सिमी अब भी विघटनकारी! बैन हटाने संबंधी याचिकाओं का केंद्र ने हलफनामा दाखिल कर किया विरोध

Last Updated 19 Jan 2023 08:15:42 AM IST

केंद्र ने उच्चतम न्यायालय से कहा है कि भारत में इस्लामिक शासन स्थापित करने के सिमी के मंसूबों को कामयाब नहीं होने दे सकते।


केंद्र ने उच्चतम न्यायालय से कहा, सिमी अब भी विघटनकारी!

साथ ही केंद्र ने कहा कि प्रतिबंधित संगठन के कार्यकर्ता अब भी विघटनकारी गतिविधियों में संलिप्त हैं जो देश की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता को खतरे में डालने में सक्षम हैं।

स्टूडेंट्स इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया (सिमी) पर लगाए गए प्रतिबंध के खिलाफ दायर याचिकाओं पर सुनवाई कर रही शीर्ष अदालत में दाखिल जवाबी हलफनामे में केंद्र ने कहा है कि संगठन के कार्यकर्ता अपने सहयोगियों के साथ ‘नियमित संपर्क’ में हैं और अन्य देशों में स्थित आका तथा उनके कार्य भारत में शांति व सांप्रदायिक सद्भाव को बाधित कर सकते हैं। गृह मंत्रालय के अवर सचिव द्वारा दायर हलफनामे में कहा गया है, उनके (सिमी) घोषित उद्देश्य हमारे देश के कानूनों के विपरीत हैं। विशेष रूप से भारत में इस्लामिक शासन स्थापित करने के उनके मंसूबों को किसी भी परिस्थिति में सफल नहीं होने दिया जा सकता। न्यायमूर्ति एस के कौल, न्यायमूर्ति ए एस ओका और न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला की पीठ के समक्ष बुधवार को मामले पर सुनवाई हुई। केंद्र की ओर से पेश अधिवक्ता रजत नायर ने पीठ को बताया कि उन्होंने मामले में दायर याचिकाओं में से एक पर जवाबी हलफनामा दाखिल किया है।

उन्होंने कहा कि सिमी पर प्रतिबंध जारी है और याचिकाओं में प्रतिबंध लगाए जाने और बाद में बढ़ाए जाने को चुनौती दी गई है। कुछ याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश वकील ने कहा कि वे केंद्र द्वारा दायर जवाबी हलफनामे पर गौर करेंगे। दोनों पक्षों द्वारा अदालत से सुनवाई स्थगित करने का अनुरोध करने के बाद, पीठ ने मामले को अगले महीने के लिए स्थगित कर दिया। जवाबी हलफनामे में सरकार ने कहा है कि सिमी का उद्देश्य छात्रों और युवाओं को इस्लाम के प्रचार के लिए गोलबंद करना और जिहाद (धार्मिक युद्ध) के लिए समर्थन प्राप्त करना है।

हलफनामे में कहा गया है, ‘संगठन इस्लामी इंकलाब (क्रांति) के माध्यम से शरीयत आधारित इस्लामी शासन के गठन पर भी जोर देता है। संगठन राष्ट्र-राज्य या भारतीय संविधान या इसकी धर्मनिरपेक्ष प्रकृति पर विश्वास नहीं करता है। यह मूर्ति पूजा को पाप मानता है और इस तरह की प्रथाओं को समाप्त करने के लिए अपने ‘कर्तव्य’ का प्रचार करता है।’

हलफनामे में कहा गया है कि रिकॉर्ड में लाए गए साक्ष्य स्पष्ट रूप से स्थापित करते हैं कि 27 सितम्बर, 2001 से प्रतिबंधित होने के बावजूद, बीच की एक संक्षिप्त अवधि को छोड़कर, सिमी कार्यकर्ता बैठकें करते रहे, साजिश रची, हथियार और गोला-बारूद प्राप्त करते रहे।



संगठन के कार्यकर्ता अपने सहयोगियों के साथ संपर्क में

हलफनामे में कहा गया है कि सिमी के आका अपने सदस्यों के जरिए पाकिस्तान, अफगानिस्तान, सऊदी अरब, बांग्लादेश और नेपाल में भी संपर्क में हैं और छात्रों और युवाओं का संगठन होने के नाते सिमी जम्मू-कश्मीर से संचालित विभिन्न कट्टरपंथी इस्लामी आतंकवादी संगठनों से प्रभावित है तथा मोहरे के रूप में इस्तेमाल होता है।

हलफनामे में कहा गया है, ‘साथ ही, हिज्बुल-मुजाहिदीन और लश्कर-ए-तैयबा जैसे आतंकवादी संगठन अपने राष्ट्र-विरोधी लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए सिमी कैडर में पैठ बनाने में सफल रहे हैं।’ साथ ही कहा गया है कि सिमी आंध्र प्रदेश, बिहार, गुजरात, कर्नाटक, केरल, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, राजस्थान, तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों और दिल्ली में सक्रिय रहा है।

भाषा
नई दिल्ली


Post You May Like..!!

Latest News

Entertainment