4 अगस्त का क्यों बेसब्री से इंतजार कर रहा है पूरा देश ?

Last Updated 28 Jul 2023 06:19:03 PM IST

4 अगस्त दिल्ली और देश की राजनीति के लिए एक बहुत बड़ी तारीख साबित होने वाला है। सुप्रीम कोर्ट का एक ऐसा आदेश आएगा, जिसके बाद ना सिर्फ राहुल गांधी के भाग्य का फैसला होगा बल्कि भाजपा की प्रतिष्ठा पर भी सवाल उठेंगे।


सुप्रीम कोर्ट के 4 तारीख के फैसले पर टिकी हुई हैं निगाहें

उस तारीख को यह पता चल जाएगा कि राहुल गांधी की सांसदी बची रहेगी या फिर वो अगले 6 साल तक चुनाव नहीं लड़ पाएंगे। सुप्रीम कोर्ट के दूसरे फैसले में यह तय हो जाएगा कि दिल्ली विद्युत नियामक आयोग के चेयरमैन की नियुक्ति दिल्ली के एलजी करेंगे या दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल करेंगे। पूरे देश की निगाहें सुप्रीम कोर्ट के 4 तारीख के फैसले पर टिकी हुई हैं। पहले चर्चा करते हैं राहुल गांधी की। जैसा कि पूरे देश को पता है कि मोदी सरनेम के मामले को लेकर गुजरात की एक कोर्ट ने राहुल गांधी को 2 साल की सजा सुनाई थी। उस आदेश के बाद राहुल गांधी ने गुजरात हाईकोर्ट का दरवाजा भी खटखटाया था,जहां उन्हें निराशा हाथ लगी थी। नियमानुसार किसी भी जनप्रतिनिधि को अगर 2 साल की सजा हो जाती है तो उसकी सदस्यता स्वतः ही समाप्त हो जाती है। राहुल गांधी को चूँकि मोदी सरनेम मामले में 2 साल की सजा हो गई थी, लिहाजा लोकसभा स्पीकर ने उनकी सांसदी रद्द कर दी थी। सांसद के तौर पर दिल्ली में उन्हें जो बंगला आवंटित किया गया था, वह बंगला भी उनसे खाली करवा लिया गया था।

 राहुल गांधी ने अपने मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी। पहले माना जा रहा था कि शायद राहुल गांधी की याचिका को सुनने से सुप्रीम कोर्ट इंकार कर देगा, लेकिन राहुल गांधी की याचिका स्वीकार कर ली गई। सुप्रीम कोर्ट में इसकी सुनवाई भी हो गई, लेकिन गुजरात के पूर्णेश मोदी ने सुप्रीम कोर्ट से गुहार लगाई थी कि फैसला सुनाने से पहले उनका भी पक्ष सुन लिया जाए। हालांकि पूर्णेश मोदी ने अपना जवाब देने के लिए बहुत समय मांगा था, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह हर हाल में 4 तारीख तक अपना बयान दर्ज कराएं।

 ऐसा माना जा रहा है कि शायद सुप्रीम कोर्ट से राहुल गांधी को स्टे मिल जाए। अगर उन्हें सुप्रीम कोर्ट से स्टे मिल जाता है तो उनकी सांसदी बहाल हो जाएगी। अगर ऐसा होता है तो राहुल गांधी के साथ-साथ कांग्रेस की जीत मानी जायेगी। जबकि राहुल गांधी के हक में फैसला आने के बाद बीजेपी को झटका  लगेगा। संभवत बीजेपी के कई नेताओं को बैकफुट पर आना पड़ेगा। पूरी संभावना है कि राहुल गांधी, इसी सत्र में संसद में बोलते हुए भी दिखाई पड़ जाएंगे। क्योंकि अभी संसद का मानसून सत्र 11 अगस्त तक चलेगा।

अब रही बात डीईआरसी की। यानी दिल्ली विद्युत नियामक आयोग के चेयरमैन के नियुक्ति की। चेयरमैन की नियुक्ति को लेकर पिछले कई महीनों से दिल्ली के उपराज्यपाल वी के सक्सेना और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के बीच खींचतान जारी है। अरविंद केजरीवाल ने मध्यप्रदेश के रिटायर जज राजीव कुमार श्रीवास्तव को डीईआरसी का चेयरमैन बना बना दिया था। उनकी नियुक्ति की फाइल उन्होंने एलजी को भेज दी थी, लेकिन एलजी ने उन्हें रिजेक्ट कर दिया था। एलजी ने यह कह कर अपनी मर्जी के व्यक्ति को चेयरमैन पद पर आसीन करवा दिया था कि दिल्ली के कुछ पदों पर किसी की नियुक्ति करने का अधिकार सिर्फ राष्ट्रपति को है,और एलजी राष्ट्रपति का प्रतिनिधि होता है, लिहाजा वह अपने विवेक से किसी की भी नियुक्ति कर सकता है।

 एलजी के द्वारा चयनित चेयरमैन की नियुक्ति के खिलाफ अरविंद केजरीवाल ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि दिल्ली की चुनी हुई सरकार को चेयरमैन चुनने का अधिकार है। इस आदेश के बाद एलजी द्वारा नियुक्त किए गए चेयरमैन को हटा दिया गया। उसके बाद अरविंद केजरीवाल ने किसी अन्य व्यक्ति को चेयरमैन पद के लिए अपनी संस्तुति कर दी, लेकिन एलजी ने उनकी वह संस्तुति भी नहीं मानी। उसके बाद अरविंद केजरीवाल चले गए सुप्रीम कोर्ट।

अब सुप्रीम कोर्ट 4 अगस्त को फैसला सुनाएगा। उस फैसले के बाद यह तय हो जाएगा कि डीईआरसी के चेयरमैन की नियुक्ति दिल्ली के मुख्यमंत्री करेंगे या फिर दिल्ली के उपराज्यपाल। दिल्ली विद्युत नियामक आयोग के चेयरमैन को लेकर आखिर इतनी खींचतान क्यों मची हुई है। दरअसल अरविंद केजरीवाल को बिजली की दरों में संशोधन करना है। दिल्ली की जनता को दी जा रही सब्सिडी का मूल्यांकन करना है, और यह दोनों काम दिल्ली विद्युत नियामक आयोग के चेयरमैन के जरिए ही होना है। अरविंद केजरीवाल को अच्छी तरह पता है कि इनकी मर्जी का चेयरमैन अगर वहां नहीं होगा तो वह दोनों काम करने में उन्हें मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है। अरविंद केजरीवाल आरोप लगाते रहते हैं कि भाजपा अपनी मर्जी का चेयरमैन बनाकर दिल्ली को दी जा रही बिजली सब्सिडी को खत्म करना चाहती है।

अगर ऐसा हो गया तो राजनीतिक रूप से आम आदमी पार्टी को भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है, क्योंकि जनता के प्रति जवाबदेही अरविंद केजरीवाल की है। ऐसे में 4 अगस्त बहुत हद तक तय कर देगा डीईआरसी का चेयरमैन बनाने का अधिकार किसको है। दूसरी तरफ सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद यही भी तय हो जाएगा कि राहुल गांधी की सांसदी को खत्म करने का आदेश बरकरार रहता है या उन्हें स्टे मिल जाता है। अगर स्टे मिल गया तो राहुल गांधी इसी सत्र में लोकसभा में बोलते हुए दिखाई पड़ जाएंगे।
 

शंकर जी विश्वकर्मा
नई दिल्ली


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