कांग्रेस जातिगत जनगणना के मुद्दे को लेकर BJP के हिंदुत्व के चक्रव्यूह को भेदने की तैयारी में!
आगामी कर्नाटक चुनाव और 2024 के लोकसभा के चुनाव को देखते हुए कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी (Rahul Gandhi) ने जाति आधारित जनगणना (caste based census) के मुद्दे को उठाकर और नया नारा ‘जितनी आबादी, उतना हक’ की मांग कर ‘ओबीसी (OBC) और दलित कार्ड’ (Dalit Card) खेल दिया है।
![]() राहुल गांधी |
राहुल गांधी (Rahul Gandhi) ने आरक्षण की अधिकतम 50 प्रतिशत की सीमा (Maximum limit of 50 percent reservation) को भी खत्म करने की मांग कर दी है।
दरअसल राहुल की यह मांग कर्नाटक चुनाव जीतने की कोशिश भर नहीं है बल्कि 2024 के लोकसभा के चुनावी अखाड़े का सियासी एजेंडा तय करने की बड़ी रणनीति है।
आगामी लोकसभा में भाजपा (BJP) को मात देने के लिए कांग्रेस इस मामले के द्वारा चुनावी संग्राम में भाजपा की हिंदुत्व की राजनीति (BJP's Hindutva politics) के चक्रव्यू को भेदने की तैयारी में जुट गयी है।
कांग्रेस (Congress) की रणनीति को इस बात से भी समझा जा सकता है कि राहुल गांधी के बयान के दूसरे दिन कांग्रेस ने न केवल इस मुद्दे पर प्रेस वार्ता (Press Confrence) की बल्कि पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे (Mallikarjun Kharge) ने PM Narendra Modi को पत्र भी लिख था।
BJP को दलित विरोधी कठघरे में लाने की कवायद
राहुल गांधी ने जातिगत जनगणना (caste census) के जरिए बड़ा सियासी दांव चला है। कांग्रेस इस बहाने एक तरफ BJP को घेरने और दूसरी ओर बीजेपी को दलित विरोधी कठघरे में खड़े करने की कवायद में जुटी है तो वहीं इस मुद्दे के बहाने सियासी छत्रपों को एकजुट करने की भी कवायद कर रही है।
कांग्रेस और दूसरे विपक्षी दलों को लगता है कि जाति आधारित जनगणना के जरिए बीजेपी के धार्मिंक ध्रुवीकरण (Religious polarization of BJP) के राजनीतिक चक्रव्यूह को तोड़ा जा सकता है।
हिंदुत्व की राजनीति (politics of hindutva) को मुख्य हथियार बनाएगी BJP
बिहार से लेकर उत्तर प्रदेश (Uttarpradesh) तक काऊ बेल्ट में विपक्षी दल जातिगत राजनीति का एजेंडा सेट कर रही हैं, जिसके लिए चाहे जातिगत जनगणना का मुद्दा हो या फिर रामचरित मानस (Ramcharit Manas) की कुछ चौपाई का। विपक्ष बखूबी जानता है कि BJP को सिर्फ जातीयता की पिच पर ही घेरा जा सकता है। 2024 के लोकसभा चुनाव जीतने के लिए BJP हिंदुत्व की राजनीति (politics of hindutva) को मुख्य हथियार बना रही है। 2024 के चुनाव में राममंदिर (Ram Mandir) को BJP एक बड़ी उपलब्धि के तौर पर लोगों के सामने रख सकती है। ऐसे में मंडल बनाम कमंडल का राजनीतिक एजेंडा सेट किया जा रहा है।
राजनीति के चश्मे से देखा जाए तो जातिगत जनगणना के समर्थन के पीछे पिछड़ी जातियों के वोट बैंक का है। जिनकी आबादी 52 फीसद से ज्यादा बताई जाती है और विरोध के पीछे उच्च जातियों का दबाव है जो BJP का परंपरागत वोटर माने जाते हैं. BJP उन्हें किसी भी सूरत में नाराज नहीं करना चाहती है। जातिगत जनगणना की मांग कर राहुल गांधी RJD, DMD, JDU, SP, RLD, JMM जैसे राजनीतिक दलों को एकजुट करने की मंशा है। क्योंकि ये सभी दल जातिगत जनगणना की मांग पहले से ही करते आए हैं। ऐसे में कांग्रेस इन सभी क्षेत्रीय दलों को एक साथ लाने की कवायद शुरू कर सकती है। परन्तु देखने वाली बात यह है कि क्या ये क्षेत्रीय दल कांग्रेस के साथ आएंगे।
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