डीयू के पूर्व प्रोफेसर साईबाबा बरी
बंबई उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) के पूर्व प्रोफेसर जी एन साईबाबा को माओवादियों से कथित संबंध से जुड़े मामले में बरी कर दिया।
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अदालत ने यह टिप्पणी करते हुए साईबाबा को जेल से रिहा करने का आदेश दिया कि मामले में आरोपी के खिलाफ गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) के सख्त प्रावधानों के तहत मुकदमा चलाने का मंजूरी आदेश ‘कानून की दृष्टि से गलत और अमान्य’ था।
उच्च न्यायालय की नागपुर खंडपीठ के न्यायमूर्ति रोहित देव और न्यायमूर्ति अनिल पानसरे ने साईबाबा की उस अपील को स्वीकार कर लिया जो उन्होंने निचली अदालत के 2017 के एक आदेश को चुनौती देते हुए दायर की थी।
निचली अदलत ने अपने आदेश में साईबाबा को दोषी ठहराया था और उन्हें आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। उन्हें फरवरी 2014 में गिरफ्तार किया गया था।
साईबाबा के अलावा, अदालत ने महेश करीमन तिर्की, पांडु पोरा नरोटे, हेम केशवदत्त मिश्रा (छात्र) और प्रशांत सांगलीकर (पत्रकार) को बरी कर दिया, जिन्हें आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी।
अदालत ने साथ ही विजय तिर्की (मजदूर) को भी बरी कर दिया जिसे दस साल की सजा सुनाई गई थी।
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