मोदी जी की योजनाओं ने मुझे बहुत प्रभावित किया : आचार्य देवव्रत

Last Updated 03 Dec 2022 09:17:10 AM IST

हरियाणा के किसान परिवार में जन्में, गुरु कुल शिक्षा पद्धति को आगे बढ़ाने वाले प्राकृतिक चिकित्सा के जानकार एवं प्राकृतिक खेती को लेकर चर्चा में आये गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने न्यूज चैनल ‘सहारा समय’ के ग्रुप एडिटर रमेश अवस्थी से खास बातचीत में कई अहम मुद्दों पर अपनी बेबाक राय रखी। प्रस्तुत हैं बातचीत के प्रमुख अंश-


गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत

► आपका जीवन सादगी का एक ज्वलंत प्रमाण है। अपने जीवन के सफरनामे के बारे में बताइए?

मैं हरियाणा के पानीपत जिले में गांव समाहल्का में पैदा हुआ। मैं एक साधारण किसान का बेटा हूं। मेरे पिताजी आर्य समाजी थे। उन्हीं के दिखाए रास्ते पर मैं आर्य समाज के पथ पर चलते हुए समाज की सेवा में लगा हुआ हूं। मेरे पिता जी ने पढ़ने के लिए मुझे गुरु कुल भेज दिया। पढ़ाई पूरी करने के बाद मुझे इसी गुरुकुल में मात्र 21 वर्ष की अवस्था में प्रधानाचार्य बना दिया था।

► अपने विद्यालय के बारे में बताइए?

मेरे विद्यालय की हालत जर्जर अवस्था में थी। मात्र दस बच्चे ही पूरे स्कूल में थे, जो गरीब परिवार से थे। उनकी सभी जिम्मेदारियां हम पर थीं। उनके खाने-पीने की व्यवस्था हर बात की जिम्मेदारी हमारे ऊपर थी। यहां तक कि मांग कर उनके खाने की व्यवस्था हो पाती थी।

► आपके स्कूल के छात्र कुछ ही वर्षो मे गोल्ड मेडल लाने लगे थे, ऐसा कैसे कर सके आप?

धीरे-धीरे चीजें रास्ते पर आई। यहां के बच्चे पढ़ाई में अव्वल आने लगे इतना ही नहीं इस गुरु कुल के बच्चों ने खेलकूद में भी इंटरनेशनल लेवल पर गोल्ड मेडल तक लाने लगे। यहां की जर्जर हालत में बिल्डिंग को मैंने धीरे-धीरे सुधारा। जहां कभी 30-40 बच्चों को जुटाना एक चैलेंज था वहीं अब वहां डेढ़ हजार छात्र आवास में रहकर पढ़ाई कर रहे हैं। नया कीर्तिमान स्थापित कर रहे हैं।

► आपको जीवन में किसने प्रभावित किया?

मैं प्रधानमंत्री मोदी जी की योजनाओं से बहुत प्रभावित था और आज भी हूं। उनके बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ की स्कीम के तहत अंबाला में एक गुरु कुल की स्थापना की है। इसके अलावा दो-तीन और गुरुकुल की स्थापना की है। ग्रामीण किसानों को ऑर्गेनिक खेती करने पर उन्हें प्रेरित किया है। मैं युवाओं को नशा मुक्ति का रास्ता दिखाना और भ्रूण हत्या के प्रति लोगों में जागरूकता पैदा करने जैसे सामाजिक कार्यों में लगा रहता था। मेरा राजनीति में भी आने कोई इरादा नहीं था। मैं आभारी हूं राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री जी का जिन्होंने मुझे राज्यपाल के रूप में देश की सेवा करने का अवसर दिया।

► जब पहली बार गवर्नर पद के लिए सरकार की ओर से आपको फोन आ रहा था और आप फोन पिक नहीं कर पाए, फिर क्या हुआ?

मैं जमुना नगर के डीएवी गल्र्स कॉलेज के नए सत्र शुभारंभ के अवसर पर लेक्चर दे रहा था। इस दौरान मेरे फोन की घंटी बज रही थी तो मैंने फोन बंद कर दिया। लेक्चर समाप्त कर चाय पीने बैठा तो फिर से फोन बजा और मैंने जब उठाया तो उधर से आवाज आई कि आपको हिमाचल का गवर्नर बना दिया गया है। मैंने कहा कि आप लोग क्यों मजाक कर रहे हो। इसी दौरान एक पत्रकार ने मुझे फोन कर बधाई दी तो मुझे कुछ-कुछ यकीन होने लगा।

► आपको समाजसेवा की प्रेरणा कहां से मिली?

जैसा कि मैंने आपको बताया कि मैं एक आर्यसमाजी हूं और इस नाते समाजसेवा की घुट्टी हमने बचपन से मिली हुई है। देश के आजादी की जंग में भी आर्य समाजियों ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया था। वो सब राष्ट्रवादी लोग थे और उन्हीं से मुझे समाजसेवा और देश सेवा की प्रेरणा मिली।

► गुरुकुल पद्धति लगभग लुप्त सी हो गई है। हरियाणा में आप इसे लगातार आगे बढ़ाने के लिए प्रयासरत हैं। इस बारे में क्या कहेंगे?

