चंद्रमा के कई रहस्यों से पर्दा उठाया!

Last Updated 23 Aug 2023 11:53:43 AM IST

भारत की बुधवार को चंद्रयान-3 (Chandrayaan-3) को चांद (Moon) की सतह पर उतारने की योजना है जिसको लेकर उत्सुकता बढ गई है। इस बीच, विशेषज्ञ डॉ.वी.टी.वेंकटेश्वरन (VT VENKATESWARAN) ने चंद्रमा की रहस्यमयी दुनिया के कुछ पहुलओं से अवगत कराया है।


चंद्रमा की रहस्यमयी दुनिया के कुछ पहुलओं से पर्दा उठा

विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के तहत स्वायत्त संगठन ‘विज्ञान प्रसार’ के वैज्ञानिक और भारतीय ज्योतिर्विज्ञान परिषद के जनसंवाद समिति के सदस्य डॉ.वी.टी.वेंकटेरन ने चंद्रमा के भूवैज्ञानिक विकास से संबंधित अहम सवालों का जवाब दिया जो उसके दक्षिण ध्रुव, जल और बर्फ की मौजूदगी के संदर्भ में अहम है। उन्होंने साथ ही भारत की महत्वकांक्षी चंद्रमा अन्वेषण योजना के बारे में भी जानकारी दी।

चंद्रमा के भूवैज्ञानिक इतिहास और विकास की अवधारणा क्या है?
अनुमान के मुताबिक चांद की उम्र करीब 4.5 अरब साल है, यानी मोटे तौर पर पृथ्वी की उम्र के बराबर। पृथ्वी के चंद्रमा के निर्माण का एक प्रमुख सिद्धांत है कि मंगल ग्रह के आकार का एक खगोलीय ¨पड युवा धरती से टकराया था और इस टक्कर से निकले मलबे से अंतत: चंद्रमा का निर्माण हुआ। हालांकि, चंद्रमा से मिले भूगर्भीय सबूत संकेत देते हैं कि यह पृथ्वी से महज छह करोड़ साल युवा हो सकता है।  

चंद्रमा पर पृथ्वी की तुलना में वस्तु का भार कितना होगा और क्यों?
चंद्रमा का गुरुत्वाकषर्ण पृथ्वी के मुकाबले बहुत कम है। चंद्रमा का गुरुत्वाकषर्ण पृथ्वी के मुकाबले एक बटा छठा हिस्सा है। इसका नतीजा है कि चंद्रमा पर किसी वस्तु का वजन पृथ्वी के मुकाबले उल्लेखनीय रूप से कम होगा। यह चंद्रमा के छोटे आकार और द्रव्य भार की वजह से है। उदाहरण के लिए अगर किसी व्यक्ति का पृथ्वी पर वजन 68 किलोग्राम है तो उसका चंद्रमा की सतह पर वजन महज 11 किलोग्राम होगा।

भारतीय वैज्ञानिक क्यों चंद्रमा के दक्षिण ध्रुव पर लैंडर उतारना चाहते हैं?
चंद्रमा का दक्षिणी ध्रुव अपनी विशेषता और संभावित वैज्ञानिक मूल्य के कारण वैज्ञानिक खोज के केंद्र में बना हुआ है। माना जाता है कि दक्षिणी ध्रुव पर जल और बर्फ के बड़े भंडार हैं जो स्थायी रूप से अंधेरे में रहता है। भविष्य के अंतरिक्ष अभियानों के लिए जल की मौजूदगी का बहुत अधिक महत्व है क्योंकि इसे पेयजल, ऑक्सीजन और रॉकेट ईंधन के तौर पर हाइड्रोजन जैसे संसाधनों में तब्दील किया जा सकता है।

चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर क्या है?
चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव का भूभाग और भूगर्भीय संरचना उसके अन्य इलाकों से अलग है। स्थायी रूप से छाया में रहने वाले क्रेटर (उल्का¨पडों के टकराने से बने गड्ढों) में शीत अवस्था रहती है जिससे पानी के बर्फ के रूप में जमा होने की अनुकूल स्थिति उत्पन्न होती है। दक्षिणी ध्रुव की विशिष्ट भौगोलिक परिस्थिति की वजह से यहां लंबे समय तक सूर्य की रोशनी आती है जिसका इस्तेमाल सौर ऊर्जा के लिए किया जा सकता है। यह इलाका उबड़-खाबड़ बनावट से लेकर अपेक्षाकृत सपाट है जिससे अध्ययन के लिए विभिन्न वैज्ञानिक अवसर प्रदान करता है।

क्यों चंद्रमा का दक्षिणी ध्रुव स्थायी रूप से छाया में रहता है?
यह चंद्रमा के भूविज्ञान पर निर्भर करता है। चंद्रमा की धुरी पृथ्वी के चारों ओर उसकी कक्षा में हल्की सी झुकी हुई है। इसका नतीजा है कि दक्षिणी ध्रुव के कुछ इलाकों हमेशा छाया में रहते हैं। यह छाया बहुत ही ठंडे वातावरण का निर्माण करती है जहां पर तापमान बहुत नीचे जा सकता है। जमा देने वाली यह परिस्थिति बर्फ के रूप में पानी को अरबों साल तक संरक्षित रखने में सहायक है।

क्या चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर पानी/बर्फ की मौजूदगी है?
हां, चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव इलाके में बर्फ के रूप में पानी की मौजूदगी की पृष्टि हो चुकी है। भारत द्वारा 2008 में भेजे गए चंद्रयान-1 सहित विभिन्न चंद्रमा मिशन से मिले आंकड़ों से संकेत मिला है कि हमेशा छाया में रहने वाले इलाके में जल अणु की मौजूदगी है। इस खोज ने चांद के उत्साहजनक स्थायी अन्वेषण की संभावनाओं को बल दिया है।

क्या पानी/बर्फ भविष्य में चंद्रमा पर होने वाली खोज के लिए अहम है?
बर्फ के रूप में जल भविष्य में चंद्रमा खोज और उसके आगे के लिए भी अहम संसाधन है। इसे सांस लेने वाली हवा, पेयजल और सबसे अहम रॉकेट ईंधन के लिए हाइड्रोजन व ऑक्सीजन में तब्दील किया जा सकता है। इससे अंतरिक्ष यात्रा में क्रांति आ सकती है क्योंकि इन संसाधानों को पृथ्वी से ले जाने की जरूरत नहीं होगी और लंबी अवधि के मिशन संभव हो सकेंगे।

क्या भारत की भविष्य में चंद्रमा पर मानव मिशन भेजने की योजना है?
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने गगनयान मिशन के तहत अंतरिक्ष में अंतरिक्ष यात्रियों को भेजने की मंशा जताई है लेकिन अब तक उसकी चंद्रमा पर अंतरिक्ष यात्रियों को भेजने की कोई योजना नहीं है।

भाषा
नई दिल्ली


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