हिंडनबर्ग-अडाणी मामले में सेबी को लेकर सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी पर वित्तमंत्री की प्रतिक्रिया, सेबी पर सरकार को पूरा भरोसा
अडाणी समूह के शेयरों में दो हफ्ते से जारी भारी उठापटक और शुक्रवार को सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट द्वारा भारतीय वित्तीय नियामक संस्था को लेकर की गई प्रतिकूल टिप्पणी के बीच शनिवार को सरकार ने सेबी पर पूरा भरोसा जताया है।
![]() हिंडनबर्ग-अडाणी मामले में सेबी पर सरकार को पूरा भरोसा- वित्तमंत्री |
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि भारतीय नियामक बेहद अनुभवी हैं और स्थिति पर काबू पाने में सक्षम है। वह अपने क्षेत्र का विशेषज्ञ भी है।
सीतारमण ने आम बजट पेश किये जाने के बाद रिजर्व बैंक के निदेशक मंडल की बैठक को संबोधित करने के बाद संवाददाताओं से एक सवाल के जबाव में कहा कि भारतीय वित्तीय नियामक को अडाणी समूह से संबंधित मामले की पूरी जानकारी है और हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट से उत्पन्न स्थिति को संभालने में सक्षम है।
उन्होंने कहा कि वित्तीय नियामक सेबी अभी ही नहीं बल्कि हमेशा ही सजग रहता है। वित्त मंत्री से अडाणी समूह के शेयरों को कृत्रिम ढंग से गिराने की जांच करने की मांग वाली जनहित याचिका पर सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणियों के बारे में पूछा गया था। उन्होंने कहा, ‘मैं यहां पर यह नहीं बताऊंगी कि सरकार न्यायालय में क्या कहने जा रही है।’
हिंडनबर्ग की रिपोर्ट में अडाणी समूह पर लेखांकन धोखाधड़ी, शेयर में हेराफेरी और मनी लांडिं्रग जैसे आरोप लगाये गए हैं। इसके बाद अडाणी समूह के शेयरों में पिछले दो हफ्ते में भारी गिरावट होने से निवेशकों को काफी नुकसान हुआ है। समूह के अध्यक्ष गौतम अडाणी की संपत्ति में भी भारी गिरावट आई है।
हालांकि समूह ने इन आरोपों को झूठ बताते हुए खारिज किया है। शुक्रवार को शीर्ष अदालत ने अपनी टिप्पणी में कहा था कि वह निवेशकों के हितों को सुरक्षित रखने के लिए एक सशक्त व्यवस्था बनाने के पक्ष में है। इस बारे में उसने बाजार नियामक सेबी और केंद्र सरकार से पक्ष रखने को कहा है।
बाजार प्रतिस्पर्धा ही तय करेगी कजरे की कीमत : दास
भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि बैंकों की तरफ से दिए जाने वाले कजरें की कीमत बाजार प्रतिस्पर्धा ही तय करेगी। पिछले तीन वर्षों से नकारात्मक ब्याज दर की स्थिति थी लेकिन अब यह सकारात्मक दिशा में बढ़ चली है। दास ने कहा कि बजट में घोषित राष्ट्रीय सूचना रजिस्ट्री (एनएफआईआर) के पीछे ऋण स्वीकृति की प्रक्रिया तेज करने और कर्जदारों तक ऋण प्रवाह बढ़ाने की सोच रही है। उन्होंने कहा कि इस संस्थान के गठन से बैंकों को कर्ज स्वीकृति से संबंधित जरूरी सूचनाएं मिलने में आसानी होगी।
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