मेरी पूरी कोशिश रही है कि प्राचीन परंपरा को कायम रखते हुए उसे मॉर्डन भी बनाया जाए। जिस तरह समाज को एक अच्छा डाक्टर, अच्छा इंजीनियर, अच्छा टीचर, प्रोफेसर और प्रवीण सैनिक चाहिए, उसी तरह एक अच्छा और योग्य हवन-पूजन कराने वाला विशेषज्ञ भी चाहिए। हमने अपने गुरु कुल में ही उन बच्चों के लिए सभी व्यवस्था उपलब्ध कराई है।

► गुरुकुल परंपरा को लेकर आपने अपनी पहली कर्मभूमि हिमाचल और गुजरात में भी कुछ किया है क्या?

हिमाचल में मैंने लोगों में प्रकृति प्रेम जगाने की भरपूर कोशिश की है। प्राकृतिक खेती के लिए लोगों को जागरूक किया, युवाओं में नशा मुक्ति आंदोलन के लिए जागरूकता बढ़ाई और स्वच्छता के प्रति भी जागरूक करने का भरपूर प्रयत्न किया है। मैं अपनी गाड़ी में हर वक्त झाड़ू और तसला वगैरह लेकर चलता था। जहां मौका मिलता लोगों का उत्साहवर्धन करता।

► आर्गेनिक फार्मिंंग और प्राकृतिक चिकित्सा क्षेत्र में भी आपका काफी योगदान है। इस सफर के बारे में भी कुछ बताएं?

इसके पीछे एक बहुत प्रेरणादायी कहानी है जो हर किसी को एक सीख दे सकती है। दरअसल पहले मैं और लोगों की तरह ही रासायनिक खेती ही करता था। मेरे गुरु कुल के जमीन में ही खेतों में एक आदमी यूरिया वगैरह की छिड़काव कर रहा था कि तभी किसी ने आकर मुझे बताया कि छिड़काव करने वाला व्यक्ति बेहोश होकर खेत में ही गिर पड़ा है। फिर मैंने सोचा कि न तो इस आदमी ने इसे पिया न ही ये इसके शरीर के अंदर गई सिर्फ  सांस के जरिए शरीर में जाने से ये रसायन इतना जहरीला साबित हुआ फिर अगर मेरे गुरु कुल के बच्चे इन सब्जियों को खाएंगे तो ये कितना घातक साबित होगा। इसके बाद मैं नेचुरल खेती की ओर बढ़ा।

► आज पूरा विश्व ग्लोबल वार्मिंंग की त्रासदी को झेल रहा है। इस बारे में आप क्या कहना चाहेंगे?

आज पूरा वि ग्लोबल वार्मिंंग के चपेट में आ चुका है। इसमें भी रासायनिक व जैविक खेती का बड़ा हाथ है। यदि हम धरती को जहर खिलाएंगे तो धरती जहर ही उगलेगी। अच्छी फसल के लिए हमने इतने रासायन रूपी जहर का इस्तेमाल कर लिया है। अब हमारे नस-नस में जहर घुल चुका है। यदि हम प्राकृतिक खेती को अपनाएं तो बहुत हद तक प्रदूषित होने से बच सकते हैं।

► जैविक और प्राकृतिक खेती के बीच क्या अंतर है?

रासायनिक और जैविक में जितना बड़ा अंतर है उससे बड़ा अंतर जैविक और प्राकृतिक खेती में भी है। गौ मूत्र और गोबर दोनों में इतने प्रबल जीवाणु हैं कि इसके लाभ कि वो हैरान कर देने वाला है। इतना ही नहीं ये जीवाणु समय के साथ खुद को 20 मिनट के अंदर ही मल्टीप्लाई करने की क्षमता रखते हैं। प्राकृतिक खेती में लागत जीरो और रिजल्ट हीरो है। प्राकृतिक खेती से पर्यावरण को भी कोई नुकसान नहीं है। इसके लिए सरकार ने 15 सौ करोड़ रु पए से मदद करने का ऐलान किया है।

► आपके हिसाब से प्राकृतिक चिकित्सा कितनी असरदार है?

प्राकृतिक चिकित्सा के माध्यम से बड़ी से बड़ी बीमारी का भी इलाज हो सकता है। यह मेरा निजी अनुभव है। एक बार की बात है कि मैं बुखार के चपेटे में आ गया था और फसल कटाई के चलते घर नहीं बैठ सकता था। मैं पैरासिटामाल से बुखार दबाने के चक्कर में टाइफाइड का शिकार हो गया। इसे ठीक करने के लिए बहुत हाई पावर की दवा लेनी पड़ी तो इस वजह से मेरी बीमारी गंभीर हो गई। डाक्टर ने एक्स-रे रिपोर्ट देखकर आंतें निकाल कर फेंक देने की सलाह दी। इसके बाद प्राकृतिक चिकित्सा की शरण में आया। यहां चिकित्सकों ने मुझे प्राकृतिक चिकित्सा पद्धति पर 21 दिन तक रखा। आज मैं आपके सामने बैठा हूं।

न्यूज चैनल ‘सहारा समय’ के ग्रुप एडिटर रमेश अवस्थी/सहारा न्यूजब्यूरो


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