अमित शाह ने कुछ ऐसे की, मार्गदर्शक मंडल की व्याख्या
भाजपा को आगे बढ़ाने और उसकी बुनियाद मजबूत करने में पार्टी के बड़े नेताओं, मसलन अटल बिहारी वाजपेयी, लाल कृष्ण आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी जैसे नेताओं के योगदान को भुलाया नहीं जा सकता।
![]() गृह मंत्री अमित शाह |
आज अगर भाजपा इस मुकाम पर पहुंची है तो उन जैसे नेताओं की बदौलत ही पहुंची है, लेकिन पार्टी में जब प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी युग आया तो उन शीर्ष नेताओं को मार्ग दर्शक मंडल में डालकर उन्हें सक्रिय राजनीति से दूर कर दिया गया। देश के लोगों ने शायद यह समझा कि भाजपा द्वारा उन्हें उपेक्षित किया गया। कई महीनों बल्कि कई वर्षों तक इस बात को लेकर चर्चा होती रही कि, जिन नेताओं ने पार्टी की भलाई के लिए अपना सब कुछ न्यौछावर कर दिया, उनकी इतनी उपेक्षा क्यों हो रही है?
लेकिन देश के गृह मंत्री अमित शाह ने वर्षों से पूछे जा रहे मार्गदर्शक शब्द की न सिर्फ व्याख्या की है ,बल्कि मार्गदर्शक मंडल को लेकर बनाई गलत धारणा को सही साबित करते हुए लोगों को करारा जवाब दे दिया। दरअसल एक मिडिया चैनल के साथ हुए साक्षात्कार के दौरान उनसे चैनल के एंकर ने मार्गदर्शक मंडल के बारे में सवाल पूछ दिया, हालांकि सवाल पूछा गया था, कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री बी एस येदयुरप्पा को लेकर। सवाल यह था कि ,इस बार येदयुरप्पा चुनाव नहीं लड़ रहे हैं, ऐसे में उनके बिना भाजपा वहां कैसे जीतेगी? उन्हें चुनाव न लड़ाने का मतलब कहीं यह तो नहीं कि उन्हें भी कर्नाटक के मार्गदर्शक मंडल में डाल दिया गया है। सवाल चूँकि चुभने वाल था, लिहाजा जवाब भी कुछ ऐसा ही देना था।
लिहाज़ा अमित शाह ने अपने जवाब के दौरान ना सिर्फ येदयुरप्पा की प्रशंसा की, बल्कि यहां तक कह दिया कि येदयुरप्पा वहां भाजपा की सरकार बनवाने के लिए उतनी ही मेहनत कर रहे हैं जितना मोदी कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि आज भी येदयुरप्पा केंद्रीय संसदीय बोर्ड के सदस्य हैं। अमित शाह यहीं नहीं रुके ,उन्होंने कहा कि लोग समझते हैं कि मार्गदर्शक मंडल का मतलब वरिष्ठ नेताओं को साइडलाइन करना हुआ, लेकिन ऐसा भाजपा में नहीं है। उन्होंने कांग्रेस पर कटाक्ष करते हुए कहा कि कांग्रेस में रिटायरमेंट का कोई कल्चर नहीं है। उस पार्टी में राजनीती का मतलब चुनाव लड़ना और सत्ता पर काबिज होना है। लेकिन भाजपा में ऐसा नहीं है।
भाजपा में ऐसे लोगों की संख्या बहुत है, जो किसी पद की लालच में पार्टी के लिए काम नहीं करते हैं। उस चैनल के एंकर का सवाल अटल बिहारी वाजपेयी ,मुरली मनोहर जोशी और लाल कृष्ण आडवाणी को लेकर भी था, जिन्हे वर्षों पहले मार्गदर्शक मंडल में डाल दिया गया था, लेकिन अमित शाह ने अपनी बातों से ना सिर्फ उस एंकर के सवालों का जवाब बढ़िया से दिया बल्कि उन्होंने यह भी बता दिया कि साइडलाइन करने का जो नरेटिव बनाया गया है, उसका कोई मतलब नहीं है। उन्होंने कहा कि भाजपा देश की इकलौती ऐसी पार्टी है, जहाँ पार्टी के वरिष्ठ नेताओं का सम्मान होता है। बहरहाल देश के गृह मंत्री अमित शाह की बातों को सुनकर उन लोगों का मुंह जरूर बंद हो गया होगा जो गाहे बगाहे मार्गदर्शक मंडल को लेकर बेवजह के सवाल खड़े करते रहते हैं।
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