विपक्षी दलों का संयोजक Sonia Gandhi या Nitish, ऐसे होगा फैसला !
मंगलवार को दुबारा विपक्षी दलों की बैठक हो रही है। बिहार की राजधानी पटना में हुई बैठक की आंशिक सफलता के बाद इस बैठक में कुछ कंक्रीट चीजें निकल कर आ सकती हैं।
![]() Soniya Gandhi with opposition leaders in benguluru( file Photo) |
मसलन इस बैठक में शायद संयोजक का नाम तय कर लिया जाएगा। विपक्षी दलों का जो गठबंधन हो रहा है, उसके लिए एक संयोजक बनाये जाने का प्राविधान रखा गया है। ऐसा माना जा रहा है कि सोनिया गांधी या फिर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को संयोजक की जिम्मेदारी दी जा सकती है। वैसे मंगलवार को जिस तरीके से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विपक्षी नेताओं के गठबंधन को लेकर जो बातें कहीं हैं, उसे सुनकर विपक्षी पार्टियों के नेता तिलंमिलाए जरूर होंगे। बैठक के बाद क्या परिणाम निकलेगा ,यह तो बाद की बात है लेकिन एनसीपी प्रमुख शरद पवार के एक बयान से भी खलबली मच सकती है। शरद पवार ने इस गठबंधन में होने वाली कुछ व्यावहारिक दिक्कतों का जिक्र किया है।
कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरु में चल रही इस बैठक में 26 पार्टियां शामिल हो रही हैं। पुराने नेताओं में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ,सोनिया गांधी , राहुल गांधी ,लालू प्रसाद यादव ,नीतीश कुमार ,अखिलेश यादव ,अरविन्द केजरीवाल ,ममता बनर्जी ,उद्धव ठाकरे ,शरद पवार ,सीताराम येचुरी ,फ़ारुख अब्दुला , महबूबा मुफ़्ती के अलावा इन्ही नेताओं की पार्टियों के अन्य नेता भी इसमें शामिल हो रहे हैं। इस बैठक पर देश भर की नजरें लगी हुई हैं।
भाजपा के साथ साथ एनडीए में शामिल दलों के नेताओं की भी नजरें इस बैठक पर जरूर लगी होंगी। उम्मीद की जा रही है कि इस बैठक में कम से कम इस बात का खुलासा हो जाएगा कि विपक्षी पार्टियों के इस गठबंधन का नाम क्या होगा और कौन इसका संयोजक बनेगा। हालांकि यह सबको पता है कि विपक्षी पार्टियों को एकजुट करने में नीतीश कुमार ने अहम् भूमिका निभाई है। नीतीश पिछले कई महीनों से देश भर में घूम-घूम कर विपक्षी नेताओं से बात करते रहे हैं। उन्हें एकजुट करने का प्रयास करते रहे हैं। दूसरी तरफ उनकी छवि भी साफ़ सुथरी है।
ऐसे में संभावना यही जताई जा रही है कि शायद उन्हें ही संयोजक बना दिया जाए। लेकिन बहुत सी पार्टियां सोनिया गांधी के पक्ष में हैं। विपक्ष के अधिकांश नेताओं को ऐसा लगता है कि सोनिया गांधी का एक औरा है, उनकी बातों को अधिकांश नेता बड़े ध्यान से सुनते हैं। देश की दूसरी सबसे बड़ी पार्टी कांग्रेस की वो अध्यक्ष भी रह चुकी हैं। ऐसे में पूरी संभावना है कि उन्हें ही संयोजक की जिम्मेवारी दी जा सकती है। हालांकि सोनिया गांधी शायद खुद ही संयोजक बनने से मना कर दें।
सोनिया गांधी अपने स्वास्थ्य कारणों के चलते शायद संयोजक बनाए जाने के प्रस्ताव को खुद ही ठुकरा सकती हैं। इस बैठक में संयोजक और गठबंधन के नाम के बाद दूसरा बड़ा मसला पार्टियों के समन्वय को लेकर है। जैसा कि शरद पवार भी आशंका जता चुके हैं, कि वेस्ट बंगाल में सीपीएम और टीएमसी के बीच खींचतान जारी है। अभी वहां हुए पंचयत चुनावों में कांग्रेस और टीएमसी के बीच तल्खी देखने को मिली है। ऐसे में वेस्ट बंगाल में गठबंधन का स्वरुप क्या होगा ,इस पर भी चर्चा जरूर होगी। बाकी राज्यों में कमोबेश यही स्थिति रहने वाली हैं। विपक्षी पार्टियों के सभी नेता भले ही एकजुट हो जाएं, लेकिन उन नेताओं को अपने-अपने राज्यों में जाकर अपनी-अपनी पार्टी के नेताओं को समझाना होगा।
उन्हें यह बताना होगा कि आपसी लड़ाई भूलकर वो सब एकजुट हो जाएं, लेकिन यह काम इतना आसान नहीं होने वाला है। शरद पवार ने यूँ ही आशंका नहीं जाहिर की है। क्यों की शरद पवार अभी-अभी अपने ही दूध से अपना मुंह जलाकर आए हैं। अपनी ही पार्टी को अपनी ही आँखों के सामने टूटते हुए देखा है। अपने ही सगे भतीजे को स्वार्थ के चलते अलग होते हुए देखा है। फिलहाल बैठक चल रही है। सबको इंतज़ार रहेगा कि इस बैठक में क्या परिणाम निकलता है।
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