संसद में इन वजहों से विपक्ष ला रहा है अविश्वास प्रस्ताव

Last Updated 26 Jul 2023 01:49:44 PM IST

संसद के मानसून सत्र के पांचवें दिन भी गतिरोध जारी है। इस बीच बुधवार को बीआरएस और कांग्रेस के एक सांसद ने अविश्वास पत्र के लिए लोकसभा के सेक्रेटरी जनरल को पत्र सौंप दिया।


Sansad Bhawan

 ऐसे में सवाल यह पैदा होता है कि जब विपक्ष ही नहीं, बल्कि पूरे देश को पता है कि अविश्वास प्रस्ताव लाने के बाद भी केंद्र सरकार की सेहत पर कोई फर्क नहीं पड़ने वाला है तो फिर विपक्ष अविश्वास प्रस्ताव क्यों लेकर आ रहा है। देशभर के राजनीति के जानकार इस पर अपने-अपने तरीके से चर्चा कर रहे हैं, लेकिन हकीकत कुछ और ही है। दरअसल विपक्ष प्रधानमंत्री मोदी से संसद के भीतर मणिपुर पर कुछ सुनना चाहता है। वह चाहता कि प्रधानमंत्री मोदी सबसे पहले सदन में मणिपुर की हिंसा को लेकर कुछ बोलें। यह सबको पता है कि लोकसभा की कार्रवाई में जो भी बातें होती हैं, वह एक रिकॉर्ड बन जाती हैं।

सत्ता पक्ष नहीं  चाहता है कि प्रधानमंत्री मोदी मणिपुर को लेकर जो भी बोलें वह एक रिकॉर्ड बन जाए। इसलिए सत्तापक्ष की तरफ से यही कोशिश हो रही है कि विपक्ष बगैर मोदी के बोले ही मणिपुर को लेकर चर्चा करे। लोकसभा में बीजेपी के 301 सांसद हैं, जबकि पूरे एनडीए के सांसदों की संख्या लगभग 333 के करीब है, ऐसे में विपक्ष को अच्छी तरह पता है कि अविश्वास प्रस्ताव लाने के बाद भी केंद्र सरकार की सेहत पर कोई फर्क नहीं पड़ने वाला है।

भाजपा नेतृत्व वाली केंद्र की एनडीए सरकार को भी पता है कि अविश्वास प्रस्ताव लाने के पीछे की जो मंशा है, वह कुछ और ही है। विपक्ष यह जानते हुए भी कि अविश्वास प्रस्ताव संसद के भीतर आसानी से गिर जाएगा, बावजूद इसके विपक्ष उस पर आमादा है। अब विपक्ष की उस गणित को समझने की जरूरत है। दरअसल जब अविश्वास प्रस्ताव पर सदन में चर्चा होगी तो उस समय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी सदन में मौजूद रहेंगे।

 अविश्वास प्रस्ताव पर कुछ चर्चाएं भी होंगी। उन चर्चाओं के दौरान विपक्ष की कोशिश होगी कि वह मोदी को बोलने पर मजबूर करे। विपक्ष चाहता भी यही है कि मोदी कुछ बोलें। चर्चा के दौरान मोदी क्या बोलते हैं। उस पर नजर सिर्फ विपक्ष की नहीं होगी बल्कि पूरे देश की होगी। चर्चा के बाद वोटिंग की रश्में भी निभाई जाएंगी, जिसका परिणाम सबको पता है।

 बुधवार को भारत राष्ट्र समिति के सांसद नमा नागेश्वर राव ने अविश्वास प्रस्ताव प्रस्तुत कर दिया। कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने उसकी पुष्टी भी कर दी। लोकसभा के सेक्रेटरी जनरल विचार विमर्श करने के बाद अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा की तारीख तय कर देंगे। यहां एक जानकारी और दे दें कि 1963 से अब तक 27 बार संसद में अविश्वास प्रस्ताव लाए जा चुके हैं। सबसे पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के खिलाफ 1963 में अविश्वास प्रस्ताव लाया गया था।

 उस समय 1962 में भारत युद्ध में चीन से हार गया था। सबसे अधिक 15 बार अविश्वास प्रस्ताव उस समय लाए गए थे, जब इंदिरा गांधी देश की प्रधानमंत्री हुआ करती थीं। इंदिरा गांधी के खिलाफ लाए गए सभी अविश्वास प्रस्ताव संसद में गिर गए थे, लेकिन वह सिलसिला अभी तक रुका नहीं है। अब यह देखना बड़ा दिलचस्प होगा कि अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा किस दिन होती है, कैसे होती है और प्रधानमंत्री मोदी उस चर्चा के दौरान क्या बोलते हैं।

शंकर जी विश्वकर्मा
नई दिल्ली


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