चित रूप से एक आवश्यक विशेषता है।’’
पीठ ने केंद्र को पैदल यात्रियों के अधिकारों की रक्षा के लिए अपने दिशानिर्देश दो महीने के भीतर रिकॉर्ड पर रखने का निर्देश दिया। पैदल यात्रियों की सुरक्षा को बहुत जरूरी मानते हुए उच्चतम न्यायालय ने कहा कि फुटपाथों का निर्माण और रखरखाव इस तरह से किया जाना चाहिए कि दिव्यांग व्यक्तियों के लिए भी पहुंच सुनिश्चित हो सके।
उच्चतम न्यायालय ने राष्ट्रीय सड़क सुरक्षा बोर्ड के गठन के लिए केंद्र को छह महीने का समय दिया तथा स्पष्ट किया कि इससे अधिक समय नहीं दिया जायेगा।
न्यायालय में दायर एक याचिका में पैदल यात्रियों की सुरक्षा पर चिंता जताई गई है। याचिका में उचित फुटपाथ की कमी और पैदल मागरें पर अतिक्रमण के मुद्दों पर जोर दिया गया।
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