Rules For Parliament: स्पीकर के बाद चेयरमैन ने भी सांसदों के लिए जारी की एडवाइजरी, वंदेमातरम् व जयहिंद जैसे नारे लगाने से बचें
Rules For Parliament: आगामी मानसून सत्र में कोई भी सदस्य लोकसभा या राज्यसभा में नारेबाजी नहीं करेगा, न हीं पोस्टर या तख्ती लेकर सदन के अंदर आएगा। सदस्यों ने वंदेमातरम, जयश्रीराम, जयहिंद नारे सदन के अंदर न लगाने को कहा गया है।
![]() संसद भवन |
लोकसभा ने पिछले सत्र में लोकसभा अध्यक्ष के निर्देश में संशोधन करते हुए नारेबाजी पर रोक लगा दी थी।
संसद का मानसून सत्र 22 जुलाई से शुरू हो रहा है और 12 अगस्त को सम्पन्न होगा। 23 जुलाई को वित्तमंत्री अपना सातवां और मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल का पहला बजट पेश करेंगी। सत्र को सुचारू रूप से चलाने के लिए रविवार को सरकार ने सर्वदलीय बैठक भी बुलाई है।
इस बीच राज्यसभा ने नियमावली जारी कर सदस्यों को शिष्टाचार निभाने का आग्रह किया है। सदस्यों को नियमों की याद दिलाने के लिए फिर से नियमावली पुस्तक जारी की गयी है। इसमें परामर्श दिया गया है। राज्यसभा सचिवालय ने राज्यसभा सदस्यों के लिए पुस्तिकाके कुछ अंश प्रकाशित कर संसदीय परंपराओं और संसदीय शिष्टाचार के प्रति सदस्यों का ध्यान आकृष्ट किया है।
बुलेटिन में कहा गया है, सदन की कार्यवाही की गरिमा और गंभीरता के लिए यह आवश्यक है कि सदन में ‘धन्यवाद’, ‘आपका शुक्रिया’, ‘जयंिहद’, ‘वंदे मातरम’ या अन्य कोई नारा नहीं लगाया जाना चाहिए।
इसमें कहा गया है कि सभापति द्वारा सदन के पूर्व के दृष्टांतों के अनुसार निर्णय दिए जाते हैं, और जहां कोई उदाहरण नहीं है, वहां सामान्य संसदीय परंपरा का पालन किया जाता है। बुलेटिन में पुस्तिका के अंश को उद्धृत करते हुए कहा गया है, सभापति द्वारा दिये गए निर्णयों की सदन के अंदर या बाहर सीधे तौर पर या परोक्ष रूप से आलोचना नहीं की जानी चाहिए।
संसदीय शिष्टाचार का हवाला देते हुए बुलेटिन में कहा गया कि आक्षेप, आपत्तिजनक और असंसदीय अभिव्यक्ति वाले शब्दों का इस्तेमाल करने से पूरी तरह से बचना चाहिए।
पुस्तिका में कहा गया है कि जब सभापति को लगता है कि कोई विशेष शब्द या अभिव्यक्ति असंसदीय है, तो उसे बिना बहस के तुरंत वापस लेना चाहिए। इसमें कहा गया है कि प्रत्येक सदस्य को सदन में प्रवेश करने या बाहर निकलते समय और सीट पर बैठने या उठकर जाने से पहले पीठासीन अधिकारी का झुककर अभिवादन करना चाहिए।
कोई सदस्य जब किसी अन्य सदस्य या मंत्री की आलोचना करता है, तो अपेक्षा की जाती है कि आलोचना करने वाला सदस्य उत्तर सुनने के लिए सदन में उपस्थित रहे। पुस्तिका में कहा गया है, जब सदन में मंत्री उत्तर दे रहे हों, तो सदन में अनुपस्थित रहना संसदीय शिष्टाचार का उल्लंघन है।
नियमावली, संसदीय परंपराएं व परिपाटियां
► धन्यवाद, आपका धन्यवाद और अन्य कोई नारा न लगाएं।
► सभापीठ अधिकारी की परोक्ष या प्रत्यक्ष आलोचना न करें।
► सदन में प्रवेश करते या जाते समय पीठ को सिर झुकाकर अभिवादन करें।
► सभापति की ओर पीठ करके न बैठें।
► सदस्य आपस में बातचीत न करें
► जब तक पीठ की तरफ से नाम नहीं पुकारा जाए, तब तक बोलने के लिए खड़े न हों।
► किसी भी मंत्री या सदस्य पर बदनीयत से आरोप न लगाएं।
► दो सदस्य एक साथ खड़े न हों।
► अपमानजनक, असंसदीय शब्द न बोलें।
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